रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग का आज यानी 9 अक्टूबर को आखिरी दिन है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली इस मीटिंग में ब्याज दर पर फैसला लिया जाएगा। गवर्नर आज मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी देंगे। एक्सपर्ट्स के अनुसार इस बार भी रेपो रेट में बदलाव की उम्मीद नहीं है। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की पिछली मीटिंग अगस्त में हुई थी, जिसमें कमेटी ने लगातार 9वीं बार दरों में बदलाव नहीं किया था। ये मीटिंग हर दो महीने में होती है। RBI ने आखिरी बार फरवरी 2023 में दरें 0.25% बढ़ाकर 6.5% की थीं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.5% की कटौती की इससे पहले 18 सितंबर को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.5% की कटौती की थी। चार साल बाद की गई इस कटौती के बाद ब्याज दरें 4.75% से 5.25% के बीच हो गईं। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है, ऐसे में इसके सेंट्रल बैंक के हर बड़े फैसले का असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है। 2020 से रिजर्व बैंक ने 5 बार में 1.10% ब्याज दरें बढ़ाईं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कोरोना के दौरान (27 मार्च 2020 से 9 अक्टूबर 2020) दो बार ब्याज दरों में 0.40% की कटौती की। इसके बाद अगली 10 मीटिंग्स में सेंट्रल बैंक ने 5 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, चार बार कोई बदलाव नहीं किया और एक बार अगस्त 2022 में 0.50% की कटौती की। कोविड से पहले 6 फरवरी 2020 को रेपो रेट 5.15% पर था। भारत में मार्च 2025 तक 0.50% की कटौती हो सकती है महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है पॉलिसी रेट किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है। इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। जानिए महंगाई के आंकड़े क्या कहते हैं? 1. अगस्त में रिटेल महंगाई 5.08% रही थी 12 सितंबर को जारी रिटेल महंगाई के आकंडों के अनुसार अगस्त महीने में रिटेल महंगाई बढ़कर 3.65% हो गई थी। जुलाई महीने में ये 3.54% पर थी। सब्जियों के महंगे होने से अगस्त महीने में रिटेल महंगाई बढ़ी थी। RBI की महंगाई को लेकर रेंज 2%-6% है। 2. जून में थोक महंगाई 3.36% रही थी जून में थोक महंगाई 16 महीनों के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई थी। 15 जुलाई को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, जून में थोक महंगाई बढ़कर 3.36% रही। फरवरी 2023 में थोक महंगाई दर 3.85% रही थी। खाद्य महंगाई मई के मुकाबले 7.40% से बढ़कर 8.68% हो गई। रोजाना की जरूरत वाला सामान सस्ता होने से अगस्त महीने में थोक महंगाई घटकर 1.31% पर आ गई थी। ये इसके 4 महीने का निचला स्तर था। अप्रैल में ये 1.26% पर थी। वहीं एक महीने पहले जुलाई में थोक महंगाई घटकर 2.04% पर आ गई थी। महंगाई कैसे प्रभावित करती है? महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।