प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को महाराष्ट्र के चंद्रपुर पहुंचे। यहां उन्होंने चिमूर में कहा- कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी वाले देश को पीछे करने का और कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। कांग्रेस और उसके साथियों ने आपको सिर्फ खूनी खेल दिए हैं। ये हमारी सरकार है जिसने नक्सलवाद पर लगाम लगाई। PM बोले- हमने जम्मू-कश्मीर से 370 को खत्म किया। कश्मीर को भारत और भारत के संविधान से पूरी तरह जोड़ा। लेकिन कांग्रेस और उसके साथी कश्मीर में फिर से 370 लागू करने के लिए प्रस्ताव पास कर रहे हैं। ये लोग वो काम कर रहे हैं जो पाकिस्तान चाहता है। PM की स्पीच 3 पॉइंट में… 1. नक्सलवाद पर
प्रधानमंत्री ने कहा- हमारे चंद्रपुर के इस क्षेत्र ने भी दशकों तक नक्सलवाद की आग को झेला है। यहां नक्सलवाद के कुचक्र में कितने ही युवाओं का जीवन बर्बाद हो गया। हिंसा का खूनी खेल चलता रहा, औधोगिक संभावनाओं ने यहां दम तोड़ दिया। कांग्रेस और उसके साथियों ने आपको सिर्फ और सिर्फ खूनी खेल दिए हैं। हमारी सरकार ने नक्सलवाद पर लगाम लगाई। आज ये पूरा क्षेत्र खुलकर सांस ले पा रहा है। अब चिमूर और गढ़चिरौली के क्षेत्र में नए अवसर बन रहे हैं। इस क्षेत्र में नक्सलवाद फिर से हावी न हो जाए, इसके लिए आपको कांग्रेस और उसके साथियों को यहां फटकने भी नहीं देना है। 2. कांग्रेस और उसके सहयोगियों पर
PM ने कहा- कांग्रेस और अघाड़ी वाले देश को कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। जम्मू-कश्मीर दशकों तक अलगाववाद-आतंकवाद में जलता रहा। महाराष्ट्र के कितने ही वीर जवान मातृभूमि की रक्षा करते करते जम्मू-कश्मीर की धरती पर शहीद हो गए। जिस कानून की आड़ में, जिस धारा की आड़ में ये सब हुआ, वो धारा थी 370। ये धारा 370 कांग्रेस की देन थी। उन्होंने कहा- हमने 370 को खत्म किया। कश्मीर को भारत और भारत के संविधान से पूरी तरह जोड़ा। लेकिन कांग्रेस और उसके साथी कश्मीर में फिर से 370 लागू करने के लिए प्रस्ताव पास कर रहे हैं। ये लोग वो काम कर रहे हैं जो पाकिस्तान चाहता है। 3. विकास की रफ्तार पर
मोदी बोले- महायुति की सरकार किस रफ्तार से काम करती है और ये अघाड़ी वालों की जमात कैसे कामों को रोकते हैं, चंद्रपुर के लोगों से बेहतर ये बात और कौन जानेगा। यहां के लोग दशकों से रेल कनेक्टिविटी की मांग कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस और अघाड़ी वालों ने कभी भी ये काम होने नहीं दिया। उन्होंने कहा- 2.5 साल में कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने मेट्रो से लेकर, वधावन पोर्ट और समृद्धि महामार्ग तक हर विकास परियोजना को रोकने का काम किया। इसलिए याद रखिए अघाड़ी यानी भ्रष्टाचार के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं। महाराष्ट्र का तेज विकास, अघाड़ी वालों के बस की बात नहीं है। अघाड़ी वालों ने केवल विकास पर ब्रेक लगाने में ही पीएचडी की है। कामों को अटकाने, लटकाने और भटकाने में कांग्रेस वाले तो डबल पीएचडी हैं। 