UK के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करेगा भारत:दोनों देशों के बीच 14 राउंड की बातचीत पूरी, जानें इससे भारत को क्या फायदा होगा?

भारत ने गुड्स और सर्विसेज के एक्सपोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए अपने ट्रेडिंग पार्टनर्स के साथ 13 फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTAs) और छह प्रेफरेंशियल यानी तरजीही समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों से भारत अपनी डोमेस्टिक इंडस्ट्री की पहुंच ग्लोबल मार्केट्स में बढ़ाना चाहता है। 2014 से देश ने मॉरीशस, UAE, ऑस्ट्रेलिया और EFTA (यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन) के साथ 3 ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत UK और EU के साथ इसी तरह के समझौतों पर एक्टिवली बातचीत कर रहा है। 24 फरवरी को कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल और UK के बिजनेस एंड ट्रेड सेक्रेटरी जोनाथन रेनॉल्ड्स ने दोनों देशों के बीच प्रस्तावित FTA के लिए बातचीत फिर से शुरू करने का ऐलान किया है। भारत-UK के बीच यह बातचीत 8 महीने से ज्यादा समय के बाद फिर से शुरू हो रही है। इससे पहले दोनों देशों के बीच बातचीत 13 जनवरी 2022 को शुरू हुई थी। अब तक 14 राउंड की वार्ता पूरी हो चुकी है। कितने टाइप के होते हैं ट्रेड एग्रीमेंट्स? फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स को उसके नेचर के हिसाब से अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। इनमें PTA (प्रेफरेंशियल), RTA (रीजनल) और BTA (बाइलेटरल) शामिल हैं। WTO इस तरह के सभी इकोनॉमिक इंगेजमेंट्स को RTA नाम देता है। PTA में कुछ वस्तुओं को ड्यूटी फ्री (भारत-थाईलैंड) कर दिया जाता है। वहीं CECA (कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक कॉर्पोरेशन एग्रीमेंट) या CEPA (कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट- भारत-कोरिया, जापान) या TEPA (ट्रेड एंड इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट)-इनका दायरा ज्यादा होता है। भारत ने किन देशों के साथ इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं? भारत ने श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, मॉरीशस, ASEAN और EFTA ब्लॉक्स के साथ ट्रेड एग्रीमेंट्स किए हैं। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, एशिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ डील हासिल करने के बाद भारत ने अपना FTA फोकस ईस्ट (ASEAN, जापान, कोरिया) से वेस्टर्न पार्टनर्स की ओर शिफ्ट कर दिया है। भारत अब एक्सपोर्ट्स का विस्तार करने और वेस्ट की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए UK, EU और US के साथ FTA को प्राथमिकता दे रहा है। FTA से भारत को मर्चेंडाइज ट्रेड में क्या फायदा होगा? भारत और UK के बीच प्रस्तावित बाइलेटरल इन्वेस्टमेंट ट्रीटी (BIT) क्या है? बाइलेटरल इन्वेस्टमेंट ट्रीटी एक-दूसरे के देशों में निवेश को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने में मदद करती है। इस तरह की बातचीत में विवादों को भी निपटाया जाता है। भारत चाहता है कि फॉरेन फर्म्स इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन यानी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का सहारा लेने से पहले लोकल ज्यूडिशियल उपायों का उपयोग करें, लेकिन इसके पार्टनर्स इंडियन ज्यूडिशियल प्रोसीडिंग्स के डिले नेचर के कारण विरोध करते हैं। GTRI का कहना है कि बाइलेटरल इन्वेस्टमेंट ट्रीटी पर हस्ताक्षर और निवेश में ग्रोथ के बीच लिंक दिखाने के लिए कोई निर्णायक रिसर्च अवेलेबल नहीं है। हालांकि, यह निवेशकों को नियमों में मनमाने बदलावों के खिलाफ आश्वासन प्रदान करती है और इस प्रकार निवेश को बढ़ावा देती है।