सीरिया में विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम (HTS) और उसके सहयोगियों ने तीसरे शहर ‘दारा’ पर भी कब्जा कर लिया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक विद्रोही गुटों ने यहां मौजूद सेना के साथ समझौता कर लिया है। सीरिया में 27 नवंबर को सेना और विद्रोही गुटों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। इसके बाद 1 दिसंबर को विद्रोहियों ने उत्तरी शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया। इसके 4 दिन बाद विद्रोही गुटों ने एक और बड़े शहर हमा पर भी कब्जा कर लिया। विद्रोहियों ने दक्षिणी शहर दारा पर कब्जा करने के बाद राजधानी दमिश्क को दो दिशाओं से घेर लिया है। दारा और राजधानी दमिश्क के बीच सिर्फ 90 किमी की दूरी है। इस बीच ईरान ने अपने लोगों को सीरिया से बाहर निकालना शुरू कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार देर रात सीरिया की यात्रा और वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। ईरान ने राष्ट्रपति असद का साथ छोड़ा
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ईरान ने शुक्रवार से सीरिया से अपने सैन्य कमांडरों, रिवोल्यूशनरी गार्ड से जुड़े लोगों, राजनयिक कर्मचारियों और उनके परिवारों को निकालना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में ईरानी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि ईरान पहले की तरह असद सरकार का साथ देने में असमर्थ है। अधिकारी ने बताया कि दमिश्क में रह रहे विशेष कर्मचारियों को विमानों से तेहरान लाया जा रहा है। जबकि बाकियों को जमीनी रास्ते से लताकिया बंदरगाह जा रहे हैं जहां से वे ईरान पहुंचेंगे। ईरानी मामले के जानकारी मेहदी रहमती ने NYT से कहा कि ईरान ने अपनी अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को निकालना शुरू किया है क्योंकि उन्हें लग रहा है कि सीरिया की सेना विद्रोहियों का मुकाबला नहीं कर पाएगी। ईरानी संसद के सदस्य अहमद नादेरी ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सीरिया पतन के कगार पर है और हम शांति से यह सब देख रहे हैं। अगर दमिश्क गिर गया तो ईरान, इराक और लेबनान में अपना असर खो देगा। मुझे समझ नहीं आता कि हमारी सरकार इस पर चुप क्यों है। यह हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस सप्ताह दमिश्क की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने सीरिया की सुरक्षा करने का वचन दिया था। हालांकि शुक्रवार को उन्होंने बगदाद में इससे अलग बयान दिया। उन्होंने कहा- हम भविष्य नहीं बता सकते। अल्लाह की जो भी इच्छा होगी वही होगा। HTS विद्रोहियों के हमा पर कब्जे के बाद की 5 फुटेज… विदेश मंत्रालय ने कहा- सीरिया की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है। वहां रह रहे भारतीय लोगों से अपील की जाती है कि वे बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलें। मंत्रालय ने कहा कि सीरिया में रह रहे भारतीय लोग अपडेट के लिए दमिश्क में भारतीय दूतावास के आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर +963 993385973 (व्हाट्सएप पर भी) और ईमेल आईडी hoc.damascus@mea.gov.in पर संपर्क में रहें। इसे पूरी तरह से कब्जाने के बाद वे राजधानी दमिश्क की ओर बढ़ सकते हैं। सीरिया की सेना उन्हें रोकने की कोशिश कर रही है। सेना को रूस की आर्मी का भी समर्थन मिला हुआ है। विद्रोही के नेता अबू मोहम्मद अल-जोलानी ने कहा कि राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार को उखाड़ फेंकना ही हमारा मकसद है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा- हम