गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) काउंसिल की 42वीं बैठक शुरू हो गई है। बैठक का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रहा है। बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर रही है। इस बैठक में केंद्र ने पहले विकल्प के तहत राज्यों की ओर से उधार ली जाने वाली राशि की सीमा को बढ़ाकर 1.1 लाख करोड़ रुपए कर दिया है। पहले यह सीमा 97 हजार करोड़ रुपए तय की गई थी। साथ ही चालू वित्त वर्ष के पिछले 10 फीसदी के ग्रोथ को घटाकर 7 फीसदी कर दिया है।
राज्य जता रहे हैं विरोध
केंद्र सरकार की ओर से दिए गए उधार लेने के विकल्प का राज्य विरोध कर रहे हैं। राज्यों का कहना है कि पिछले साल कंपनसेशन सेस में ग्रोथ 2 से 3 फीसदी रही थी। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में इसे बढ़ाकर 7 फीसदी करने का कोई औचित्य नहीं है। हालांकि, राज्य और केंद्र कंपनसेशन सेस की लेवी को 2022 के बाद भी जारी रखने पर सहमत हो गए हैं। अभी इसको दो साल के लिए बढ़ाया गया है। इसकी समय-समय पर समीक्षा की जाएगा। जीएसटी काउंसिल की बैठक जारी है।
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) काउंसिल की 42वीं बैठक शुरू हो गई है। बैठक का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रहा है। बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर रही है। बैठक में जीएसटी कंपनसेशन सेस की वसूली को जून 2022 से भी आगे जारी रहने को मंजूरी दे दी गई है। बैठक में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री भी हिस्सा ले रहे हैं।
चालू वित्त वर्ष में 2.35 लाख करोड़ का रेवेन्यू शॉर्टफॉल
27 अगस्त को हुई काउंसिल की बैठक में चालू वित्त वर्ष में जीएसटी रेवेन्यू में 2.35 लाख करोड़ रुपए के शॉर्टफॉल का अनुमान जताया गया था। इसमें 97 हजार करोड़ रुपए जीएसटी इम्प्लीमेंटेशन और 1.38 लाख करोड़ रुपए राज्यों के रेवेन्यू के शामिल हैं। इस रेवेन्यू शॉर्टफॉल की भरपाई के लिए केंद्र ने दो विकल्प दिए थे। पहले विकल्प के तहत राज्य आरबीआई से विशेष विंडो के तहत 97 हजार करोड़ रुपए उधार ले सकते हैं। दूसरे विकल्प के तहत केंद्र 2.35 लाख करोड़ रुपए बाजार से उधार लेकर राज्यों की दे।
उधार वाले विकल्प पर गैर-बीजेपी राज्यों का विरोध
जानकारी के मुताबिक, 21 राज्यों ने 97 हजार करोड़ रुपए उधार लेने पर सहमति जता दी है। इसमें से अधिकांश राज्यों में बीजेपी या उसके सहयोगियों की सरकार है। वहीं गैर-बीजेपी राज्य इस विकल्प का विरोध कर रहे हैं। इसमें पश्चिम बंगाल, दिल्ली, केरल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु शामिल हैं। यह राज्य चाहते हैं कि केंद्र सरकार उधार लेकर रेवेन्यू शॉर्टफॉल की भरपाई करे। काउंसिल की मौजूदा बैठक में अभी तक इस मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन पाई है।
ये है बैठक का एजेंडा
- राज्यों को कंपनसेशन पर रहेगा फोकस।
- राज्यों द्वारा उधार लेने पर फैसला होगा।
- कंपनसेशन सेस को 2 साल बढ़ाकर 2024 तक किया जा सकता है।
- प्रमुख बदलावों के लिए कमेटी का गठन हो सकता है।
- जीएसटी संबंधी प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है।
- नॉन-अल्कोहल सैनिटाइजर की दरें समान बनाई जा सकती हैं।