CJI बोले- छुट्टियों में वकील काम नहीं करना चाहते:जज वैकेशन में भी होते हैं, लेकिन पेंडिंग केसों के लिए न्यायपालिका पर ठीकरा फूटता है

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने बुधवार को कहा कि वकील छुट्टियों के दौरान काम करना नहीं चाहते, लेकिन केसों के बढ़ते बोझ (बैकलॉग) के लिए जजों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। दरअसल, CJI गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। तब एक वकील ने अपनी याचिका की सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद करने की मांग की। गर्मियों में भी आंशिक कामकाज रूप से चलेगा काम सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि 26 मई से 13 जुलाई तक अदालत आंशिक रूप से काम करती रहेगी। इस दौरान हर हफ्ते 2 से 5 बेंच बैठेंगी। खास बात यह है कि खुद CJI समेत सुप्रीम कोर्ट के पांच जज छुट्टियों में भी केसों की सुनवाई करेंगे, जबकि पहले ऐसा नहीं होता था। पहले केवल दो वैकेशन बेंच होती थीं और सीनियर जज छुट्टियों में कोर्ट नहीं आते थे। छुट्टियों में भी CJI गवई भी कोर्ट आएंगे
26 मई से 1 जून तक CJI गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ,जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस जेके माहेश्वरी मामलों की सुनवाई करेंगे। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री सोमवार से शुक्रवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुली रहेगी। शनिवार, रविवार और सार्वजनिक छुट्टियों पर रजिस्ट्री बंद रहेगी। सुप्रीम कोर्ट में 83 हजार केस पेंडिंग, अब तक की सबसे बड़ी संख्या
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में 82,831 केस पेंडिंग हैं। यह अब तक पेंडिंग केसों की सबसे बड़ी संख्या है। अकेले 27,604 पेंडिंग केस पिछले एक साल के अंदर दर्ज हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में 2024 में 38,995 नए केस दर्ज किए गए। इनमें से 37,158 केसों का निपटारा हुआ। पिछले 10 साल में 8 बार पेंडिंग केस की संख्या बढ़ी है। 2015 और 2017 में पेंडिंग केस कम हुए। वहीं, हाईकोर्ट में 2014 में कुल 41 लाख पेंडिंग केस थे, जो बढ़कर अब 59 लाख पहुंच गए हैं। पिछले 10 सालों में केवल एक बार पेंडिंग केस कम हुए। देश के सभी कोर्ट्स (सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, डिस्ट्रिक्ट समेत अन्य कोर्ट) में 5 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं। पेपरलेस सिस्टम आने से पेंडिंग केस कम हुए
सुप्रीम कोर्ट में 2013 में पेंडिंग केसों की संख्या 50 हजार से बढ़कर 66 हजार पहुंच गई थी। 2014 में तब चीफ जस्टिस पी सदाशिवम और जस्टिस आरएम लोढ़ा के कार्यकाल के दौरान पेंडिंग केस की संख्या घटकर 63 हजार रह गई थी। अगले एक साल में यानी 2015 में 4 हजार केस कम हुए और संख्या घटकर 59,000 पहुंच गई। 2017 में जस्टिस जेएस खेहर ने केस मैनेजमेंट सिस्टम में पेपरलेस कोर्ट का प्रस्ताव दिया। इससे केसों का निपटारा तेजी से हुआ और पेंडिंग केसों की संख्या घटकर 56,000 हो गई। हालांकि, 2018 में एक बार फिर पेंडिंग केस बढ़कर 57,000 हो गए। कोविड महामारी का सुप्रीम कोर्ट पर भी पड़ा असर
2020 में कोविड महामारी का असर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डिलीवरी सिस्टम पर भी पड़ा। उस समय जस्टिस एसए बोबडे CJI थे। हालांकि, कुछ समय बाद वर्चुअल कार्यवाही हुई, लेकिन पेंडिंग केसों की संख्या बढ़कर 65,000 हो गई। 2021 में भी कोविड के कारण सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही प्रभावित रही। इस वजह से पेंडिंग केस 70,000 हो गए और 2022 के अंत तक संख्या 79,000 हो गई। —————————————- कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें … 9 हजार कोर्ट बनाने को क्या कर रही यूपी सरकार? धीमी सुनवाई से भर रहीं जेल ‘संविधान में न्यायपालिका राज्य का तीसरा अंग है। इस तीसरे अंग के सामने सिविल और आपराधिक मुकदमों का अंबार है। इसलिए अदालतों का आधारभूत ढांचा मजबूत करना आवश्यक है, जिसके लिए बजट में जरूरी फंड की व्यवस्था करने पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है।’ इस टिप्पणी के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार से नई अदालतों की स्थापना को लेकर जवाब मांगा है। पूरी खबर पढ़ें…