सेहतनामा- आयुर्वेद में 100 बीमारियों की एक दवा है गिलोय:इसे कब और कैसे खाएं, क्या सावधानियां बरतें, किसे गिलोय नहीं खाना चाहिए

कोरोना काल में पहली बार ये हुआ कि लोग घरों में कैद हो गए। सड़कें सूनी पड़ी थीं। टीवी पर रामानंद सागर की रामायण चल रही थी। ऐसा लगा रहा था, मानो हम सब कुछ साल पीछे लौट आए हैं। इन दिनों पुराने समय की इलाज की पद्धतियां भी अचानक प्रासंगिक हो गईं। लोग अंग्रेजी दवा से अधिक भरोसा आयुर्वेद के काढ़े पर जता रहे थे। इसमें सबसे अधिक इस्तेमाल गिलोय का हो रहा था। आयुर्वेद में इसे बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। संस्कृत में इसे गुरुचि या अमृता भी कहा जाता है। गिलोय के ढेरों स्वास्थ्य लाभ होते हैं। अगर इसका सही मात्रा में सेवन किया जाए तो यह वायु, पित्त और कफ तीनों तरह के दोषों को खत्म कर सकती है। अपने इस विशेष गुण के कारण ही इसे त्रिदोष शामक औषिध (तीनों दोषों को नाश करने वाली औषधि) भी कहा जाता है। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे गिलोय की। साथ ही जानेंगे कि- गिलोय को क्यों कहा जाता है अमृता गिलोय को जीवनदायिनी कहा जाता है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति विकसित होने से पहले दवाएं लैब में नहीं तैयार होती थीं। ये हमारे घर के बगीचे या आसपास के जंगलों से लाई गई पत्तियों और जड़ों से तैयार की जाती थीं। जब कोई संक्रामक बीमारी फैलती तो पूरे गांव-के-गांव सिमटने लगते थे। लोग जीवन की आशा खो देते थे, तब गिलोय अपनी एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टी से लोगों की जान बचा लेती थी। इसीलिए इसे संस्कृत में गुरुचि या अमृती भी कहते हैं। कहने का आशय ये है कि गिलोय जीवनदायिनी है। एंटीमाइक्रोबियल गुणों से भरपूर गिलोय डॉ. अजय कहते हैं कि गिलोय में अद्भुत औषधीय गुण होते हैं। इसमें मौजूद एंटीपायरेटिक गुण बुखार से निजात दिलाते हैं। एंटीमाइक्रोबियल गुणों के कारण डेंगू और मलेरिया जैसे संक्रमणों में राहत मिलती है। जबकि इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण किसी भी तरह की सूजन में राहत दिलाते हैं। 100 से ज्यादा बीमारियों को रखती है दूर डॉ. अजय कहते हैं कि गिलोय आयुर्वेद की ऐसी दवा है, जिससे एक साथ कई बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। इससे शरीर की छोटी-बड़ी लगभग 100 से ज्यादा परेशानियां दूर हो सकती हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं कि परंपरागत रूप से गिलोय की मदद से किन बीमारियों का इलाज किया जाता रहा है। रक्त विकार में है फायदेमंद खून में किसी तरह का विकार होने पर इसे शुद्ध करने के लिए गिलोय का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर रक्त विकार से हुए कील-मुंहासे गिलोय का सेवन करने से खत्म हो जाते हैं। त्वचा के विकारों में भी लाभकारी यह एग्जिमा जैसे त्वचा विकार को खत्म करने के भी काम आती है। डॉ. अजय कहते हैं कि आचार्य चरक ने गिलोय को त्वचा के किसी भी रोग में फायदेमंद बताया है। हाथ-पैर में जलन से राहत देती है अगर हाथ-पैर या आंखों में जलन हो रही है, आंखों से आंसू निकलना नहीं बंद हो रहे हैं, यूरिन पास होने में जलन हो रही है तो मिश्री के साथ गुरुचि के पाउडर का सेवन करने से लाभ होता है। डायबिटिक लोगों के लिए फायदेमंद डायबिटिक लोगों के ब्लड में शुगर लेवल बढ़ जाता है, जो यूरिन के जरिए शरीर से बाहर निकलता है। इसलिए किडनी पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। ऐसे में नीम के ऊपर लगी गिलोय लेने से लाभ होता है। डेंगू और मलेरिया में भी लाभकारी डेंगू और मलेरिया जैसे बुखार में पपीता के पत्तों के साथ गिलोय का सेवन करने से लाभ मिलता है। इससे बीमारी दूर होने के साथ रिकवरी में भी तेजी आती है। इम्यूनिटी को करती है मजबूत गिलोय अपनी एंटीमाइक्रोबियल प्रॉपर्टीज के लिए तो जानी ही जाती है। साथ ही यह इम्यूनिटी बूस्टर भी है। इसलिए कोरोना काल में इसका काढ़ा बनाकर पीने से लोगों को लाभ मिला। इससे टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और इम्यूनिटी मजबूत होती है। त्वचा के लिए भी उपयोगी गिलोय किसी भी तरह की स्किन एलर्जी में तो लाभकारी है ही, यह स्किन के टेक्सचर को भी सही रखती है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स हमारी स्किन को मुलायम और चमकदार बनाए रखते हैं। झुर्रियां नहीं आती हैं। इसलिए गिलोय का सेवन करने से लोग लंबे समय तक जवान दिखते रहते हैं। गिलोय की मेडिसिनल प्रॉपर्टीज वनडाइटटुडे की फाउंडर और न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. अनु अग्रवाल के मुताबिक, गिलोय एक ऐसी शॉप की तरह है, जहां एक साथ सबकुछ मिल जाता है। इसका मतलब है कि अगर गिलोय के काढ़े का लगातार सेवन किया जाए तो इससे ज्यादातर बीमारियां दूर रहती हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडायबिटिक, एंटीस्पाज्मोटिक जैसे तमाम गुण होते हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं। गिलोय का सेवन कैसे करें न्यूट्रिशनिस्ट अनु अग्रवाल के मुताबिक हम गिलोय का जूस बनाकर पी सकते हैं और पाउडर फॉर्म में भी इसका सेवन किया जा सकता है। गिलोय का जूस कैसे बनाएं: सबसे पहले गिलोय के छोटे-छोटे टुकड़े लें। अगर तना उपलब्ध नहीं है तो इसकी पत्तियां और जड़ भी उतनी ही लाभकारी होती हैं। इसे अच्छी तरह से कूट लें। अब इसे रात में थोड़े पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इसे मसलकर छान लें। यह गिलोय का जूस है, जिसे हिम भी कहते हैं। इसे एक या दो चम्मच ही पिएं। अगर स्वाद कड़वा लग रहा है तो पानी में मिलाकर भी पी सकते हैं। अगर इसे बनाने में मुश्किल हो रही है तो बाजार से पाउडर भी खरीद सकते हैं। गिलोय का पाउडर भी लाभकारी है: बाजार में गिलोय का पाउडर मिल जाता है, जो लंबे समय तक खराब नहीं होता है। इसे गिलोय के तने और पत्तियों को सुखाकर और कूटकर तैयार किया जाता है। इसे पानी में उबालकर और छानकर पी सकते हैं। गिलोय के साइड इफेक्ट और सावधानियां डॉ. अजय कुमार बताते हैं कि गिलोय के सेवन को लेकर कुछ सावधानियां बरतना भी जरूरी है। नीचे दिए पॉइंट्स में देखें–