टैक्स बेस में बढ़ोतरी पर जीएसटी दरों में हो सकती है कमी, सरकार इसको लेकर पूरी तरह से सजग: पांडेय

आर्थिक मामलों के सचिव अजय भूषण पांडेय का कहना है कि यदि टैक्स बेस में बढ़ोतरी होती है तो जीएसटी दरों में और कमी हो सकती है। पांडेय का कहना है कि यदि टैक्स कानून लागू किए जाते हैं और हर कोई सही तरीके से टैक्स का भुगतान करता है तो इससे टैक्स बेस में बढ़ोतरी निश्चित है। यदि ऐसा होता है तो टैक्स में कमी की बहुत संभावना है।

ज्यादा से ज्यादा टैक्स कलेक्शन हो लक्ष्य

उद्योग संगठन फिक्की की ओर से आयोजित एक सम्मेलन में बोलते हुए पांडेय ने कहा कि सरकार इसको लेकर पूरी तरह से सजग है और इसको ध्यान में रखते हुए काम किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा एक ही लक्ष्य होने चाहिए कि कम दरों पर ज्यादा से ज्यादा टैक्स कलेक्ट किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को टैक्स कलेक्ट करना चाहिए क्योंकि यह बहुत ही जरूरी है। ज्यादा टैक्स कलेक्शन के लिए टैक्स बेस बढ़ाने की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

जीएसटी के तहत फॉर्म कम करने पर हो रहा काम

पांडेय ने कहा कि सरकार जीएसटी के तहत फॉर्म को कम करने की दिशा में काम कर रही है। जीएसटी से पहले 17 तरह के टैक्स के लिए 495 फॉर्म थे। जीएसटी लागू होने के बाद इन फॉर्म की संख्या घटकर 17-18 रह गई है। उन्होंने कहा कि इसमें आगे भी कमी किए जाने की तैयारी है। आईटी आधारित प्लेटफॉर्म के कारण अब इंस्पेक्टर राज नहीं है और जीएसटी पूरी तरह से फेस-लेस हो गया है।

टैक्स पेयर्स को उपलब्ध कराया जा सकता है टैक्स प्रोफाइल

इनकम टैक्स असेसमेंट के लिए उठाए गए नए कदम का उल्लेख करते हुए पांडेय ने कहा कि सरकार स्व अनुपालना को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी टैक्स पेयर्स को कंप्लीट टैक्स प्रोफाइल उपलब्ध कराने पर काम कर रही है। इसमें टैक्स पेयर्स से जुड़ी जानकारियां होंगी ताकि इसको पूरी तरह से व्यक्तिगत गोपनीयता को देखते हुए सुरक्षित एवं संरक्षित तरीके से शेयर किया जा सके। यदि ऐसा होता है तो इससे बैंकों से भी लोन मिलना सुलभ होगा। उन्होंने कहा कि लोगों के हित के लिए सभी सूचनाओं का एकीकरण किया जा रहा है।

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आर्थिक मामलों के सचिव अजय भूषण पांडेय का कहना है कि आईटी आधारित प्लेटफॉर्म के कारण अब इंस्पेक्टर राज नहीं है और जीएसटी पूरी तरह से फेस-लेस हो गया है।