AAP ने राज्यसभा सांसद मालीवाल से इस्तीफा देने को कहा:स्वाति ने कहा था- दिल्ली की नई CM आतिशी का परिवार आतंकी अफजल गुरु प्रेमी

आम आदमी पार्टी (AAP) ने राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से इस्तीफे की मांग की है। AAP के वरिष्ठ नेता दिलीप पांडे ने कहा कि स्वाति मालीवाल को AAP ने राज्यसभा भेजा, लेकिन वह भाजपा की स्क्रिप्ट पढ़ रही हैं। अगर उनमें थोड़ी भी शर्म है, तो उन्हें राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा देना चाहिए और भाजपा के टिकट पर राज्यसभा का रास्ता चुनना चाहिए। दरअसल, मालीवाल ने मंगलवार को एक ऑनलाइन पोस्ट में आतिशी को मुख्यमंत्री पद के लिए चुने जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कल के दिन को दिल्ली के लिए दुखद बताते हुए आरोप लगाया था कि आतिशी के माता-पिता ने आतंकी अफजल गुरु को फांसी से बचाने की कोशिश की थी। स्वाति मालीवाल का पूरा बयान पढ़ें…
मालीवाल ने कहा कि आज दिल्ली के लिए बहुत दुखद दिन है। आज एक ऐसी महिला को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है, जिसके परिवार ने आतंकी अफजल गुरु को फांसी से बचाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उनके माता-पिता ने कई बार राष्ट्रपति को दया याचिकाएं भेजीं कि अफजल गुरु को फांसी न दी जाए, क्योंकि वह निर्दोष है। वह राजनीति साजिश का शिकार है। आज आतिशी जी मुख्यमंत्री बनेंगीं, लेकिन हम सब जानते हैं कि वे सिर्फ एक डमी यानी कठपुतली मुख्यमंत्री बनेंगीं। फिर भी यह मुद्दा बहुत बड़ा है, क्योंकि वह मुख्यमंत्री तो बनेंगीं ही। ये मुद्दा सीधे-सीधे दिल्ली और देश की सुरक्षा से जुड़ा है। भगवान बचाए दिल्लीवालों को ऐसे मुख्यमंत्री से। दिल्ली की नई सीएम होंगी आतिशी
अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार शाम को उपराज्यपाल (LG) विनय सक्सेना को सीएम पद से इस्तीफा सौंप दिया। उनके साथ आतिशी और 4 मंत्री मौजूद रहे। इसके बाद आतिशी ने नई सरकार बनाने के लिए दावा पेश किया। मंगलवार सुबह AAP की विधायक दल की बैठक में केजरीवाल ने आतिशी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था। इस पर विधायकों ने सहमति जताई। आतिशी ने कहा कि अगले चुनाव तक मेरे पास सिर्फ दो काम हैं। पहला- दिल्ली के लोगों की भाजपा के षड्यंत्र से रक्षा करना। दूसरा- केजरीवाल को फिर से सीएम बनाना। इस बीच, दिल्ली सरकार ने 26 और 27 सितंबर को 2 दिन का विधानसभा सत्र बुलाया है। सत्ता परिवर्तन पर भाजपा ने कहा कि मेकओवर ने AAP के दाग नहीं छुपेंगे। आतिशी के दो बड़े बयान… 1. ये हमारे लिए दुख का क्षण
केजरीवाल के खिलाफ केंद्र सरकार ने दुष्प्रचार किया, फर्जी आरोप लगाए। 6 महीने जेल में रखा। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा किया। कोई और व्यक्ति होता तो वह तुरंत सीएम की कुर्सी पर बैठ गया होता। केजरीवाल ने कहा कि मैं दिल्ली की जनता का फैसला मानूंगा। ये हमारे लिए दुख का क्षण है। दिल्ली के लोग इस बात का प्रण ले रहे हैं कि अगले चुनाव में वे केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाएंगे। 2. दिल्ली की जनता गुस्से में है
