गलवान में चीन के साथ हुए टकराव के बाद सेनाओं का फोकस लगातार उत्तरी सेक्टर में निगरानी और ताकत बढ़ाने पर है। नौसेना के पी-8आई सर्विलांस प्लेन लगातार लद्दाख सेक्टर में निगरानी के लिए उड़ान भर रहे हैं। अब नेवी के मिग-29 फाइटर जेट भी उत्तरी सेक्टर में जल्द तैनात होंगे।
यह तैनाती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों सेनाओं में समन्वय बढ़ाने के निर्देश और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के निर्देशों के बाद की जा रही है। जनरल रावत ने कहा था कि पश्चिमी या उत्तरी सीमाओं पर वायुसेना के साथ-साथ नेवी के भी फाइटर जेट तैनात करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
निगरानी के लिए डीआरडीओ ने सेना को भारत ड्रोन दिए
इस बीच, एलएसी पर निगरानी के लिए डीआरडीओ ने सेना को भारत ड्रोन दिए हैं। सेना ने निगरानी के लिए इन ड्रोन की डिमांड की थी। ये सबसे हल्के और आधुनिक निगरानी ड्रोन हैं। ये छोटे होने के बावजूद बेहद पावरफुल हैं और किसी भी लोकेशन पर एक्युरेटसर्विलांस के लिए फिट भी। इनमें रियल टाइम वीडियो ट्रांसमिशन, नाइट विजन और घने जंगलों में भी लोगों की पहचान करने की क्षमता है।
नेवी को रशिया के ये फाइटर जेट एक दशक पहले मिले थे
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया किलाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पास मिग-29 को ऑपरेशनल किया जाएगा। नेवी के पास अभी 40 मिग-29 हैं और ये आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात हैं और ये गोवा स्थित आईएनएस हंसा बेस से रेगुलर फ्लाइट पर निकलते हैं। नेवी को रशिया के ये फाइटर जेट एक दशक पहले मिले थे।
गलवान के बाद लद्दाख में नेवी एक्टिव
चीन के साथ टकराव के बाद से ही नेवी लद्दाख सेक्टर में निगरानी और चीनी ठिकानों का पता लगाने में अहम रोल अदा कर रही है। इसके अलावा मलक्का में भी भारतीय नौसेना अभी अभ्यास कर रही है और यही वह जगह है, जहां से चीन की नौसेना हिंद महासागर में दाखिल होती है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि अंडमान निकोबार में नेवी की वेस्टर्न फ्लीट डिप्लॉयमेंट के तहत युद्धाभ्यास भी कर रही है।
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