9 नवंबर: हिमाचल-तेलंगाना, कर्नाटक कांग्रेस के शाही परिवार के ATM, यहां वसूली डबल हो गई है अकोला की रैली में 9 नवंबर को PM के निशाने पर कांग्रेस रही। उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बारे में एक शब्द नहीं बोला। उन्होंने कहा- जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आर्टिकल 370 की वापसी की मांग हो रही है। कांग्रेस और उसके सहयोगी इसका समर्थन करते हैं। पाकिस्तान भी यही चाहता है। पूरी खबर पढ़ें… 8 नवंबर: महाराष्ट्र में मोदी की पहली रैली, कांग्रेस पर सावरकर का अपमान करने का आरोप लगाया PM मोदी ने 8 नवबंर को नासिक में एक रैली में कांग्रेस पर सावरकर और बाला साहेब ठाकरे के अपमान का आरोप लगाया था। PM ने कहा था कि महाराष्ट्र की राजनीति में बाला साहब ठाकरे का योगदान अतुलनीय है, लेकिन कांग्रेस नेताओं के मुंह से बाला साहब ठाकरे की प्रशंसा में एक शब्द नहीं निकलता है। पूरी खबर पढ़ें… 2019 की तुलना में भाजपा कम सीटों पर लड़ रही
2019 के विधानसभा चुनाव की तुलना में भाजपा इस बार कम सीटों पर लड़ रही है। भाजपा ने पिछली बार 164 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इस बार 16 उम्मीदवार कम उतारे हैं। भाजपा ने 148, शिंदे गुट ने 80, अजित गुट ने 53 उम्मीदवार उतारे हैं। शिवसेना और NCP में बंटवारे के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है। पिछले चुनाव में शिवसेना (अविभाजित) और NCP (अविभाजित) 124-124 सीटों पर लड़ी थीं। इन सबके अलावा इस बार महायुति ने 5 सीटें सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ी हैं। भाजपा बोली- CM पर फैसला चुनाव के बाद होगा
मुख्यमंत्री के रूप में देखे जाने पर डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने करीब एक हफ्ते पहले कहा था कि लोग उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं तो यह समस्या नहीं है, समाधान है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि वे CM बनने जा रहे हैं। महायुति को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि एकनाथ शिंदे मौजूदा मुख्यमंत्री हैं। चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसकी घोषणा की जाएगी। शिवसेना प्रमुख CM एकनाथ शिंदे, NCP प्रमुख अजीत पवार और भाजपा का संसदीय बोर्ड तय करेगा कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा। महायुति भ्रमित नहीं हैं, समस्या महाविकास अघाड़ी (MVA) में है। चेहरे का सवाल उनके लिए है, महायुति के लिए नहीं। MVA मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा नहीं कर रहा है क्योंकि वे जानते हैं कि चुनाव के बाद उनका CM आ सकता है। महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरण पर एक नजर… लोकसभा चुनाव में भाजपा 23 से 9 सीटों पर सिमटी
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से INDIA गठबंधन को 30 और NDA को 17 सीटें मिलीं।। इनमें भाजपा को 9, शिवसेना को 7 और NCP को सिर्फ 1 सीट मिली थी। भाजपा को 23 सीटों का नुकसान हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव से NDA को 41 जबकि 2014 में 42 सीटें मिली थीं। लोकसभा चुनाव के हिसाब से भाजपा को नुकसान का अनुमान
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी अगर लोकसभा चुनाव जैसा ट्रेंड रहा तो भाजपा को नुकसान होगा। भाजपा 60 सीटों के आसपास सिमटकर रह जाएगी। वहीं, विपक्षी गठबंधन के सर्वे में MVA को 160 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। भाजपा के लिए मराठा आंदोलन सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा शिवसेना और NCP में तोड़फोड़ के बाद उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ लोगों की सिम्पैथी है। ……………………………………………… महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 5 साल में 3 सरकारों का रिपोर्ट कार्ड; 3 बड़े प्रोजेक्ट गंवाए, 7.83 लाख करोड़ रुपए का कर्ज 5 साल, 3 मुख्यमंत्री और 3 अलग-अलग सरकारें। महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद 5 साल सियासी उठापठक चलती रही। अब फिर से विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। चुनाव से पहले दैनिक भास्कर की टीम महाराष्ट्र पहुंची और पिछले 5 साल का लेखा-जोखा जाना। पूरी खबर पढ़ें…
