चीन की परमाणु पनडुब्बी डूबने का दावा:सैटेलाइट इमेज में नजर नहीं आ रही; अमेरिका बोला- ड्रैगन के लिए यह शर्मनाक

चीन की एक नई परमाणु पनडुब्बी मई या जून में समुद्र में डूब गई। घटना वुहान के पास वुचांग शिपयार्ड में हुई। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक इस घटना का खुलासा सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ है। डूबने वाली पनडुब्बी झाओ क्लास कैटगरी की थी और परमाणु ऊर्जा से चलती थी। रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारियों ने पनडुब्बी हादसे को छिपाने की काफी कोशिश की होगी। यही वजह है कि खुलासे में देर हुई। वॉशिंगटन में चीनी एंबेसी के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनके पास इससे जुड़ी कोई जानकारी नहीं है। 16 मई के बाद लापता हुआ सबमरीन
10 मार्च को मैक्सार टेक्नोलॉजीज की सैटेलाइट इमेज में झोउ-क्लास सबमरीन को वुहान के पास शिपयार्ड में खड़े दिखाया गया था। इस सबमरीन को उसकी लंबी टेल से पहचाना जाता है। इसके बाद इसे प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट इमेज में 16 मई को भी देखा गया। जून के आखिर में यहां की और तस्वीरें ली गईं जिसमें इसे नहीं देखा गया। सैटेलाइट इमेज पर रिसर्च करने वाले टॉम शुगार्ट ने सबसे पहले इसकी जानकारी दी। इसके बाद वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस पर स्टोरी की। शुगार्ट ने कहा कि पहले उन्हें लगा कि कोई पनडुब्बी डूब गई होगी। लेकिन बाद में पता चला कि वह तो परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी थी। उन्होंने कहा, “क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि सैन डिएगो में एक अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी डूब जाए और सरकार इसे दबा दे और किसी को इसके बारे में न बताए? ये मुमकिन नहीं है।” पनडुब्बी को लेकर चीन ने कोई जानकारी नहीं दी
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक पनडुब्बी को बचा लिया गया है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इसे फिर से काम पर लगने में कई महीने लग सकते हैं। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने भी अब तक इस घटना की कोई पुष्टि नहीं की है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यह पता नहीं चल पाया है कि इसके डूबने का कारण क्या था। जब ये डूबी तब उसमें न्यूक्लियर फ्यूल था या नहीं इसकी भी जानकारी नहीं है। इस हादसे में कोई हताहत हुआ या नहीं इसका भी पता नहीं चला है। चीनी इक्वीपमेंट्स की क्वालिटी पर उठे सवाल
एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने CNN से कहा कि चीन का डिफेंस सेक्टर भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। यह घटना PLA की जवाबदेही पर सवाल खड़े करती है। एक दूसरे अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यह बीजिंग के लिए एक शर्मिंदगी की तरह है, जो नेवी के विस्तार में जुटा हुआ है। चीन मिलिट्री पावर रिपोर्ट 2023 के मुताबिक चीन के पास 6 न्यूक्लियर फ्यूल बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, 6 न्यूक्लियर फ्यूल पावर अटैक पनडुब्बी और 48 डीजल अटैक पनडुब्बी थीं। परमाणु पनडुब्बी दो तरह की होती हैं। बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी और पावर अटैक पनडुब्बी। बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी ज्यादा ताकतवर होती है। वहीं, अमेरिका के पास 53 तेज गति से हमला करने वाली पनडुब्बी, 14 बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी और चार गाइडेड मिसाइल पनडुब्बी हैं। अमेरिका का पूरा पनडुब्बी बेड़ा परमाणु ऊर्जा से चलता है। चीन अपनी पनडुब्बियों की संख्या को साल 2025 तक 65 और साल 2035 तक 80 तक बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है। चीन के पास पहले से ही 370 से अधिक जहाजों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। चीन ने अब न्यूक्लियर फ्यूल से जलने वाले हमलावर पनडुब्बियों की एक नई पीढ़ी का उत्पादन शुरू कर दिया है। ये खबर भी पढ़ें… चीन ने इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया:डमी वॉरहेड के साथ दागी, प्रशांत महासागर में 44 साल बाद टेस्टिंग की चीन ने बुधवार को इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) की सफल टेस्टिंग की है। इस मिसाइल में एक डमी वॉरहेड लगाया गया था। BBC के मुताबिक, 1980 के बाद यह पहली बार है जब चीन ने प्रशांत महासागर में ICBM मिसाइल का परीक्षण किया है।पूरी खबर पढ़ें…