सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोविड-19 से हुई मौतों के मामले में मुआवजे से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। केंद्र सरकार का पक्ष एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने रखा। कोर्ट ने पूछा- क्या केंद्र सरकार कोविड-19 वैक्सीन के साइड इफेक्ट से मरने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए कोई नीति बना सकती है। ASG ने कहा, केवल कोविड-19 बीमारी को ही आपदा घोषित किया गया है, न कि कोविड के लिए लगाए गए टीकों से जुड़ी मौतों को। इसलिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत ऐसी कोई नीति नहीं है जो कोविड-19 टीकों से जुड़ी मौतों के लिए मुआवजा देती हो।’ कोर्ट ने कहा, ‘कोविड-19 से होने वाली मौतों को कोविड वैक्सीन लगने से होने वाली मौतों से अलग नहीं माना जाना चाहिए। बेंच ने मौखिक रूप से कहा- आखिरकार, संपूर्ण (कोविड) टीकाकरण अभियान भी महामारी से बाहर था। आप यह नहीं कह सकते कि वे आपस में जुड़े नहीं हैं।’ कोर्ट ने केंद्र सरकार को 3 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले में अगले सुनवाई 18 मार्च को होगी। दरअसल, जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच केरल की महिला की याचिका पर सुनवाई की है। महिला के पति की कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट से मौत हुई थी। इसके बाद महिला ने सितंबर 2022 में केरल हाईकोर्ट ने पति की मौत पर मुआवजे की मांग वाली याचिका लगाई थी। महिला ने हाईकोर्ट में कहा था… वैक्सीन के साइड इफेक्ट से मौत के मामले में मुआवजा देने के लेकर को विशिष्ट नीति नहीं है। हाईकोर्ट ने पाया कि भले ही मौत की संख्या बहुत कम हो, लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोगों के कोविड वैक्सीन के बाद के प्रभावों के कारण मृत्यु होने का संदेह रहा। कोर्ट रूम लाइव… ASG: कोविड-19 वैक्सीनेशन बेस्ट ग्लोबल प्रैक्टिस की तरह तैयार किए गए मेडिकल प्रोटोकॉल के जरिए मैनेज होता है। जो वैक्सीनेशन के एडमिनिस्ट्रेशन के दौरान दौरान टीकाकरण के बाद किसी भी वितरीत असर (AEFI) का जल्द से जल्द पता लगाने और ट्रीटमेंट तय करता है। कोविड आपदा थी। लेकिन कोविड वैक्सीनेशन मेडिकल प्रोटोकॉल के मुताबिक है, जो दुनिया में बेस्ट प्रैक्टिस के मुताबिक है। कोई भी कोविड मौत पॉलिसी में कवर की जाती। लेकिन कोविड वैक्सीनेशन एक प्रोटोकॉल है, जिसमें AEFI (निगरानी) मैकेनिज्म शामिल है जो जांच करता है कि मृत्यु का कारण क्या है, क्या यह सीधे कोविड जुड़ा हुआ है या नहीं। बेंच- केंद्र जांच करे कि क्या कोविड वैक्सीन से जुड़ी मौतों के लिए भी मुआवजा बढ़ाने के लिए कोई नीति बनाई जा सकती है। 3 सप्ताह में कोर्ट में अपना जवाब करें। मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी। ASG: जब नीति पहले ही बना ली गई है और उसमें उन्हें शामिल नहीं किया गया है। तो हमारे लिए किसी विशेष तरीके से नीति बनाना अनिवार्य नहीं हो सकता। न्यायालय इस मामले को रचना गंगू बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने पेंडिंग दूसरे मुद्दों के साथ जोड़ सकता है। ASG: ने कहा कि इन मामलों को हाईकोर्ट भेज सकते हैं। कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी मामले में ट्रांसफर याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में उठाए गए बड़े मुद्दों पर निर्णय ले सकता है, लेकिन याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका में चिकित्सा लापरवाही के सवालों को नहीं उठा सकता। ASG: सरकार ने कोविड वैक्सीन के प्रशासन की निगरानी के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित किया है, लेकिन आपदा प्रबंधन अधिकारी उन लोगों को कोई मुआवजा नहीं दे सकते है जो दुर्लभ मामलों में इसके दुष्प्रभावों के कारण मर सकते हैं। याचिकाकर्ता: कोविड-19 टीकों से जुड़ी अपेक्षाकृत कम संख्या में मौतों के लिए कोई मुआवजा क्यों नहीं दिया जा रहा है, जबकि लाखों लोगों को बीमारी के कारण ही मुआवजा दिया गया है। याचिकाकर्ता: कोविड से हुई मौते के मामले में 14 लाख से अधिक लोगों को मुआवजा दिया गया। बेशक कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कारण 200 लोगों की मौत हुई। वे इसके लिए भी मुआवजा क्यों नहीं दे सकते? कोविड के कारण ही वैक्सीनेशन हुआ। केरल हाईकोर्ट के पारित आदेश को बाधित नहीं किया जा सकता है। बेंच: केंद्र से इस मुद्दे पर निर्णय ले और अपना जवाब दाखिल करे। केरल हाईकोर्ट के आदेश को स्वीकार कर सकते हैं, एक नीति बना सकते हैं, निर्णय ले सकते हैं कि वे इसके हकदार हैं या नहीं और यदि वे हकदार हैं तो किस हद तक हैं। ASG: सरकार जवाब के साथ वापस आएगी और 3 सप्ताह का समय मांगा। हमने अभी तक यह निर्णय नहीं लिया है कि वे इसके दायरे में आते हैं या नहीं। हम एक या दूसरे तरीके से निर्णय लेंगे। केरल हाईकोर्ट ने दिए थे नीति तैयार करने के आदेश महिला की याचिका के बाद केरल हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की। पाया कि भले ही कोविड वैक्सीन के साइन इफेक्ट से मरने वालों का आंकड़ा कम बहुत कम हो, लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोगों के कोविड वैक्सीन के बाद के प्रभावों के कारण मृत्यु होने का संदेह है। हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को आदेश दिया था। इसमें कहा गया था कि कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट से मरने वाले लोगों की पहचान की जाए। उन पर डिपेंड लोगों की जानकारी निकाली जाए। इसके बाद उनको मुआवजा देने के लिए कोविड-19 वैक्सीनेशन होने वाली मौते के मामलों की पहचान करने के लिए एक नीति या दिशानिर्देश तैयार करें। हाईकोर्ट के इस आदेश को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगा दी। …………………………..
कोविड-19 से जुड़ी सुप्रीम कोर्ट की ये खबर भी पढ़ें… कोरोना वैक्सीन के साइड-इफेक्ट के आरोप वाली याचिका खारिज:सुप्रीम कोर्ट बोला- सोचिए वैक्सीन नहीं लेते तो क्या होता, याचिका सिर्फ सनसनी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोरोना वैक्सीन के कारण ब्लड क्लोटिंग जैसे साइड-इफेक्ट का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि जनहित याचिका सिर्फ सनसनी पैदा करने के लिए दायर की गई थी। पूरी खबर पढ़ें…
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