प्रधानमंत्री ने कहा- हमारे चंद्रपुर के इस क्षेत्र ने भी दशकों तक नक्सलवाद की आग को झेला है। यहां नक्सलवाद के कुचक्र में कितने ही युवाओं का जीवन बर्बाद हो गया। हिंसा का खूनी खेल चलता रहा, औधोगिक संभावनाओं ने यहां दम तोड़ दिया। कांग्रेस और उसके साथियों ने आपको सिर्फ और सिर्फ खूनी खेल दिए हैं। हमारी सरकार ने नक्सलवाद पर लगाम लगाई। आज ये पूरा क्षेत्र खुलकर सांस ले पा रहा है। अब चिमूर और गढ़चिरौली के क्षेत्र में नए अवसर बन रहे हैं। इस क्षेत्र में नक्सलवाद फिर से हावी न हो जाए, इसके लिए आपको कांग्रेस और उसके साथियों को यहां फटकने भी नहीं देना है। 2. कांग्रेस और उसके सहयोगियों पर
PM ने कहा- कांग्रेस और अघाड़ी वाले देश को कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। जम्मू-कश्मीर दशकों तक अलगाववाद-आतंकवाद में जलता रहा। महाराष्ट्र के कितने ही वीर जवान मातृभूमि की रक्षा करते करते जम्मू-कश्मीर की धरती पर शहीद हो गए। जिस कानून की आड़ में, जिस धारा की आड़ में ये सब हुआ, वो धारा थी 370। ये धारा 370 कांग्रेस की देन थी। उन्होंने कहा- हमने 370 को खत्म किया। कश्मीर को भारत और भारत के संविधान से पूरी तरह जोड़ा। लेकिन कांग्रेस और उसके साथी कश्मीर में फिर से 370 लागू करने के लिए प्रस्ताव पास कर रहे हैं। ये लोग वो काम कर रहे हैं जो पाकिस्तान चाहता है। 3. विकास की रफ्तार पर
मोदी बोले- महायुति की सरकार किस रफ्तार से काम करती है और ये अघाड़ी वालों की जमात कैसे कामों को रोकते हैं, चंद्रपुर के लोगों से बेहतर ये बात और कौन जानेगा। यहां के लोग दशकों से रेल कनेक्टिविटी की मांग कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस और अघाड़ी वालों ने कभी भी ये काम होने नहीं दिया। उन्होंने कहा- 2.5 साल में कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने मेट्रो से लेकर, वधावन पोर्ट और समृद्धि महामार्ग तक हर विकास परियोजना को रोकने का काम किया। इसलिए याद रखिए अघाड़ी यानी भ्रष्टाचार के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं। महाराष्ट्र का तेज विकास, अघाड़ी वालों के बस की बात नहीं है। अघाड़ी वालों ने केवल विकास पर ब्रेक लगाने में ही पीएचडी की है। कामों को अटकाने, लटकाने और भटकाने में कांग्रेस वाले तो डबल पीएचडी हैं। 9 नवंबर: हिमाचल-तेलंगाना, कर्नाटक कांग्रेस के शाही परिवार के ATM, यहां वसूली डबल हो गई है अकोला की रैली में 9 नवंबर को PM के निशाने पर कांग्रेस रही। उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बारे में एक शब्द नहीं बोला। उन्होंने कहा- जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आर्टिकल 370 की वापसी की मांग हो रही है। कांग्रेस और उसके सहयोगी इसका समर्थन करते हैं। पाकिस्तान भी यही चाहता है। पूरी खबर पढ़ें… 8 नवंबर: महाराष्ट्र में मोदी की पहली रैली, कांग्रेस पर सावरकर का अपमान करने का आरोप लगाया PM मोदी ने 8 नवबंर को नासिक में एक रैली में कांग्रेस पर सावरकर और बाला साहेब ठाकरे के अपमान का आरोप लगाया था। PM ने कहा था कि महाराष्ट्र की राजनीति में बाला साहब ठाकरे का योगदान अतुलनीय है, लेकिन कांग्रेस नेताओं के मुंह से बाला साहब ठाकरे की प्रशंसा में एक शब्द नहीं निकलता है। पूरी खबर पढ़ें… 2019 की तुलना में भाजपा कम सीटों पर लड़ रही