नजर बनाए रखे हुए हैं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने शुक्रवार को सीरिया के हालात को लेकर कहा- हमने सीरिया के उत्तरी भाग में हाल ही में बढ़ी लड़ाई पर ध्यान दिया है। हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। सीरिया में लगभग 90 हजार भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से 14 विभिन्न संयुक्त राष्ट्र संगठनों में काम कर रहे हैं। हमारा मिशन अपने नागरिकों की सुरक्षा करना है। HTS चीफ बोला- असद सरकार के गिनती के दिन बाकी
हमा पर कब्जे के बाद HTS के कमांडर अबू मोहम्मद अल जुलानी ने जीत का संदेश दिया है। जुलानी ने कहा कि उसका मकसद सीरिया से असद सरकार को उखाड़ फेंकना है। सीरिया में एक गुप्त जगह से उसने CNN को इंटरव्यू दिया। जुलानी ने कहा कि सीरिया में तानाशाही खत्म होगी और लोगों की सरकार चुनी जाएगी। उसने कहा कि सीरिया में 40 साल से असद खानदान का राज है। लेकिन अब असद सरकार मर चुकी है। ईरानियों की मदद से यह कुछ समय तक जिंदा रहा। बाद में रूसियों ने भी उनकी मदद की, लेकिन हकीकत ये है कि उनके शासन के अब गिनती के दिन बाकी रह गए हैं। सीरिया में बीते 27 नवंबर से सेना और HTS के बीच संघर्ष जारी है। विद्रोहियों ने 1 दिसंबर को इससे पहले सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया था। सीरिया में इस जंग में अब तक 826 लोग मारे गए हैं। सीरिया में 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद ये सबसे भीषण लड़ाई है। हमा के लिए 3 दिन से लड़ रहे थे विद्रोही लड़ाके हमा पर कब्जे के लिए विद्रोही लड़ाके पिछले 3 दिनों से सेना के साथ लड़ रहे थे। सेना ने आरोप लगाया कि विद्रोहियों ने डिफेंस लाइन को तोड़ने के लिए आत्मघाती हमले किए थे। इस दौरान विद्रोहियों से लड़ते हुए कई सैनिक मारे गए हैं। हमा सीरिया का चौथा सबसे बड़ा शहर है। 2011 में सीरिया में शुरू हुए सिविल वॉर के दौरान भी हमा पर विद्रोहियों का कब्जा नहीं हो पाया था। तब भी ये शहर सरकारी नियंत्रण में था। ऐसे में यहां इस बार विद्रोहियों का कब्जा उनके लिए बड़ी जीत है। इससे पहले शनिवार को विद्रोहियों ने जिस अलेप्पो शहर पर कब्जा किया था। वह सीरिया का प्रमुख ट्रेड हब है। सीरिया का सबसे बड़ा संगठन बना HTS HTS पहले अल कायदा से जुड़ा रहा है। सुन्नी गुट HTS का नेतृत्व अबू मोहम्मद अल-जुलानी कर रहा है। जुलानी बीते कई साल से सीरिया की अल असद सरकार के लिए खतरा बना हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अल-जुलानी का जन्म 1982 में रियाद, सऊदी अरब में हुआ। वहां उसके पिता पेट्रोलियम इंजीनियर थे। साल 1989 जुलानी का परिवार सीरिया लौट आया और दमिश्क के पास बस गया। जुलानी ने 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले के बाद मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़कर अल-कायदा ज्वाइन कर लिया था। वह अल कायदा में अबू मुसाब अल-जरकावी का करीबी रहा। 2006 में जरकावी की हत्या के बाद जुलानी ने लेबनान और इराक में समय बिताया। 2006 में ही जुलानी को इराक में अमेरिकी सेना ने गिरफ्तार कर लिया। 5 साल जेल में रहने के बाद उसे रिहा कर दिया गया। इसके बाद वह इस्लामिक स्टेट के साथ जुड़ गया। 