तालिबान बोला-अफगानिस्तान में महिलाओं से भेदभाव नहीं होता:उन्हें सारे अधिकार मिले; हॉलीवुड एक्ट्रेस ने कहा था- गिलहरी और बिल्लियां अफगानी महिलाओं से ज्यादा आजाद

तालिबान ने चर्चित हॉलीवुड अभिनेत्री मेरिल सट्रीप के अफगान महिलाओं को लेकर दिए गए बयान पर पलटवार किया है। तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होता है। ऐसे आरोप लगाना बेतुका है। तालिबान प्रवक्ता हमदुल्ला फितरत ने कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं को मानवाधिकार की रक्षा की जाती है। किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। कुछ महिलाएं तालिबान के खिलाफ दुष्प्रचार करती हैं। तालिबान के एक और प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने बीबीसी से कहा कि महिलाओं को उन अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सका, जो इस्लाम ने उन्हें दिए हैं। उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंध इस्लामी शरीयत कानून के मुताबिक हैं। इससे पहले मेरिल स्ट्रीप ने ने यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में सोमवार को भाषण दिया था। उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान में महिलाओं से ज्यादा बिल्ली और गिलहरियों के पास आजादी है। स्ट्रीप ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद से महिलाओं पर कई प्रतिबंध लाद दिए गए हैं। अफगानिस्तान में जानवर भी आजाद घूम सकते हैं, अफगान महिलाओं को छिपने के लिए मजबूर किया जाता है। यह बेहद अजीब है और प्रकृति के नियमों के भी खिलाफ है। मेरिल स्ट्रीप ने कहा- मैंने 1971 में ग्रैजुएशन किया था। उस साल स्विट्जरलैंड में महिलाओं को वोटिंग राइट्स मिले। अफगानिस्तान में महिलाओं को पहले ही ये अधिकार मिल चुका था। वे 1919 से अपने वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल कर रही हैं। अमेरिका में भी महिलाओं को वोटिंग राइट्स इसके बाद ही मिला। मेरिल स्ट्रीप ने कहा कि जिस तरह से अफगानिस्तान में सामाजिक पतन हुआ है वह दुनियाभर के लिए एक सबक है। वहां 70 के दशक में महिलाएं जज होती थीं, वकालत करती थीं। लगभग हर फील्ड में नौकरी कर रही थीं। अब उनके सारे अधिकार छीन लिए गए हैं। अभिनेत्री ने आगे कहा कि एक बिल्ली अपने दरवाजे पर बैठ सकती है। अपने चेहरे पर सूरज की रोशनी महसूस कर सकती है। वह पार्क में गिलहरी का पीछा कर सकती है। एक पक्षी काबुल में गा सकती है, लेकिन एक लड़की ऐसा नहीं कर सकती है। वे सड़कें, पार्क और सार्वजनिक जगह, जो कभी उनके लिए खुले थे, अब उनसे छीन लिए गए हैं। अब वहां ऐसा दम घोंटने वाला सिस्टम बन चुका है जो उन्हें जीवन की बुनियादी खुशियां भी हासिल नहीं करने देता।