नगर निगम से अनुमति लिए बगैर चिमनीबाई चौक के आसपास खोखे अलाट करने वाली स्ट्रीट वेंडर कंपनी को निगम कमिश्नर डॉ. यश गर्ग ने तलब कर उससे एक माह के अंदर कांट्रैक्ट के कागजात जमा करने का आदेश दिया है। कंपनी को चेतावनी दी गई है यदि वह कागजात पेश नहीं करती है तो कान्ट्रैक्ट कैंसिल कर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी लागू की थी। इसका मकसद शहर में बेतरतीब तरीके से रेहड़ी पटरी लगने से ट्रैफिक बाधित होने की समस्या को खत्म कर लोगों को कारोबार करने के लिए एक निर्धारित स्थान उपलब्ध कराना है।
निगम ने एक निजी कंपनी से संपर्क कर उसे सर्वे करने का कान्ट्रैक्ट दे दिया। कंपनी ने करीब 16 हजार से अधिक रेहड़ी पटरी दुकानदारों की सूची तैयार की। ये लोग पूरे शहर में अलग-अलग स्थानों पर दुकानें लगाते हैं। निगम ने इन लोगों को विभिन्न स्थानों पर दुकानें अलॉट करने की योजना तैयार की। सेक्टर-15 मार्केट में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया था। लेकिन स्थानीय दुकानदारों के विरोध के चलते योजना परवान नहीं चढ़ पाई। यह मामला अब कोर्ट में चला गया। इससे प्रोजेक्ट पर रोक लग गई। इसके बावजूद कंपनी ने दुकान अलॉट करना शुरू कर दिया। चिमनीबाई चौक के पास कई लोगों ने दुकानें भी शुरू कर दी हैं।