नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने शुक्रवार को बीआईएस-स्टैंडर्ड गोल्ड के लिए एनएसई रिफाइनर स्टैंडर्ड्स (एनआरएस) लांच किया। इससे वह एनएसई प्लेटफॉर्म पर ट्र्रेड किए जाने वाले गोल्ड फ्यूचर्स के सेटलमेंट के लिए भारत में काम करने वाली रिफाइनिंग कंपनियों द्वारा उत्पादित गोल्ड बार को भी स्वीकार कर सकेगी। बीआईएस-स्टैंडर्ड गोल्ड के लिए एनआरएस शुक्रवार 10 जुलाई 2020 से प्रभावी हो गया।
एनएसई द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि गुरुवार 9 जुलाई तक एनएसई कमोडिटी डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेड किए जाने वाले गोल्ड कांट्रैक्ट्स के सेटलमेंट के लिए लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) द्वारा मान्यताप्राप्त रिफाइनिंग कंपनियों द्वारा उत्पादित सीरियल नंबर वाले गोल्ड बार्स को स्वीकार करती थी। एनएसई ने महसूस किया कि देश की कई रिफाइनिंग इकाइयां भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के आईएस 17278: 2019 मानक के मुताबिक गोल्ड बार का उत्पादन कर सकती हैं। इसके बाद एनएसई ने एन मानक का पालन करने वाली निर्धारित भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों द्वारा उत्पादित गोल्ड बार को स्वीकार करने का फैसला किया।
एनएसई का कदम आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप है
एनएसई का यह कदम सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप है और इससे मेक इन इंडिया कार्यक्रम को प्रोत्साहन मिलता है। इससे एक्सचेंज ट्रेडेड डिलीवरेबल बुलियन कमोडिटी डेरिवेटिव्स में घरेलू कंपनियों की प्रतिभागिता बढ़ेगी। इससे बाजार का विस्तार होगा और भारतीय कमोडिटी डेरिवेटिव्स बाजार में फिजिकल सेटलमेंट फ्रेमवर्क का विकास करने में मदद मिलेगी।
भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों को मिलेगा समानता का अवसर
एनएसई के चीफ बिजनेस डेवलपमेंट ऑफीसर रवि वाराणसी ने कहा कि बीआईएस मानक के लिए एनआरएस लांच कर एनएसई बीआईएस मानकों का पालन करने वाली भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों को एक्सचेंज सेटलमेंट फ्रेमवर्क में शामिल होने के लिए समानता का अवसर प्रदान करती है। इससे बाजार के सभी प्रतिभागियों के समावेशी विकास के लिए एनएसई की सोच और प्रतिबद्धता का पता चलता है। एक्सचेंज सेटलमेंट फ्रेमवर्क में भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों को शामिल किए जाने से देश के कमोडिटी डेरिवेटिव्स कांट्र्रैक्ट्स के लिए फिजिकल सेटलमेंट फ्रेमवर्क की प्रभोत्पादकता बढ़ेगी।