2011 में असद के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बीच जुलानी सीरिया आ गया। इसके बाद उसने जबात अल-नुसरा का गठन किया और असद सरकार के खिलाफ जंग छेड़ दी। साल 2017 में अल-नुसरा कुछ दूसरे आतंकी गुटों के साथ मिलकर हयात तहरीर अल-शाम (HTS) बना। HTS अब सीरिया में सबसे शक्तिशाली विद्रोही गुट है। अलेप्पो और हमा पर कब्जे से पहले इस संगठन का इदलिब पर कब्जा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस संगठन के बाद 30 हजार लड़ाके हैं। अमेरिका ने 2018 में इस संगठन को आतंकी लिस्ट में डाला था। क्या असद सरकार शासन खत्म हो जाएगा? वाशिंगटन डीसी में मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ फेलो इब्राहिम अल-असिल ने कहा कि असद की सेना और विद्रोही गुट के बीच असल लड़ाई अभी शुरू नहीं हुई है। असद एक पुरानी रणनीति पर काम कर रहे हैं, जो उनके लिए पहले भी कारगर रही है। पहले पीछे हटना, एकजुट होना, किलेबंदी करना और फिर जवाबी हमला करना। विद्रोहियों को अगर जीत हासिल करनी है तो उन्हें पता होना चाहिए कि कब रूक जाना है। असद इन विद्रोहियों को रोकने के लिए रासायनिक हथियारों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सीरिया में 2011 में शुरू हुआ गृह युद्ध 2011 में अरब क्रांति के साथ ही सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हुई थी। सीरिया के लोगों ने 10 साल से सत्ता में काबिज बशर अल-असद सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। इसके बाद ‘फ्री सीरियन आर्मी’ के नाम से एक विद्रोही गुट तैयार हुआ। विद्रोही गुट के बनने के साथ ही सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हो गई थी। इसमें अमेरिका, रूस, ईरान और सऊदी अरब के शामिल होने के बाद ये संघर्ष और बढ़ता गया। इस बीच, सीरिया में आतंकवादी संगठन ISIS ने भी पैर पसार लिए थे। 2020 के सीजफायर समझौते के बाद यहां सिर्फ छिटपुट झड़प ही हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, एक दशक तक चले गृहयुद्ध में 3 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके अलावा लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। ——————————————– सीरिया में जंग से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… सीरिया में विद्रोहियों ने 4 दिन में कब्जाया अलेप्पो शहर:सेना भागी, लोगों को घरों में रहने के आदेश ; रूसी हमले में 300 की मौत सीरिया में विद्रोही गुटों ने 4 दिन के भीतर अलेप्पो शहर के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमला बुधवार को शुरू हुआ था और शनिवार तक आस-पास के गांवों पर कब्जा करते हुए लड़ाकों ने अलेप्पो का बड़ा हिस्सा अपने कंट्रोल में ले लिया। पूरी खबर यहां पढ़ें…
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ईरान ने शुक्रवार से सीरिया से अपने सैन्य कमांडरों, रिवोल्यूशनरी गार्ड से जुड़े लोगों, राजनयिक कर्मचारियों और उनके परिवारों को निकालना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में ईरानी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि ईरान पहले की तरह असद सरकार का साथ देने में असमर्थ है। अधिकारी ने बताया कि दमिश्क में रह रहे विशेष कर्मचारियों को विमानों से तेहरान लाया जा रहा है। जबकि बाकियों को जमीनी रास्ते से लताकिया बंदरगाह जा रहे हैं जहां से वे ईरान पहुंचेंगे। ईरानी मामले के जानकारी मेहदी रहमती ने NYT से कहा कि ईरान ने अपनी अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को निकालना शुरू किया है क्योंकि उन्हें लग रहा है कि सीरिया की सेना विद्रोहियों का मुकाबला नहीं कर पाएगी। ईरानी संसद के सदस्य अहमद नादेरी ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सीरिया पतन के कगार पर है और हम शांति से यह सब देख रहे हैं। अगर दमिश्क गिर गया तो ईरान, इराक और लेबनान में अपना असर खो देगा। मुझे समझ नहीं आता कि हमारी सरकार इस पर चुप क्यों है। यह हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस