चार महीने पहले तक यानी मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत में रिलायंस इंडस्ट्रीज और टीसीएस में बराबरी का मुकाबला था। मार्केट कैपिटल के लिहाज से दोनों बराबरी पर थी। 27 मार्च को तो टीसीएस ने रिलायंस को पीछे छोड़ दिया था। हालांकि, चार दिन बाद ही एक अप्रैल को रिलायंस आगे निकली और उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इन चार महीनों में रिलायंस कैपिटल का मार्केट कैपिटल करीब दोगुना हो गया, जबकि टीसीएस का मार्केट कैपिटल महज 25 प्रतिशत ही बढ़ सका।
27 मार्च को जब टीसीएस ने रिलायंस को पीछे छोड़ा था तब उसका मार्केट कैपिटल 6.82 लाख करोड़ रुपए था जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज 6.75 लाख करोड़ रुपए के मार्केट कैपिटल के साथ खड़ी थी। वहीं, 31 जुलाई को रिलायंस के शेयर 7.76% उछले और उसका मार्केट कैपिटल 7.05 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो उस दिन टीसीएस (6.84 लाख करोड़) से 21 हजार 133 करोड़ रुपए ज्यादा था। इसके बाद रिलायंस ने पलटकर नहीं देखा। पहले 10 लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा छुआ और फिर 11.50 लाख करोड़ रुपए के मार्केट कैपिटल वाली देश की पहली कंपनी बन गई।
चार महीने बाद गुरुवार को रिलायंस का मार्केट कैपिटल 13.36 लाख करोड़ रुपए था, वहीं टीसीएस का मार्केट कैपिटल 8.54 लाख करोड़ रुपए रह गया। दोनों के बीच का अंतर बढ़कर 4.82 लाख करोड़ रुपए रह गया है। यदि सेंसेक्स की टॉप 10 कंपनियों से तुलना करें तो तीसरे नंबर पर स्थित एचडीएफसी (5.77 लाख करोड़ रुपए) से रिलायंस का मार्केट कैपिटल आज की तारीख में सवा दो गुना से भी ज्यादा है।
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