शिक्षा का न तो उम्र से कोई लेना-देना है न ही पद-प्रतिष्ठा से। आमतौर पर यह समझा जाता है कि पढ़ाई, जीवन में बड़ा पद या अच्छी नौकरी पाने के लिए की जाती है। लेकिन, असल में पढ़ाई का महत्व पद मिलने के बाद भी बना रहता है। इसका जीता – जागता उदाहरण हैं झारखंड सरकार में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो। उन्होंने 52 वर्ष की आयु में 11वीं कक्षा में प्रवेश लेकर एक नई मिसाल कायम की है।
खुद कॉलेज काउंटर पर पहुंचकर लिया एडमिशन
10वीं पास शिक्षा मंत्री जगरनाथ ने सोमवार को झारखंड के नावाडीह स्थित देवी महतो स्मारक इंटर कॉलेज में 11वीं कक्षा में नामांकन कराया। कला संकाय के विद्यार्थी के रूप में उन्होंने खुद कॉलेज काउंटर पर पहुंचकर नामांकन संबंधी औपचारिकताएं पूरी कीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि सामान्य विद्यार्थियों की तरह रेगुलर क्लास कर वे इंटर की परीक्षा पास करेंगे।
पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई करके सीखना है राजनीति के गुर
जगरनाथ महतो ने बताया कि उन्हें पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई करके बेहतर राजनीति के गुर सीखना है। उन्होंने कहा कि जिस दिन शिक्षा मंत्री के लिए उन्होंने शपथ ली थी, उसी दिन कुछ विरोधियों ने व्यंग्य किया था कि 10वीं पास शिक्षा मंत्री राज्य में शिक्षा के विकास के लिए भला क्या कर पाएंगे? उसी दिन मन में निश्चय कर लिया था कि आगे की पढ़ाई जरूर पूरी करेंगे और बच्चों को पढ़ाएंगे भी।
25 साल पहले सेकंड डिवीजन से पास की थी 10वीं की परीक्षा
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने साल 1995 में नेहरु उच्च विद्यालय, तेलो से मैट्रिक की परीक्षा सेकंड डिवीजन से पास की थी। इससे पहले उन्होंने अलारगो स्थित प्रावि में प्रारंभिक शिक्षा गुरु शिवनारायण सिंह के दिशा-निर्देश में हासिल की थी। फिर 5वीं तक की पढाई प्रावि तारम्बी में गुरु लखन गिरि के नेतृत्व में की। इसके बाद मिडिल (वर्ग- 7) तक की पढ़ाई मवि जुनौरी में गुरुजी भोला झा की देखरेख में पूरी की। मंत्री ने कहा- पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है।
अब करीब से देखेंगे विद्यार्थियों की समस्याएं
नामांकन लेने के बाद मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि वह खुद पढ़कर विद्यार्थियों की समस्याओं को करीब से देखकर आवश्यक सुधार के लिए शिक्षा मंत्री की हैसियत से कार्रवाई करेंगे। अपने राजनीतिक गुरु स्व. बिनोद बिहारी महतो की प्रेरणा से 2005 में पहली बार विधायक बनने के बाद 2006 में उन्होंने यहां के लोगों के सहयोग से देवी महतो इंटर कॉलेज की स्थापना की थी। शिक्षा मंत्री होकर अपनी अधूरी शिक्षा पर को पूरा करने के लिए इसी कॉलेज में एडमिशन लेने का फैसला किया।