सप्ताह दमिश्क की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने सीरिया की सुरक्षा करने का वचन दिया था। हालांकि शुक्रवार को उन्होंने बगदाद में इससे अलग बयान दिया। उन्होंने कहा- हम भविष्य नहीं बता सकते। अल्लाह की जो भी इच्छा होगी वही होगा। HTS विद्रोहियों के हमा पर कब्जे के बाद की 5 फुटेज… विदेश मंत्रालय ने कहा- सीरिया की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है। वहां रह रहे भारतीय लोगों से अपील की जाती है कि वे बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलें। मंत्रालय ने कहा कि सीरिया में रह रहे भारतीय लोग अपडेट के लिए दमिश्क में भारतीय दूतावास के आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर +963 993385973 (व्हाट्सएप पर भी) और ईमेल आईडी hoc.damascus@mea.gov.in पर संपर्क में रहें। इसे पूरी तरह से कब्जाने के बाद वे राजधानी दमिश्क की ओर बढ़ सकते हैं। सीरिया की सेना उन्हें रोकने की कोशिश कर रही है। सेना को रूस की आर्मी का भी समर्थन मिला हुआ है। विद्रोही के नेता अबू मोहम्मद अल-जोलानी ने कहा कि राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार को उखाड़ फेंकना ही हमारा मकसद है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा- हम नजर बनाए रखे हुए हैं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने शुक्रवार को सीरिया के हालात को लेकर कहा- हमने सीरिया के उत्तरी भाग में हाल ही में बढ़ी लड़ाई पर ध्यान दिया है। हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। सीरिया में लगभग 90 हजार भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से 14 विभिन्न संयुक्त राष्ट्र संगठनों में काम कर रहे हैं। हमारा मिशन अपने नागरिकों की सुरक्षा करना है। HTS चीफ बोला- असद सरकार के गिनती के दिन बाकी
हमा पर कब्जे के बाद HTS के कमांडर अबू मोहम्मद अल जुलानी ने जीत का संदेश दिया है। जुलानी ने कहा कि उसका मकसद सीरिया से असद सरकार को उखाड़ फेंकना है। सीरिया में एक गुप्त जगह से उसने CNN को इंटरव्यू दिया। जुलानी ने कहा कि सीरिया में तानाशाही खत्म होगी और लोगों की सरकार चुनी जाएगी। उसने कहा कि सीरिया में 40 साल से असद खानदान का राज है। लेकिन अब असद सरकार मर चुकी है। ईरानियों की मदद से यह कुछ समय तक जिंदा रहा। बाद में रूसियों ने भी उनकी मदद की, लेकिन हकीकत ये है कि उनके शासन के अब गिनती के दिन बाकी रह गए हैं। सीरिया में बीते 27 नवंबर से सेना और HTS के बीच संघर्ष जारी है। विद्रोहियों ने 1 दिसंबर को इससे पहले सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया था। सीरिया में इस जंग में अब तक 826 लोग मारे गए हैं। सीरिया में 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद ये सबसे भीषण लड़ाई है। हमा के लिए 3 दिन से लड़ रहे थे विद्रोही लड़ाके हमा पर कब्जे के लिए विद्रोही लड़ाके पिछले 3 दिनों से सेना के साथ लड़ रहे थे। सेना ने आरोप लगाया कि विद्रोहियों ने डिफेंस लाइन को तोड़ने के लिए आत्मघाती हमले किए थे। इस दौरान विद्रोहियों से लड़ते हुए कई सैनिक मारे गए हैं। हमा सीरिया का चौथा सबसे बड़ा शहर है। 