गुरुग्राम में मोहन भागवत बोले-शोध पर लालफीताशाही भारी:आजकल सारा उद्देश्य पेट भरने का; 4% जनसंख्या वालों को 80% संसाधन चाहिए

स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को गुरुग्राम में विजन फॉर विकसित भारत-(विविभा) 2024 सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आज शोध करने वाले बहुत हैं, लेकिन लालफीताशाही की वजह से कुछ कर नहीं पाते। आजकल सारा उद्देश्य पेट भरने का है, अगर ऐसा है, तो बहुत दुखद है। इसके अलावा प्रदर्शनी के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया कि सनातनी शिक्षा से लेकर आधुनिक शिक्षा तक के सफर में भारत कहां है। एसजीटी यूनिवर्सिटी में 3 दिन चलने वाले विविभा-2024 में आज वे चीफ गेस्ट थे। उन्होंने कहा कि दुनिया अब मानती है कि 16वीं सदी तक भारत हर क्षेत्र में अग्रणी था। हमने बहुत सी चीजें खोजीं, लेकिन फिर हम रुक गए और इस तरह हमारा पतन शुरू हो गया। लेकिन, उस समय तक हम सबको साथ लेकर चलने का उदाहरण दे चुके थे। उन्होंने कहा कि आज समय विकसित भारत की मांग कर रहा है। दुनिया में 4% जनसंख्या वालों को 80% संसाधन चाहिए। मोहन भागवत ने कहा कि आज पूरी दुनिया में चर्चा है कि विकास चुनें या पर्यावरण। विकास हुआ तो पर्यावरण की समस्या उत्पन्न हो गई। 16वीं शताब्दी तक भारत हर क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी था, मगर, हम रुक गए और पिछड़ गए। शोध पत्रिका ‘प्रज्ञानम’ का अनावरण मोहन भागवत ने भारतीय शिक्षण मंडल की शोध पत्रिका ‘प्रज्ञानम’ का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि दृष्टि की समग्रता ही भारत की विशेषता है। हर भारतवासी को अपना भारत विकसित और समर्थ भारत चाहिए। विकास के कई प्रयोग 2000 सालों में हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक आनी चाहिए, लेकिन निर्ममता नहीं होनी चाहिए, हर हाथ को काम मिले। दुनिया हमसे सीखे कि ये सारी बातें साथ लेकर कैसे चलते हैं। अनुकरण करने लायक चीजें ही लें, लेकिन अन्धानुकरण नहीं करना चाहिए। विशाल प्रदर्शनी का भी किया शुभारंभ उद्घाटन समारोह के दौरान इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ और नोबेल शांति विजेता कैलाश सत्यार्थी की मौजूदगी में मोहन भगवत ने एक विशाल प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया। VIVIBHA: 2024 में कणाद से कलाम तक की भारत की यात्रा का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान 10 हजार शैक्षणिक संस्थानों, शोध संगठनों और सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों ने “भारतीय शिक्षा”, “विकसित भारत के लिए दृष्टि” और “भविष्य की तकनीक” जैसे विषयों पर अपने शोध और नवाचारों का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शनी के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया कि सनातनी शिक्षा से लेकर आधुनिक शिक्षा तक के सफर में भारत कहां है। प्रदर्शनी में प्राचीन गुरुकुलों से लेकर AI, वर्तमान तकनीकी अनुकूलन समेत भारतीय शिक्षा के विकास और छत्रपति शिवाजी के समय के अस्त्र-शस्त्रों से लेकर भारतीय वायु सेना की ब्रह्मोस मिसाइल तक को प्रदर्शित किया गया।