2019 के विधानसभा चुनाव की तुलना में भाजपा इस बार कम सीटों पर लड़ रही है। भाजपा ने पिछली बार 164 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इस बार 16 उम्मीदवार कम उतारे हैं। भाजपा ने 148, शिंदे गुट ने 80, अजित गुट ने 53 उम्मीदवार उतारे हैं। शिवसेना और NCP में बंटवारे के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है। पिछले चुनाव में शिवसेना (अविभाजित) और NCP (अविभाजित) 124-124 सीटों पर लड़ी थीं। इन सबके अलावा इस बार महायुति ने 5 सीटें सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ी हैं। भाजपा बोली- CM पर फैसला चुनाव के बाद होगा
मुख्यमंत्री के रूप में देखे जाने पर डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने करीब एक हफ्ते पहले कहा था कि लोग उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं तो यह समस्या नहीं है, समाधान है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि वे CM बनने जा रहे हैं। महायुति को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि एकनाथ शिंदे मौजूदा मुख्यमंत्री हैं। चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसकी घोषणा की जाएगी। शिवसेना प्रमुख CM एकनाथ शिंदे, NCP प्रमुख अजीत पवार और भाजपा का संसदीय बोर्ड तय करेगा कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा। महायुति भ्रमित नहीं हैं, समस्या महाविकास अघाड़ी (MVA) में है। चेहरे का सवाल उनके लिए है, महायुति के लिए नहीं। MVA मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा नहीं कर रहा है क्योंकि वे जानते हैं कि चुनाव के बाद उनका CM आ सकता है। महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरण पर एक नजर… लोकसभा चुनाव में भाजपा 23 से 9 सीटों पर सिमटी
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से INDIA गठबंधन को 30 और NDA को 17 सीटें मिलीं।। इनमें भाजपा को 9, शिवसेना को 7 और NCP को सिर्फ 1 सीट मिली थी। भाजपा को 23 सीटों का नुकसान हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव से NDA को 41 जबकि 2014 में 42 सीटें मिली थीं। लोकसभा चुनाव के हिसाब से भाजपा को नुकसान का अनुमान
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी अगर लोकसभा चुनाव जैसा ट्रेंड रहा तो भाजपा को नुकसान होगा। भाजपा 60 सीटों के आसपास सिमटकर रह जाएगी। वहीं, विपक्षी गठबंधन के सर्वे में MVA को 160 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। भाजपा के लिए मराठा आंदोलन सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा शिवसेना और NCP में तोड़फोड़ के बाद उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ लोगों की सिम्पैथी है। ……………………………………………… महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 5 साल में 3 सरकारों का रिपोर्ट कार्ड; 3 बड़े प्रोजेक्ट गंवाए, 7.83 लाख करोड़ रुपए का कर्ज 5 साल, 3 मुख्यमंत्री और 3 अलग-अलग सरकारें। महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद 5 साल सियासी उठापठक चलती रही। अब फिर से विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। चुनाव से पहले दैनिक भास्कर की टीम महाराष्ट्र पहुंची और पिछले 5 साल का लेखा-जोखा जाना। पूरी खबर पढ़ें…