दिल्ली आज गुस्से में है। उन्हें पता है कि केजरीवाल सीएम नहीं रहे तो फ्री बिजली नहीं मिलेगी, सरकारी स्कूल बदहाल हो जाएंगे, अस्पतालों में अच्छा इलाज नहीं मिलेगा, मोहल्ला क्लिनिक बंद हो जाएगी, महिलाओं की फ्री बस यात्रा, बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा बंद हो जाएगी। उन्होंने देखा है कि 22 राज्यों में भाजपा की सरकार है। किसी एक में भी फ्री बिजली, बस यात्रा नहीं दे पा रहे। BJP के दो बड़े बयान … केजरीवाल ने इस्तीफा क्यों दिया, 3 बातें… 1. मुख्यमंत्री तो हैं, लेकिन पावर नहीं
दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल 177 दिन बाद जमानत पर जेल से बाहर आए। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी कि वे CM ऑफिस नहीं जाएंगे और न ही किसी फाइल पर साइन करेंगे। यानी जेल से बाहर आने और मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके पास पावर नहीं रही। 2. सिर्फ 5 महीने का कार्यकाल बचा
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म हो रहा है। यानी सरकार के पास चुनाव में सिर्फ 5 महीने ही बचे हैं। इस दौरान सरकारें लोक-लुभावन चुनावी फैसले लेती हैं। केजरीवाल कोर्ट की शर्तों में बंधे हैं। जेल से छूटने के बाद केजरीवाल के साथ सहानुभूति है। दो-तीन महीने पहले दिल्ली में चुनाव की मांग कर केजरीवाल इसे भुनाना चाहेंगे। 3. ईमानदार नेता की छवि को मजबूत करेंगे
दिल्ली शराब नीति केस में नाम आने और गिरफ्तारी के बाद से ही भाजपा के नेता अरविंद केजरीवाल से मुख्यमंत्री पद छोड़ने की मांग कर रहे थे। इस्तीफा देने के बाद वे भाजपा नेताओं को सीधे कह सकेंगे कि सिर्फ आरोप रहते उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। अब उनकी ईमानदारी का फैसला जनता करेगी। केजरीवाल इस्तीफे के बाद क्या करेंगे
केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से भले हट जाएं, लेकिन वे आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक बने रहेंगे। इस्तीफे के बाद उनका पूरा फोकस हरियाणा विधानसभा चुनाव पर होगा। वे पार्टी प्रत्याशियों के लिए फुल टाइम प्रचार कर पाएंगे। AAP कांग्रेस से गठबंधन पक्का नहीं होने के बाद सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। केजरीवाल खुद हरियाणा में सिरसा जिले के सिवानी गांव के रहने वाले हैं। इसके बाद वे झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर फोकस करेंगे। झारखंड में आप झामुमो के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है। केजरीवाल का पॉलिटिकल करियर मुख्यमंत्री रहते कई विवादों में जुड़ा केजरीवाल का नाम, शराब नीति घोटाला सबसे चर्चित दिल्ली शराब नीति में जेल गए AAP के बड़े नेता अप्रैल 2023 में मिला राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
चुनाव आयोग ने 10 अप्रैल 2023 को आम आदमी पार्टी को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया था। किसी पार्टी को नेशनल पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6% वोट हासिल करना जरूरी होता है। पार्टी दिल्ली, पंजाब, गोवा और गुजरात में 6% से ज्यादा वोट शेयर हासिल कर चुकी है। दिल्ली के अलावा पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। पार्टी का संगठन हरियाणा और गुजरात में भी मजबूत है। पार्टी के लोकसभा में तीन जबकि राज्यसभा में 10 सांसद है। देश के अन्य राज्यों में भी AAP के कैडर एक्टिव हैं। दिल्ली विधानसभा 2020 और लोकसभा 2024 में AAP की परफॉर्मेंस