AI के गॉडफादर और अमेरिकी वैज्ञानिक को फिजिक्स का नोबेल:मशीन लर्निंग से जुड़ी नई तकनीक के विकास के लिए सम्मान, 8.90 करोड़ मिलेंगे

फिजिक्स के नोबेल प्राइज 2024 की घोषणा हो गई है। इस साल ये प्राइज AI के गॉडफादर कहे जाने वाले जैफ्री ई. हिंटन और अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन जे. होपफील्ड को मिला है। उन्हें मशीन लर्निंग से जुड़ी नई तकनीकों के विकास के लिए ये सम्मान मिला है जो आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स पर आधारित है। प्राइज की घोषणा रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस ने स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में की। दोनों विजेताओं को 8.90 करोड़ की राशि मिलेगी, जिसे दोनों में बराबर बांट दिया जाएगा। इससे पहले सोमवार यानी, 7 अक्टूबर को मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल प्राइज विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को मिला। उन्हें ये प्राइज माइक्रो RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) की खोज के लिए दिया गया है। नोबेल प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन 14 अक्टूबर तक तक चलेगा। फिजिक्स में 2023 का नोबेल जीतने वाले वैज्ञानिक फिजिक्स में 2023 का नोबेल प्राइज पियरे ऑगस्टिनी, फेरेंस क्राउसज और एनी हुलियर को मिला था। इन वैज्ञानिकों को इनके एक एक्सपेरिमेंट के लिए नोबेल मिला था, जिससे एटम और मोलिक्यूल्स में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स की दुनिया को समझने में अहम मदद मिलती है। अब फिजिक्स क्षेत्र में नोबेल प्राइज के बारे में जानते हैं…
27 नवंबर 1895 को अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी अंतिम वसीयत और वसीयतनामा पर हस्ताक्षर किए। इससे उन्होंने अपने वसीयत का सबसे बड़ा हिस्सा पुरस्कारों की एक सीरीज, नोबेल प्राइज को दे दिया। नोबेल प्राइज फिजियोलॉजी, मेडिसिन, फिजिक्स, केमिस्ट्री, लिटरेचर, पीस और इकोनॉमिक साइंस के क्षेत्र में दिया जाता है। अल्फ्रेड के वसीयतनामा के मुताबिक, फिजिक्स नोबेल प्राइज उस व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने फिजिक्स क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण खोज या आविष्कार किया होता है। 1921 से 2023 तक फिजिक्स में कुल 119 नोबेल प्राइज दिए गए हैं। 1916, 1931, 1934, 1940-41 और 1942 में फिजिक्स नोबेल प्राइज नहीं दिए गए थे। इसका निर्णय नोबेल फाउंडेशन ने लिया था। नोबेल फाउंडेशन नियम के मुताबिक यदि कोई खोज या आविष्कार तय मापदंड के पैमाने पर खरा नहीं उतरता, तो पुरस्कार राशि अगले वर्ष तक के लिए आरक्षित रख ली जाती है । वर्ल्ड वॉर-1 और 2 के दौरान कम नोबेल पुरस्कार दिए गए थे। भारत के सी.वी रमन को मिला था फिजिक्स का नोबेल
भारत के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन को 1930 में फिजिक्स नोबेल पुरस्कार मिला था। 1928 में सीवी रमन ने साबित किया था कि जब किसी पारदर्शी वस्तु के बीच से प्रकाश की किरण गुजरती है, तो उसकी वेवलेंथ (तरंग दैर्ध्य) में बदलाव दिखता है। इस आविष्कार को उन्होंने अपना ही नाम दिया, जिसे रमन इफेक्ट कहा जाता है। उनके इसी आविष्कार के लिए उन्हें फिजिक्स नोबेल पुरस्कार दिया गया था। सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को दक्षिण भारत के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। रमन ने 1907 में असिस्टेंट अकाउंटेंट जनरल की नौकरी की, लेकिन हमेशा से विज्ञान ही उनका पहला प्यार रहा। वे किसी न किसी तरह लैबोरेटरी में पहुंचकर अपनी रिसर्च करते रहते थे। 1917 में उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ी और कलकत्ता यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर हो गए। यहीं पर 28 फरवरी 1928 को उन्होंने केएस कृष्णन समेत अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर रमन इफेक्ट की खोज की। यही कारण है कि इस दिन को भारत में हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। रमन को विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए 1954 में भारत रत्न से नवाजा गया था। रमन इफेक्ट का इस्तेमाल आज भी कई जगहों पर हो रहा है। जब चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी होने की घोषणा की तो इसके पीछे भी रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का ही कमाल था। फोरेंसिक साइंस में भी रमन इफेक्ट काफी उपयोगी साबित हो रहा है। अब यह पता लगाना आसान हो गया है कि कौन-सी घटना कब और कैसे हुई थी। ———————————————————————- नोबेल प्राइज से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… मेडिसिन का नोबेल दो अमेरिकी वैज्ञानिकों को:माइक्रो RNA की खोज के लिए मिला सम्मान, ये कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियों की पहचान में मददगार नोबेल प्राइज 2024 के लिए विजेताओं की घोषणा आज यानी सोमवार, 7 अक्टूबर से शुरू हो गई है। आज मेडिसिन या फिजियोलॉजी के क्षेत्र में नोबेल प्राइज की घोषणा की गई है। 2024 के मेडिसिन का नोबेल प्राइज विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को मिला है। उन्हें ये प्राइज माइक्रो RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) की खोज के लिए दिया गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…