कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएन पार्वती ने MUDA (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) को लेटर लिखकर 14 प्लाट वापस करने की पेशकश की है। लेटर में पार्वती ने लिखा, इन प्लाट को वापस करने के साथ-साथ, मैं MUDA से संबंधित सभी आरोपों की जांच की भी मांग करती हूं। इससे पहले 30 सितंबर को ED ने सिद्धारमैया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। यह केस मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) लैंड स्कैम से जुड़ा है। ED ने इस केस में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और कुछ अधिकारियों का नाम भी शामिल किया है। CM की पत्नी बोलीं- राजनीतिक परिवारों की महिलाओं को विवाद में न घसीटें
MUDA को भेजे लेटर में CM की पत्नी ने लिखा, कुछ लोग पूछ सकते हैं कि इस समय ऐसा फैसला क्यों लिया गया? मैंने यह डिसीजन उसी दिन लिया था जिस दिन आरोप लगे थे। चूंकि MUDA प्लॉट आवंटन के संबंध में आरोप राजनीति से प्रेरित थे, इसलिए कुछ शुभचिंतकों ने सलाह दी कि हमें इस अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहिए और उनकी योजनाओं का शिकार नहीं बनना चाहिए। इसलिए मैं शुरू में प्लॉट वापस करने से पीछे हट गई। मैं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और मीडिया के सदस्यों से अपील करती हूं। कृपया राजनीतिक परिवारों की महिलाओं को विवाद में न घसीटें। उन्हें राजनीतिक विवादों में शामिल करके उनकी गरिमा और सम्मान को नुकसान न पहुंचाएं। CM सिद्धारमैया बोले- पत्नी के प्लाट वापस करने के फैसले का सम्मान
पत्नी के जमीन वापस करने के फैसले के बीच CM सिद्धारमैया ने सोशल मीडिया पर लिखा, राज्य के लोग भी जानते हैं कि विपक्षी दलों ने मेरे खिलाफ राजनीतिक नफरत पैदा करने के लिए झूठी शिकायत की और मेरे परिवार को विवाद में घसीटा। मेरा स्टैंड इस अन्याय के आगे झुके बिना लड़ने का था। लेकिन मेरी पत्नी, जो मेरे खिलाफ चल रही राजनीतिक साजिश से परेशान है, उसने इन प्लाट को वापस करने का फैसला लिया है। वह मेरे खिलाफ नफरत की राजनीति का शिकार है और मानसिक यातना झेल रही है। इसका मुझे खेद है। हालांकि, मैं अपनी पत्नी के प्लाट वापस करने के फैसले का सम्मान करता हूं। जांच के खिलाफ सिद्धारमैया की याचिका हाईकोर्ट में खारिज
एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा ने आरोप लगाया था कि CM ने MUDA अधिकारियों के साथ मिलकर 14 महंगी साइट्स को धोखाधड़ी से हासिल किया। 24 सितंबर को हाईकोर्ट ने MUDA स्कैम में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच करने के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को बरकरार रखा था। जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने राज्यपाल के आदेश के खिलाफ सिद्धारमैया की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा, ‘याचिका में जिन बातों का जिक्र है, उसकी जांच जरूरी है। केस में मुख्यमंत्री का परिवार शामिल है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।’ राज्यपाल ने 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 218 के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी थी। CM ने 19 अगस्त को इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सिद्धारमैया बोले- सत्य की जीत होगी
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वे जांच का सामना करने से नहीं डरते, लेकिन कानूनी सलाह लेंगे कि क्या इस मामले में इन्वेस्टिगेशन हो सकती है या नहीं। उन्होंने आगे कहा कि मैं कानून और संविधान में विश्वास करता हूं। अंत में सच की जीत होगी। MUDA केस क्या है
साल 1992 में अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने रिहायशी इलाके विकसित करने के लिए किसानों से जमीन ली थी। इसके बदले MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत जमीन मालिकों को विकसित भूमि में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई। MUDA पर आरोप है कि उसने 2022 में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूरु के कसाबा होबली स्थित कसारे गांव में उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले मैसुरु के एक पॉश इलाके में 14 साइट्स आवंटित की। इन साइट्स की कीमत पार्वती की जमीन की तुलना में बहुत ज्यादा थी। हालांकि, इस 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार भी नहीं था। ये जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें 2010 में गिफ्ट में दी थी। MUDA ने इस जमीन को अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर स्टेज 3 लेआउट विकास किया था। सिद्धारमैया पर क्या-क्या आरोप लगे हैं घोटाले की जांच की मांग की गई
5 जुलाई 2024 को एक्टिविस्ट कुरुबरा शांथकुमार ने गवर्नर को चिट्ठी लिखते हुए कहा- मैसुरु के डिप्टी कमिश्नर ने MUDA को 8 फरवरी 2023 से 9 नवंबर 2023 के बीच 17 पत्र लिखे हैं। 27 नवंबर को शहरी विकास प्राधिकरण, कर्नाटक सरकार को 50:50 अनुपात घोटाले और MUDA कमिश्नर के खिलाफ जांच के लिए लिखा गया था। बावजूद, MUDA के कमिश्नर ने हजारों साइटों को आवंटित किया। सिद्धारमैया बोले- भाजपा सरकार में पत्नी को जमीन मिली
