महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) अध्यक्ष राज ठाकरे ने शीर्ष बैंक निकाय इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वह बैंकों को मराठी में काम करने निर्देश का दें। ऐसा न करने पर उनकी पार्टी अपना आंदोलन तेज करेगी। MNS नेताओं ने 9 अप्रैल को IBA अधिकारियों को यह चिट्ठी सौंपी। ठाकरे ने यह भी लिखा कि अगर बैंक अपनी सेवाओं में तीन भाषा फार्मूले (अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय भाषा यानी मराठी) का पालन नहीं करते तो हालात बिगड़ने पर बैंक खुद जिम्मेदार होंगे। चिट्ठी में में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी और निजी बैंकों में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल को लेकर सर्कुलर जारी किया है। इससे पहले ठाकरे ने 5 अप्रैल को पार्टी कार्यकर्ताओं से मराठी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए आंदोलन को फिलहाल रोकने के लिए कहा था। ठाकरे ने 30 मार्च को गुड़ी पड़वा रैली में मराठी को अनिवार्य बनाने की मांग की थी। उन्होंने चेतावनी दी थी कि जो लोग जानबूझकर मराठी नहीं बोलते उन्हें थप्पड़ मारा जाएगा। बैंक यूनियंस ने CM फडणवीस को चिट्ठी लिखी थी
महाराष्ट्र में बैंककर्मियों ने 4 अप्रैल को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की थी। राज्य भर के बैंकों में कर्मचारियों पर हमले की कई घटनाओं के बाद बैंक यूनियन ने सीएम को चिट्ठी लिखी थी। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने चिट्ठी में लिखा था कि MNS कार्यकर्ता बैंकों में आकर कर्मचारियों को धमका रहे हैं। कार्यकर्ता बैंक के सभी डिस्प्ले बोर्ड मराठी में लगवाने और कर्मचारियों से सिर्फ मराठी बोलने के लिए दबाव बनाते हैं। चिट्ठी में उन पर हुए हमलों का भी जिक्र है। यूनियन ने लिखा कि अधिकतर बैंकों में तीन आधिकारिक भाषाओं में डिस्प्ले बोर्ड हैं, जिनमें मराठी शामिल है। ज्यादातर कर्मचारी मराठी भाषी हैं, लेकिन कुछ अधिकारी मराठी नहीं बोल पाते। उन अधिकारियों से सभी 22 मान्यता प्राप्त भाषाओं में पारंगत होने की उम्मीद करना दुर्भाग्यपूर्ण है। मामले में CM फडणवीस ने कहा था कि मराठी भाषा के इस्तेमाल पर जोर देना गलत नहीं है। लेकिन कोई कानून हाथ में लेता है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उचित तरीके से निपटा जाएगा। MNS कार्यकर्ताओं के हमले की 5 तस्वीरें… बैंक मैनेजर को धमकी- काम करना है, तो मराठी सीखनी होगी
मुंबई में MNS कार्यकर्ताओं ने 2 अप्रैल को एक बैंक में घुसकर मैनेजर पर मराठी में ही बात करने का दबाव बनाया था। कार्यकर्ताओं ने मैनेजर पर आरोप लगाया कि वह ग्राहकों से बातचीत करते समय मराठी में बात नहीं कर रहा है। इस झड़प का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में कार्यकर्ताओं को कह रहे हैं कि यहां नौकरी करनी है, तो मराठी सीखनी होगी। इस पर मैनेजर ने कहा कि किसी से भी स्थानीय भाषा तुरंत सीखने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसमें समय लगता है। MNS कार्यकर्ता 1 अप्रैल को एक अन्य बैंक में गए थे। यहां उन्होंने बैंक कर्मचारियों को फूल और पत्थर सौंपे। यह चेतावनी देने का संकेत था। पार्टी ने घोषणा की थी कि 1 अप्रैल से सभी बैंकों में इसी तरह के प्रदर्शन किए जाएंगे। MNS ने पहले भी किए है विरोध प्रदर्शन
2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर पार्टी बनाई थी, तो उनका एक प्रमुख एजेंडा ‘मराठी मानुष’ (मराठी लोग) के अधिकारों की वकालत करना था। शुरुआती अभियानों में दुकानदारों पर मराठी में अपना नाम लिखने के लिए दबाव बनाया था। जिसके कारण हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए और पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कानूनी मामले दर्ज किए गए। 2007-08 में, MNS कार्यकर्ताओं ने रेलवे भर्ती परीक्षा के लिए मुंबई आए उत्तर प्रदेश और बिहार के उम्मीदवारों पर हमला किया था। उनका तर्क था कि महाराष्ट्र में नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इन घटनाओं से पूरे देश में आक्रोश फैल गया और सभी दलों के नेताओं ने MNS की हरकतों की निंदा की। MNS ने मल्टीप्लेक्स पर मराठी फिल्मों के लिए स्क्रीन आवंटित करने का दबाव बनाया है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर मराठी सिनेमा को दरकिनार किया गया तो इसके परिणाम भुगतने होंगे। मराठी वोट बैंक बड़ा फैक्टर
