कैबिनेट ने चंद्रयान -4 मिशन को मंजूरी दे दी है। इस मिशन का उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा पर उतारना, सैंपल कलेक्ट करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। कैबिनेट ने वीनस ऑर्बिटर मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की स्थापना को भी मंजूरी दे दी। दोनों मिशन्स को को 2028 तक लॉन्च करने का प्लान बनाया गया है। 1. चंद्रयान -4 मिशन: इस मिशन में चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी (रेगोलिथ) को पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा। मिशन में दो अलग-अलग रॉकेट का इस्तेमाल होगा। हेवी-लिफ्टर LVM-3 और इसरो का रिलायबल वर्कहॉर्स PSLV इस अलग-अलग पेलोड लेकर जाएंगे। स्टैक 1 में लूनर सैंपल कलेक्शन के लिए एसेंडर मॉड्यूल और सतह पर लूनर सैंपल कलेक्शन के लिए डिसेंडर मॉड्यूल शामिल हैं। स्टैक 2 में थ्रस्ट के लिए एक प्रोपल्शन मॉड्यूल, सैंपल होलेड के लिए ट्रांसफर मॉड्यूल और सैंपल को पृथ्वी पर लाने के लिए री-एंट्री मॉड्यूल शामिल है। 2. वीनस ऑर्बिटर मिशन: 1,236 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। इसे मार्च 2028 में लॉन्च किया जाना है। VOM का प्राइमरी ऑब्जेक्टिव शुक्र की सतह और वायुमंडल के साथ-साथ शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना है। 3. भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन: कैबिनेट ने गगनयान प्रोग्राम का दायरा बढ़ाकर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस-1) के पहले मॉड्यूल के विकास को भी मंजूरी दे दी है। रिवाइज्ड गगनयान प्रोग्राम में BAS-1 यूनिट सहित आठ मिशन शामिल हैं। इसे दिसंबर 2028 तक पूरा किया जाना है। गगनयान प्रोग्राम की टोटल फंडिंग को 11,170 करोड़ रुपए बढ़ाकर 20,193 करोड़ रुपए कर दिया गया है। ‘गगनयान’ में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 गगनयात्री को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा। भारत अपने मिशन में कामयाब रहा तो वो ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इसे पहले अमेरिका, चीन और रूस ऐसा कर चुके हैं। PM मोदी ने 2018 में गगनयान मिशन की घोषणा की थी साल 2018 में, PM मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में गगनयान मिशन की घोषणा की थी। 2022 तक इस मिशन को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई। अब 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत तक इसके पूरा होने की संभावना है। गगनयान मिशन के लिए करीब 90.23 अरब रुपए का बजट आवंटित किया गया है।