मार्च में निचले स्तर पर जाने और फिर पिछले चार महीनों में अच्छी रिकवरी करने वाले शेयर बाजार में इस समय नया रुझान दिख रहा है। तब से अब तक लगभग 100 कंपनियों के प्रमोटर्स ने अप्रैल-जून की तिमाही के दौरान शेयर खरीदे हैं। यानी इन प्रमोटर्स ने कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है। हालांकि इसी बीच 50 प्रमोटर्स ने हिस्सेदारी में कमी की है।
भविष्य के विकास की संभावनाओं का पता चलता है
इस तरह की कठिन स्थितियों में इक्विटी में प्रमोटर होल्डिंग में कोई भी वृद्धि बहुत ही अच्छी मानी जाती है। क्योंकि इससे अपने व्यवसायों और भविष्य के विकास की संभावनाओं की प्रतिबद्धता का पता चलता है।जिन कंपनियों में प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है उसमें अलेम्बिक फार्मा, आईओएल केमिकल्स, मैंगलोर केमिकल्स, स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज, एनआईआईटी टेक्नोलॉजीज, लॉरस लैब्स और थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज का समावेश है।
जिन कंपनियों में प्रमोटर्स ने हिस्सेदारी बढ़ाई है, उनके शेयरों की कीमतों में एक साल में 10 से 275 फीसदी की वृद्धि हुई है।
निवेशकों को मिल रहा है पॉजिटिव संकेत
विश्लेषकों के मुताबिक प्रमोटर अपनी होल्डिंग के साथ जो भी कर रहे हैं वास्तव में वे निवेशकों को संकेत दे रहे हैं। सभी चीजें बराबर होने के कारण अगर प्रमोटर हिस्सेदारी बढ़ाता है और वह भी बाजार की खरीद के जरिए, तो यह हमेशा अच्छा संकेत होता है। सरकार और आरबीआई द्वारा मजबूत लिक्विडिटी और उपायों के कारण सेंसेक्स और निफ्टी में एक अप्रैल से करीब 20 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है।
बेंचमार्क इंडेक्स अभी भी नीचे
हालांकि, बेंचमार्क इंडेक्स अभी भी साल के उच्च स्तर से 10 फीसदी नीचे है। शेयरहोल्डिंग डेटा से पता चला है कि चुनिंदा स्मॉलकैप और मिडकैप फर्मों के प्रमोटर्स ने इस अवधि के दौरान अपने एक प्रतिशत हिस्सेदारी बढ़ाई है। इन कंपनियों में सुंदरम मल्टी पैप, विजय टेक्सटाइल्स, अपोलो पाइप्स, गुलशन पॉलीओल्स, शक्ति पंप्स, क्रेब्स बायोकेमिकल्स, आशिका क्रेडिट कैपिटल, धनवर्षा, ट्राइटन वाल्स, यश केमेक्स, उषा मार्टिन और महिंद्रा सीआईई ऑटोमोटिव शामिल थे। विश्लेषक कहते हैं कि अगर प्रमोटर्स शेयरों में हिस्सेदारी बढ़ाते हैं तो यह कंपनी के लिए एक पॉजिटिव कदम होता है।
इस तरह का उपयोग शेयरों की कीमतों के बढ़ाने के लिए किया जाता है
हालांकि अगर प्रमोटर खरीद कंपनी में अन्य सकारात्मक बदलावों के साथ हो रही है, तो यह खरीदी करने के लिए एक अच्छा मामला बनाता है। कुछ विश्लेषकों ने कहा कि कई बार इस तरह का उपयोग शेयर की कीमतों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। यह निवेशकों को संकट में डाल सकते हैं। अन्य जिन कंपनियों में जून तिमाही में प्रमोटर्स ने हिस्सेदारी बढ़ाई उसमें गायत्री प्रोजेक्ट्स, आशिका क्रेडिट कैपिटल, आईआईएफएल फाइनेंस, पायनियर इन्वेस्टकॉर्प, ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज, पीवीआर, सियाराम सिल्क मिल्स और ओरिएंट बेल शामिल हैं।
हालांकि इन कंपनियों के शेयर एक साल के मुकाबले 40 फीसदी से ज्यादा नीचे हैं।
इन कंपनियों में प्रमोटर्स ने घटाई हिस्सेदारी
दूसरी ओर, आंध्रा पेपर, टूरिज्म फाइनेंस, एचडीएफसी एएमसी, एचयूएल, आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस, कोटक महिंद्रा बैंक, अल्केम लेबोरेटरीज और कोरोमंडल इंटरनेशनल उन कंपनियों में शामिल हैं, जिनमें प्रमोटर्स ने जून तिमाही में अपनी हिस्सेदारी घटाई है। कुछ कारण ऐसे भी होते हैं जब प्रमोटर निजी कारणों से शेयर बेचते हैं। जब इस तरह की हिस्सेदारी बिक्री ज्यादा हो तो इससे निवेशकों को सतर्क हो जाना चाहिए।
सेंसेक्स निचले स्तर से 46 प्रतिशत बढ़ा
बता दें कि बेंचमार्क सेंसेक्स मार्च के निचले स्तर से अब तक 46 प्रतिशत बढ़ चुका है। इसका कारण यह है कि वैश्विक बाजारों में तेजी है और भारत में नए रिटेल निवेशक भी बाजार में आ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि करीबन 615 कंपनियों ने जून तिमाही के रिजल्ट जारी किए हैं। इसमें से करीबन 68 कंपनियों में इंडिविजुअल निवेशकों ने हिस्सेदारी बढ़ाई है। एक अप्रैल से लेकर अब तक इसमें से 55 स्टॉक ने दोगुना रिटर्न दिया है।
विश्लेषक अंबरीश बालिगा कहते हैं कि करीबन 35 लाख नए निवेशक पिछले चार महीनों में बाजार में आए हैं। अगर एक निवेशक ने एक लाख रुपए भी निवेश किया होगा तो बाजार में काफी पैसा आया है।