MNS को राजनीतिक पकड़ बनाए रखने में संघर्ष करना पड़ा है। 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में, पार्टी ने 13 सीटें जीतीं, जिसका मुख्य रूप से मराठी मतदाताओं ने समर्थन किया। हालांकि, बाद के चुनावों में भाजपा और शिवसेना के विभिन्न गुटों जैसे प्रतिद्वंद्वी दलों के बढ़ते प्रभाव के कारण इसके वोट शेयर में गिरावट आई थी। ———————————————– MNS से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… MNS कार्यकर्ताओं ने शिवसेना का बोर्ड फाड़ा, इसमें राज ठाकरे से पूछा था-क्या आपके विचार शुद्ध महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के कुंभ मेले में गंगा जल की शुद्धता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि यह कैसा धर्म है, अगर हम अपने प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें…
महाराष्ट्र में बैंककर्मियों ने 4 अप्रैल को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की थी। राज्य भर के बैंकों में कर्मचारियों पर हमले की कई घटनाओं के बाद बैंक यूनियन ने सीएम को चिट्ठी लिखी थी। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने चिट्ठी में लिखा था कि MNS कार्यकर्ता बैंकों में आकर कर्मचारियों को धमका रहे हैं। कार्यकर्ता बैंक के सभी डिस्प्ले बोर्ड मराठी में लगवाने और कर्मचारियों से सिर्फ मराठी बोलने के लिए दबाव बनाते हैं। चिट्ठी में उन पर हुए हमलों का भी जिक्र है। यूनियन ने लिखा कि अधिकतर बैंकों में तीन आधिकारिक भाषाओं में डिस्प्ले बोर्ड हैं, जिनमें मराठी शामिल है। ज्यादातर कर्मचारी मराठी भाषी हैं, लेकिन कुछ अधिकारी मराठी नहीं बोल पाते। उन अधिकारियों से सभी 22 मान्यता प्राप्त भाषाओं में पारंगत होने की उम्मीद करना दुर्भाग्यपूर्ण है। मामले में CM फडणवीस ने कहा था कि मराठी भाषा के इस्तेमाल पर जोर देना गलत नहीं है। लेकिन कोई कानून हाथ में लेता है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उचित तरीके से निपटा जाएगा। MNS कार्यकर्ताओं के हमले की 5 तस्वीरें… बैंक मैनेजर को धमकी- काम करना है, तो मराठी सीखनी होगी
मुंबई में MNS कार्यकर्ताओं ने 2 अप्रैल को एक बैंक में घुसकर मैनेजर पर मराठी में ही बात करने का दबाव बनाया था। कार्यकर्ताओं ने मैनेजर पर आरोप लगाया कि वह ग्राहकों से बातचीत करते समय मराठी में बात नहीं कर रहा है। इस झड़प का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में कार्यकर्ताओं को कह रहे हैं कि यहां नौकरी करनी है, तो मराठी सीखनी होगी। इस पर मैनेजर ने कहा कि किसी से भी स्थानीय भाषा तुरंत सीखने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसमें समय लगता है। MNS कार्यकर्ता 1 अप्रैल को एक अन्य बैंक में गए थे। यहां उन्होंने बैंक कर्मचारियों को फूल और पत्थर सौंपे। यह चेतावनी देने का संकेत था। पार्टी ने घोषणा की थी कि 1 अप्रैल से सभी बैंकों में इसी तरह के प्रदर्शन किए जाएंगे। MNS ने पहले भी किए है विरोध प्रदर्शन
2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर पार्टी बनाई थी, तो उनका एक प्रमुख एजेंडा ‘मराठी मानुष’ (मराठी लोग) के अधिकारों की वकालत करना था। शुरुआती अभियानों में दुकानदारों पर मराठी में अपना नाम लिखने के लिए दबाव बनाया था। जिसके कारण हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए और पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कानूनी मामले दर्ज किए गए। 2007-08 में, MNS कार्यकर्ताओं ने रेलवे भर्ती परीक्षा के लिए मुंबई आए उत्तर प्रदेश और बिहार के उम्मीदवारों पर हमला किया था। उनका तर्क था कि महाराष्ट्र में नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इन घटनाओं से पूरे देश में आक्रोश फैल गया और सभी दलों के नेताओं ने MNS की हरकतों की निंदा की। MNS ने मल्टीप्लेक्स पर मराठी फिल्मों के लिए स्क्रीन आवंटित करने का दबाव बनाया है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर मराठी सिनेमा को दरकिनार किया गया तो इसके परिणाम भुगतने होंगे। मराठी वोट बैंक बड़ा फैक्टर
MNS को राजनीतिक पकड़ बनाए रखने में संघर्ष करना पड़ा है। 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में, पार्टी ने 13 सीटें जीतीं, जिसका मुख्य रूप से मराठी मतदाताओं ने समर्थन किया। हालांकि, बाद के चुनावों में भाजपा और शिवसेना के विभिन्न गुटों जैसे प्रतिद्वंद्वी दलों के बढ़ते प्रभाव के कारण इसके वोट शेयर में गिरावट आई थी। ———————————————– MNS से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… MNS कार्यकर्ताओं ने शिवसेना का बोर्ड फाड़ा, इसमें राज ठाकरे से पूछा था-क्या आपके विचार शुद्ध महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के कुंभ मेले में गंगा जल की शुद्धता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि यह कैसा धर्म है, अगर हम अपने प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें…