कोरोना के कारण स्कूल की विभिन्न कक्षाओं की बाधित पढ़ाई की भरपाई के लिए सिलेबस को कम किया जा रहा है। शिक्षा निदेशालय ने सिलेबस छोटा करने की जिम्मेदारी राज्य शिक्षा शोध व प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को सौंपी है। सिलेबस को 30 फीसदी छोटा किया जा रहा है। शेष बचे सिलेबस के आधार पर आगे की पढ़ाई और परीक्षाएं भी ली जाएंगी।
हालांकि 9वीं से 12वीं कक्षा के सिलेबस को सीबीएसई के सिलेबस को आधार मानकर उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। कमेटी की सदस्य दीप्ति बोकन ने बताया कि 9 से 12 के सिलेबस के आधार सभी प्रतियोगी परीक्षाएं होती हैं, ऐसे में इसमें बदलाव करना भविष्य को देखते हुए ठीक नहीं होगा। जो चैप्टर सीबीएसई द्वारा हटाए जाएंगे, उन्हें ही हटाया जाएगा। बाकी सब पहले जैसा होगा।
गत बुधवार को चंडीगढ़ में हुई बैठक में एससीईआरटी, डाइट समेत निदेशालय के एक्सपर्ट भी शामिल हुए थे। एक सप्ताह में सिलेबस में बदलाव को लेकर रिपोर्ट देनी है। इसके लिए एक कमेटी फैसला लेगी। इस कमेटी की सदस्य दीप्ति बोकन ने बताया कि पहली से आठवीं तक सिलेबस में 30 फीसदी तक कटौती करने का फैसला लिया है, लेकिन किसी भी महत्वपूर्ण चेप्टर को नहीं हटाया जाएगा। क्लास स्टेंडर्ड के अनुसार बच्चों की दक्षता कम ना हो, इसका पूरा ख्याल सिलेबस कटौती के दौरान रखा जाएगा। कमेटी एससीईआरटी की डायरेक्टर किरणमई की देखरेख में काम कर रही है।
कोई भी महत्वपूर्ण चैप्टर नहीं हटाए जाएंगे
सिलेबस कम करने के दौरान किसी भी अहम चैप्टर को नहीं हटाया जाएगा। ज्यादातर शुरू के चैप्टर ही कम करने की बात कही जा रही है। स्कूल कब से खुलेंगे, यह भी अभी स्पष्ट नहीं है। अभिभावक कोरोना रहते स्कूल खुलने के पक्ष में नहीं हैं। बच्चों के लिए दूरदर्शन पर पढ़ाई कराई जा रही है।
नौवीं से 12वीं के सिलेबस को जस का तस रखा जाएगा
कमेटी के सदस्यों व एक्सपर्ट का सुझाव है कि नौवीं से 12वीं के सिलेबस में कटौती नहीं की जाए। सीबीएसई के सिलेबस के आधार पर ही राज्य व राष्ट्रीय स्तर के सभी कम्पीटिशन के प्रश्न-पत्र तैयार होते हैं। ऐसे में इस सिलेबस को सीबीएसई के आधार पर कोई चेप्टर कम किया जा सकता है। इन बदलावों के बाद ही सभी टेस्ट व परीक्षाएं ली जा सकेंगी।
कोरोना के कारण बिना परीक्षा ही दिया जा चुका रिजल्ट| प्रदेश में गत 18 मार्च से ही कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए स्कूल बंद पड़े हुए हैं। ऐसे में सीबीएसई व हरियाणा बोर्ड की कई परीक्षाएं नहीं हो पाई थी और इसके बाद अन्य सब्जेक्ट के अंकों के आधार मानते हुए औसत नंबर देकर परिणाम जारी किए जा चुके हैं। अब आगामी दिनों में कितने सिलेबस से परीक्षाएं ली जाएं, यह चुनौती बना हुआ है।