हनुमानजी और सुरसा का प्रसंग, जब बड़ा लक्ष्य हासिल करना हो तो चतुराई से लेना चाहिए काम, बिना वजह समय बर्बाद नहीं करना चाहिए

रामायण में हनुमानजी के कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें समस्याओं को दूर करने के सूत्र बताए गए हैं। अगर इन सूत्रों का ध्यान रखा जाए तो हम जल्दी ही अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। श्रीरामचरित मानस के सुंदरकांड में हनुमानजी जब सीता की खोज में समुद्र पार कर रहे थे, तब उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। सुरसा नाम की राक्षसियों ने हनुमानजी को समुद्र पार करने से रोकना चाहा था, लेकिन वे इन परेशानियों से रुके नहीं।

हनुमानजी ने ऐसे पार की सुरसा नाम की बाधा

हनुमानजी ने समुद्र पार करते समय सुरसा से लड़ने में समय नहीं गंवाया। सुरसा हनुमान को खाना चाहती थी। उस समय हनुमानजी ने अपनी चतुराई से पहले अपने शरीर का आकार बढ़ाया और अचानक छोटा रूप कर लिया। छोटा रूप करने के बाद हनुमानजी सुरसा के मुंह में प्रवेश करके वापस बाहर आ गए। हनुमानजी की इस चतुराई से सुरसा प्रसन्न हो गई और रास्ता छोड़ दिया। चतुराई की यह कला हम हनुमानजी से सीख सकते हैं।

प्रसंग की सीख

हमें भी कदम-कदम पर कई बार ऐसी ही बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी बाधाओं से डरे नहीं। बिना समय गंवाए आगे बढ़ते रहना चाहिए। अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने की कला हम हनुमानजी से सीख सकते हैं।

ये है सुंदरकांड का संक्षिप्त प्रसंग

रावण देवी सीता का हरण करके लंका ले गया था। सीता की खोज के लिए हनुमानजी समुद्र पार करके लंका पहुंच गए थे। लंका में उनकी भेंट विभीषण से हुई। इसके बाद अशोक वाटिका में हनुमानजी और सीता की भेंट हुई। रावण के दरबार हनुमानजी को बंदी बनाकर लाया गया था। इसके बाद हनुमानजी ने लंका में आग लगा दी और सीता की खोज करके वे श्रीराम के पास लौट आए थे।

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