आरोपों पर सिद्धारमैया ने कहा- 2014 में जब मैं CM था तो पत्नी ने मुआवजे के लिए आवेदन किया था। मैंने पत्नी से कहा था कि जब तक मैं CM हूं तब तक मुआवजे के लिए आवेदन ना किया जाए। 2020-21 में जब भाजपा की सरकार थी, तब पत्नी को मुआवजे की जमीन आवंटित की गई। भाजपा सिर्फ मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाने की कोशिश कर रही है।
MUDA को भेजे लेटर में CM की पत्नी ने लिखा, कुछ लोग पूछ सकते हैं कि इस समय ऐसा फैसला क्यों लिया गया? मैंने यह डिसीजन उसी दिन लिया था जिस दिन आरोप लगे थे। चूंकि MUDA प्लॉट आवंटन के संबंध में आरोप राजनीति से प्रेरित थे, इसलिए कुछ शुभचिंतकों ने सलाह दी कि हमें इस अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहिए और उनकी योजनाओं का शिकार नहीं बनना चाहिए। इसलिए मैं शुरू में प्लॉट वापस करने से पीछे हट गई। मैं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और मीडिया के सदस्यों से अपील करती हूं। कृपया राजनीतिक परिवारों की महिलाओं को विवाद में न घसीटें। उन्हें राजनीतिक विवादों में शामिल करके उनकी गरिमा और सम्मान को नुकसान न पहुंचाएं। CM सिद्धारमैया बोले- पत्नी के प्लाट वापस करने के फैसले का सम्मान
पत्नी के जमीन वापस करने के फैसले के बीच CM सिद्धारमैया ने सोशल मीडिया पर लिखा, राज्य के लोग भी जानते हैं कि विपक्षी दलों ने मेरे खिलाफ राजनीतिक नफरत पैदा करने के लिए झूठी शिकायत की और मेरे परिवार को विवाद में घसीटा। मेरा स्टैंड इस अन्याय के आगे झुके बिना लड़ने का था। लेकिन मेरी पत्नी, जो मेरे खिलाफ चल रही राजनीतिक साजिश से परेशान है, उसने इन प्लाट को वापस करने का फैसला लिया है। वह मेरे खिलाफ नफरत की राजनीति का शिकार है और मानसिक यातना झेल रही है। इसका मुझे खेद है। हालांकि, मैं अपनी पत्नी के प्लाट वापस करने के फैसले का सम्मान करता हूं। जांच के खिलाफ सिद्धारमैया की याचिका हाईकोर्ट में खारिज
एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा ने आरोप लगाया था कि CM ने MUDA अधिकारियों के साथ मिलकर 14 महंगी साइट्स को धोखाधड़ी से हासिल किया। 24 सितंबर को हाईकोर्ट ने MUDA स्कैम में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच करने के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को बरकरार रखा था। जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने राज्यपाल के आदेश के खिलाफ सिद्धारमैया की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा, ‘याचिका में जिन बातों का जिक्र है, उसकी जांच जरूरी है। केस में मुख्यमंत्री का परिवार शामिल है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।’ राज्यपाल ने 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 218 के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी थी। CM ने 19 अगस्त को इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सिद्धारमैया बोले- सत्य की जीत होगी
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वे जांच का सामना करने से नहीं डरते, लेकिन कानूनी सलाह लेंगे कि क्या इस मामले में इन्वेस्टिगेशन हो सकती है या नहीं। उन्होंने आगे कहा कि मैं कानून और संविधान में विश्वास करता हूं। अंत में सच की जीत होगी। MUDA केस क्या है
साल 1992 में अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने रिहायशी इलाके विकसित करने के लिए किसानों से जमीन ली थी। इसके बदले MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत जमीन मालिकों को विकसित भूमि में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई। MUDA पर आरोप है कि उसने 2022 में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूरु के कसाबा होबली स्थित कसारे गांव में उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले मैसुरु के एक पॉश इलाके में 14 साइट्स आवंटित की। इन साइट्स की कीमत पार्वती की जमीन की तुलना में बहुत ज्यादा थी। हालांकि, इस 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार भी नहीं था। ये जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें 2010 में गिफ्ट में दी थी। MUDA ने इस जमीन को अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर स्टेज 3 लेआउट विकास किया था। सिद्धारमैया पर क्या-क्या आरोप लगे हैं घोटाले की जांच की मांग की गई
5 जुलाई 2024 को एक्टिविस्ट कुरुबरा शांथकुमार ने गवर्नर को चिट्ठी लिखते हुए कहा- मैसुरु के डिप्टी कमिश्नर ने MUDA को 8 फरवरी 2023 से 9 नवंबर 2023 के बीच 17 पत्र लिखे हैं। 27 नवंबर को शहरी विकास प्राधिकरण, कर्नाटक सरकार को 50:50 अनुपात घोटाले और MUDA कमिश्नर के खिलाफ जांच के लिए लिखा गया था। बावजूद, MUDA के कमिश्नर ने हजारों साइटों को आवंटित किया। सिद्धारमैया बोले- भाजपा सरकार में पत्नी को जमीन मिली
आरोपों पर सिद्धारमैया ने कहा- 2014 में जब मैं CM था तो पत्नी ने मुआवजे के लिए आवेदन किया था। मैंने पत्नी से कहा था कि जब तक मैं CM हूं तब तक मुआवजे के लिए आवेदन ना किया जाए। 2020-21 में जब भाजपा की सरकार थी, तब पत्नी को मुआवजे की जमीन आवंटित की गई। भाजपा सिर्फ मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाने की कोशिश कर रही है।