कोरोना के दौर में घर बैठे लोगों में अकेलेपन, खालीपन और संक्रमण के डर की वजह से देश-दुनिया में बढ़े डिप्रेशन के केस

दुनिया के ज्यादातर देशों में तमाम कोशिशों के बाद भी कोरोना वायरस के नए मामले आना जारी हैं। भारत में तो हर नए दिन के साथ नए मामलों के रिकॉर्ड बन रहे हैं। लॉकडाउन और उसके बाद कोरोना संकट के दौर में घर में बैठे लोगों में अकेलेपन, खालीपन और संक्रमण के डर की वजह से डिप्रेशन की स्थिति पैदा हुई।

  • 7.5% भारतीयों को कोई ना कोई मानसिक रोग है 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक। इनमें 70 प्रतिशत को ही इलाज मिल पाता है।
  • 41% भारतीयों ने कहा कि अगर उनकी पहचान या उनके ग्रुप या उनके कार्यस्थल का कोई व्यक्ति बीमार होता है तो घबराहट कई गुना बढ़ जाती है।
  • 72% भारतीयों में परिवार की सेहत को लेकर चिंता। नींद न आना, उदासी और डरा हुआ महसूस कर रहे हैं कोरोना संकट के दौर में लोग।
  • 19% का कहना था कि इससे उनके दिमाग पर बहुत बुरा असर हो रहा है। होम क्वारंटीन या क्वारंटीन सेंटर्स में रखे गए लोगों की हालत ज्यादा खराब है।
  • 45% वयस्कों ने एक सर्वे में कहा कि वैश्विक महामारी का उनके दिमाग पर काफी नकारात्मक असर पड़ रहा है।
  • 50% लोगों के दिमाग पर बुरा असर पड़ा अमेरिका में, जहां कोरोना के रिकॉर्ड मामले सामने आए हैं।
  • 10% से ज्यादा लोग कोरोना वायरस के डर से ठीक से नींद भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं।

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Cases of depression in the country and the world due to fear of loneliness, emptiness and infection increases during Corona pandemic