देर-सबेर गहलोत को छोड़नी होगी मुख्यमंत्री की कुर्सी, लेकिन पायलट को भी नहीं मिलेगी; किसी तीसरे की ताजपोशी हो सकती है

राहुल गांधी और सचिन पायलट की मुलाकात के बाद राजस्थान के सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। 32 दिन बाद हुई इस मुलाकात से यह तय है कि गहलोत सरकार पर संकट के बादल छंट गए हैं। लेकिन सवाल है कि आखिर एक महीने से अपनी मांगों पर अड़े सचिन पायलट क्यों मान गए? क्या पायलट के सामने रास्ते बंद हो गए थे या फिर आलाकमान पायलट की कुछ शर्तों को मान गया।

अब आगे क्या हो सकता है?

1. गहलोत सरकार आसानी से बच जाएगी
दिल्ली में राहुल गांधी और सचिन पायलट की मुलाकात के बाद यह माना जा रहा है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुर्सी फिलहाल कुछ महीने के लिए बच सकती है। यानी मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि बागी विधायक सदन में गहलोत सरकार का समर्थन करेंगे।

2. तुरंत नहीं, लेकिन कुछ महीनों बाद गहलोत को कुर्सी छोड़नी होगी
राजनीतिक जानकार और कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि राहुल-पायलट की मुलाकात में यह साफ हो चुका है कि कांग्रेस तुरंत मुख्यमंत्री बदलने को राजी नहीं है, क्योंकि इससे गलत संदेश जाएगा, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने पायलट से वादा किया कि है कुछ महीनों बाद राजस्थान का मुख्यमंत्री बदला जाएगा। कांग्रेस ने पायलट से कहा है कि एडजस्टमेंट के लिए थोड़ा इंतजार करें।

3. सचिन के हाथ भी नहीं लगेगा सीएम पद
राहुल-पायलट की मुलाकात के बाद यह तो तय हुआ है कि कुछ महीने बाद राजस्थान में सीएम बदलेगा। हालांकि, जानकारों का कहना है कि नए फार्मूले में सचिन के हाथ सीएम का पद आना मुश्किल है, क्योंकि गहलोत खेमा उनके सीएम बनने का विरोध करेगा। ऐसे में मुख्यमंत्री कोई तीसरा ही बन सकता है।

4. बागी विधायकों में से जो मंत्री थे, वे फिर मंत्री बनेंगे
यह भी चर्चा है कि बागी विधायकों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा। यह वादा भी किया गया है कि पायलट खेमे के जो बागी मंत्री थे, उन्हें फिर मंत्री पद दिया जाएगा। भले ही यह तुरंत न हो, लेकिन इसके लिए जल्द मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा।

सुलह की बातचीत के लिए क्यों मान गए पायलट?
कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बागी तेवर के बाद भी अंदरखाने पायलट की वापसी के प्रयास चल रहे थे। पायलट को उम्मीद थी कि उनके साथ 30 विधायक आ जाएंगे, लेकिन उन्हें सिर्फ 22 विधायकों का ही समर्थन मिला। भाजपा में वसुंधरा राजे की चुप्पी से भी पायलट को संदेश गया कि वे गहलोत सरकार गिराने के पक्ष में नहीं हैं। 32 दिनों के घटनाक्रम के बाद कोई हल न निकलता देख पायलट खेमे के कुछ विधायक भी सुलह का दबाव बना रहे थे।

राजस्थान की सियासत से जुड़ी ये खबर भी आप पढ़ सकते हैं…

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें


Sachin’s homecoming is being done under the agreement, Gehlot will have to leave the chair sometime soon, a third person will get a chance