13 जुलाई को शिवजी के प्रिय सावन माह का दूसरा सोमवार है। सावन और सोमवार, शिवजी की पूजा में इन दोनों का ही काफी अधिक महत्व है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा ने बताया कि सावन के संबंध में मान्यता प्रचलित है कि प्राचीन समय में माता सती ने अपने पिता दक्ष के हवन कुंड में अपनी देह त्यागी थी। इसके बाद देवी ने पर्वत राज हिमालय के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया था। माता पार्वती ने शिवजी को फिर से पति रूप में पाने के लिए सावन माह में ही कठोर तप किया था। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने पार्वती की मनोकामना पूरी की और उनसे विवाह किया था। इसी वजह से शिवजी को ये माह विशेष प्रिय माना जाता है।
शिवलिंग पर चढ़ाएं 21 बिल्वपत्र
सावन माह के सोमवार को सुबह जल्दी उठना चाहिए। स्नान के बाद सबसे पहले गणेशजी की पूजा करें। शिवलिंग का जल से अभिषेक करें। 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊँ नम: शिवाय लिखें और शिवलिंग पर चढ़ाएं।
फल-फूल और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। जनेऊ अर्पित करें। शिवलिंग का श्रृंगार करें। इसके बाद धूप दीप जलाकर आरती करें। आरती के बाद पूजा में हुई भूल के लिए क्षमायाचना करें। शिवजी के साथ ही देवी पार्वती की भी पूजा करें।
महिलाएं करती हैं सावन सोमवार का व्रत
विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना से सावन सोमवार का व्रत करती हैं। व्रत करने वाली महिलाएं सोमवार को जल्दी उठ जाती हैं और स्नान के बाद पूरा श्रृंगार करती हैं। इसके बाद शिव मंदिर जाकर शिवजी और माता पार्वती की पूजा करती हैं। व्रत करने का संकल्प लेती हैं। महिलाएं देवी पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाती हैं।