2011 में सीरिया में शुरू हुए सिविल वॉर के दौरान भी हमा पर विद्रोहियों का कब्जा नहीं हो पाया था। तब भी ये शहर सरकारी नियंत्रण में था। ऐसे में यहां इस बार विद्रोहियों का कब्जा उनके लिए बड़ी जीत है। इससे पहले शनिवार को विद्रोहियों ने जिस अलेप्पो शहर पर कब्जा किया था। वह सीरिया का प्रमुख ट्रेड हब है। सीरिया का सबसे बड़ा संगठन बना HTS HTS पहले अल कायदा से जुड़ा रहा है। सुन्नी गुट HTS का नेतृत्व अबू मोहम्मद अल-जुलानी कर रहा है। जुलानी बीते कई साल से सीरिया की अल असद सरकार के लिए खतरा बना हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अल-जुलानी का जन्म 1982 में रियाद, सऊदी अरब में हुआ। वहां उसके पिता पेट्रोलियम इंजीनियर थे। साल 1989 जुलानी का परिवार सीरिया लौट आया और दमिश्क के पास बस गया। जुलानी ने 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले के बाद मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़कर अल-कायदा ज्वाइन कर लिया था। वह अल कायदा में अबू मुसाब अल-जरकावी का करीबी रहा। 2006 में जरकावी की हत्या के बाद जुलानी ने लेबनान और इराक में समय बिताया। 2006 में ही जुलानी को इराक में अमेरिकी सेना ने गिरफ्तार कर लिया। 5 साल जेल में रहने के बाद उसे रिहा कर दिया गया। इसके बाद वह इस्लामिक स्टेट के साथ जुड़ गया। 2011 में असद के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बीच जुलानी सीरिया आ गया। इसके बाद उसने जबात अल-नुसरा का गठन किया और असद सरकार के खिलाफ जंग छेड़ दी। साल 2017 में अल-नुसरा कुछ दूसरे आतंकी गुटों के साथ मिलकर हयात तहरीर अल-शाम (HTS) बना। HTS अब सीरिया में सबसे शक्तिशाली विद्रोही गुट है। अलेप्पो और हमा पर कब्जे से पहले इस संगठन का इदलिब पर कब्जा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस संगठन के बाद 30 हजार लड़ाके हैं। अमेरिका ने 2018 में इस संगठन को आतंकी लिस्ट में डाला था। क्या असद सरकार शासन खत्म हो जाएगा? वाशिंगटन डीसी में मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ फेलो इब्राहिम अल-असिल ने कहा कि असद की सेना और विद्रोही गुट के बीच असल लड़ाई अभी शुरू नहीं हुई है। असद एक पुरानी रणनीति पर काम कर रहे हैं, जो उनके लिए पहले भी कारगर रही है। पहले पीछे हटना, एकजुट होना, किलेबंदी करना और फिर जवाबी हमला करना। विद्रोहियों को अगर जीत हासिल करनी है तो उन्हें पता होना चाहिए कि कब रूक जाना है। असद इन विद्रोहियों को रोकने के लिए रासायनिक हथियारों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सीरिया में 2011 में शुरू हुआ गृह युद्ध 2011 में अरब क्रांति के साथ ही सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हुई थी। सीरिया के लोगों ने 10 साल से सत्ता में काबिज बशर अल-असद सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। इसके बाद ‘फ्री सीरियन आर्मी’ के नाम से एक विद्रोही गुट तैयार हुआ। विद्रोही गुट के बनने के साथ ही सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हो गई थी। इसमें अमेरिका, रूस, ईरान और सऊदी अरब के शामिल होने के बाद ये संघर्ष और बढ़ता गया। इस बीच, सीरिया में आतंकवादी संगठन ISIS ने भी पैर पसार लिए थे। 2020 के सीजफायर समझौते के बाद यहां सिर्फ छिटपुट झड़प ही हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, एक दशक तक चले गृहयुद्ध में 3 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके अलावा लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। ——————————————– सीरिया में जंग से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… सीरिया में विद्रोहियों ने 4 दिन में कब्जाया अलेप्पो शहर:सेना भागी, लोगों को घरों में रहने के आदेश ; रूसी हमले में 300 की मौत सीरिया में विद्रोही गुटों ने 4 दिन के भीतर अलेप्पो शहर के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमला बुधवार को शुरू हुआ था और शनिवार तक आस-पास के गांवों पर कब्जा करते हुए लड़ाकों ने अलेप्पो का बड़ा हिस्सा अपने कंट्रोल में ले लिया। पूरी खबर यहां पढ़ें…