चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा- ‘मैंने पूरी निष्ठा के साथ देश की सेवा की है। मुझे इस बात का डर और चिंता है कि इतिहास मेरे कार्यकाल का आकलन कैसे करेगा।’ सीजेआई ने यह बात भूटान में जिग्मे सिंग्ये वांगचुक स्कूल ऑफ लॉ के तीसरे कॉन्वोकेशन सेरेमनी के दौरान अपने संबोधन में कही। चंद्रचूड़ का कार्यकाल अगले महीने 10 नवंबर को पूरा होने जा रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 9 नवंबर 2022 को उन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई थी। उनका कार्यकाल दो साल का है। उन्होंने 13 मई 2016 को कोर्ट में जस्टिस के तौर पर पदभार संभाला था। सीजेआई के खुद से सवाल- मैं खुद को सवालों पर विचार करते हुए पाता हूं- क्या मैंने वह सब हासिल किया जो मैंने करने का लक्ष्य रखा था? इतिहास मेरे कार्यकाल का कैसे आकलन करेगा? क्या मैं चीजों को अलग तरीके से कर सकता था? मैं न्यायाधीशों और कानूनी पेशेवरों की आने वाली पीढ़ियों के लिए क्या विरासत छोड़ूंगा? CJI चंद्रचूड़ ने कहा- इनमें से ज्यादातर सवालों के जवाब मेरे नियंत्रण से बाहर हैं। और शायद मुझे इनमें से कुछ सवालों के जवाब कभी नहीं मिलेंगे। हालांकि, मुझे पता है कि पिछले दो सालों में, मैं हर सुबह इस वादे के साथ जागता हूं कि मैं अपना काम पूरी तरह से करूंगा और इस संतुष्टि के साथ सोता हूं कि मैंने अपने देश की पूरी लगन से सेवा की है। दुनिया को ऐसे लीडर्स की जरूरत जो मोटिव से प्रेरित हों
उन्होंने कहा- जब आप अपनी यात्रा की कठिनाई को नेविगेट करते हैं, तो एक कदम पीछे हटने, रीवेल्यूवेशन करने और खुद से पूछने से न डरें कि क्या मैं किसी मंजिल की ओर भाग रहा हूं या मैं खुद की ओर भाग रहा हूं? अंतर बहुत छोटा है लेकिन गहरा है। आखिरकार दुनिया को ऐसे लीडर्स की जरूरत है जो मोटिव से प्रेरित हों न कि केवल एम्बिशन से। लक्ष्य में फंसने की बजाय यात्रा का आनंद लेना चाहिए
उन्होंने कहा कि दुनिया में बदलाव लाने के अपने जुनून के चलते वे काम के दौरान अक्सर खुद को चरम सीमा तक धकेल देते थे। लंबे समय तक ऐसे काम काम करते थे जैसे दुनिया की समस्याएं केवल उनके कंधों पर हों। उन्होंने कहा कि बीते कुछ सालों में मुझे एहसास हुआ है कि हमारे समुदाय में योगदान करने की हमारी क्षमता हमारी आत्म-धारणा और आत्म-देखभाल की क्षमता में गहराई से छिपी हुई है। टारगेट तक पहुंचने के डर में फंसने के बजाय यात्रा का आनंद लेना चाहिए। उन्होंने कॉन्वोकेशन सेरेमनी में मौजूद लॉ ग्रेजुएट्स से कहा- मैं आपसे कुछ दशक बड़ा हूं, इसलिए मैं आपको बता सकता हूं कि इन डरों को दूर करना आसान नहीं है। हालांकि,पर्सनल ग्रोथ डर से सीधे निपटने में है। ……………………… सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… CJI बोले- मेरी विश्वसनीयता दांव पर है: कहा- एक ही केस अलग-अलग वकील सुनवाई के लिए लिस्ट कराते हैं, ये प्रथा बंद होनी चाहिए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने वकीलों की उस प्रैक्टिस की निंदा की, जिसमें एक ही मामले को अलग-अलग वकील तत्काल सुनवाई के लिए लिस्ट कराते हैं। उन्होंने कहा- वे ऐसा नहीं होने देंगे, क्योंकि इससे उनकी व्यक्तिगत विश्वसनीयता दांव पर लग जाती है। वकील केस लिस्ट कराने के लिए जोखिम उठाते हैं। इस प्रथा को रोका जाए। CJI ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के रूप में मेरे पास जो भी थोड़ा बहुत विवेक है, उसका इस्तेमाल कभी भी आपके पक्ष में नहीं किया जाएगा, क्योंकि इस अदालत को धोखा देने की कोशिश की जा रही है। पूरी खबर पढ़ें… CJI बोले- SC के जजों के पास सातों दिन काम: 5 दिन 50 केसों की सुनवाई, शनिवार को फैसला लिखवाते, रविवार को सोमवार की फाइल पढ़ते चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने जजों की छुट्टी और पेंडिंग केस की गति को लेकर कहा- सुप्रीम कोर्ट के जज सातों दिन काम करते हैं। सोमवार से शुक्रवार तक 40-50 मामले निपटाते हैं, शनिवार को छोटे केसेस पर सुनवाई होती है। इसी दिन सुरक्षित रखे गए फैसलों को लिखवाया जाता है। रविवार को सोमवार के केस पढ़े जाते हैं। पूरी खबर पढ़ें… वकील के Ya.. Ya.. Ya.. बोलने पर CJI नाराज:बोले- Yes कहिए, यह कोर्ट है, कॉफी शॉप नहीं; डांट सुनकर वकील मराठी बोलने लगा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ एक सुनवाई के दौरान वकील के अंग्रेजी में ‘या.. या..’ कहने पर नाराज हो गए। उन्होंने वकील को डांटते हुए कहा- यह कोई कॉफी शॉप नहीं है। ये क्या है या.. या..। मुझे इससे बहुत एलर्जी है। इसकी परमिशन नहीं दी जा सकती। आप यस बोलिए। पूरी खबर पढ़ें…
उन्होंने कहा- जब आप अपनी यात्रा की कठिनाई को नेविगेट करते हैं, तो एक कदम पीछे हटने, रीवेल्यूवेशन करने और खुद से पूछने से न डरें कि क्या मैं किसी मंजिल की ओर भाग रहा हूं या मैं खुद की ओर भाग रहा हूं? अंतर बहुत छोटा है लेकिन गहरा है। आखिरकार दुनिया को ऐसे लीडर्स की जरूरत है जो मोटिव से प्रेरित हों न कि केवल एम्बिशन से। लक्ष्य में फंसने की बजाय यात्रा का आनंद लेना चाहिए
उन्होंने कहा कि दुनिया में बदलाव लाने के अपने जुनून के चलते वे काम के दौरान अक्सर खुद को चरम सीमा तक धकेल देते थे। लंबे समय तक ऐसे काम काम करते थे जैसे दुनिया की समस्याएं केवल उनके कंधों पर हों। उन्होंने कहा कि बीते कुछ सालों में मुझे एहसास हुआ है कि हमारे समुदाय में योगदान करने की हमारी क्षमता हमारी आत्म-धारणा और आत्म-देखभाल की क्षमता में गहराई से छिपी हुई है। टारगेट तक पहुंचने के डर में फंसने के बजाय यात्रा का आनंद लेना चाहिए। उन्होंने कॉन्वोकेशन सेरेमनी में मौजूद लॉ ग्रेजुएट्स से कहा- मैं आपसे कुछ दशक बड़ा हूं, इसलिए मैं आपको बता सकता हूं कि इन डरों को दूर करना आसान नहीं है। हालांकि,पर्सनल ग्रोथ डर से सीधे निपटने में है। ……………………… सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… CJI बोले- मेरी विश्वसनीयता दांव पर है: कहा- एक ही केस अलग-अलग वकील सुनवाई के लिए लिस्ट कराते हैं, ये प्रथा बंद होनी चाहिए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने वकीलों की उस प्रैक्टिस की निंदा की, जिसमें एक ही मामले को अलग-अलग वकील तत्काल सुनवाई के लिए लिस्ट कराते हैं। उन्होंने कहा- वे ऐसा नहीं होने देंगे, क्योंकि इससे उनकी व्यक्तिगत विश्वसनीयता दांव पर लग जाती है। वकील केस लिस्ट कराने के लिए जोखिम उठाते हैं। इस प्रथा को रोका जाए। CJI ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के रूप में मेरे पास जो भी थोड़ा बहुत विवेक है, उसका इस्तेमाल कभी भी आपके पक्ष में नहीं किया जाएगा, क्योंकि इस अदालत को धोखा देने की कोशिश की जा रही है। पूरी खबर पढ़ें… CJI बोले- SC के जजों के पास सातों दिन काम: 5 दिन 50 केसों की सुनवाई, शनिवार को फैसला लिखवाते, रविवार को सोमवार की फाइल पढ़ते चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने जजों की छुट्टी और पेंडिंग केस की गति को लेकर कहा- सुप्रीम कोर्ट के जज सातों दिन काम करते हैं। सोमवार से शुक्रवार तक 40-50 मामले निपटाते हैं, शनिवार को छोटे केसेस पर सुनवाई होती है। इसी दिन सुरक्षित रखे गए फैसलों को लिखवाया जाता है। रविवार को सोमवार के केस पढ़े जाते हैं। पूरी खबर पढ़ें… वकील के Ya.. Ya.. Ya.. बोलने पर CJI नाराज:बोले- Yes कहिए, यह कोर्ट है, कॉफी शॉप नहीं; डांट सुनकर वकील मराठी बोलने लगा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ एक सुनवाई के दौरान वकील के अंग्रेजी में ‘या.. या..’ कहने पर नाराज हो गए। उन्होंने वकील को डांटते हुए कहा- यह कोई कॉफी शॉप नहीं है। ये क्या है या.. या..। मुझे इससे बहुत एलर्जी है। इसकी परमिशन नहीं दी जा सकती। आप यस बोलिए। पूरी खबर पढ़ें…