26 दिसंबर को साल की अंतिम एकादशी:जानिए कैसे कर सकते हैं एकादशी व्रत, द्वादशी की सुबह विष्णु पूजा के साथ पूरा होता है ये व्रत

गुरुवार, 26 दिसंबर को 2024 की अंतिम एकादशी है। अभी पौष मास चल रहा है और इसकी पहली एकादशी का नाम सफला है। माना जाता है कि सफला एकादशी व्रत के पुण्य से भक्त को सभी कामों सफलता मिलती है। इस बार सफला एकादशी गुरुवार को होने से इस दिन विष्णु जी के साथ ही गुरु ग्रह की भी विशेष पूजा करने का शुभ योग बना है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, सफला एकादशी की कथा राजा महिष्मत से जुड़ी है। महिष्मत चंपावती राज्य के राजा थे। राजा का बेटा था लुंभक, जो कि बुरी आदतों में फंसा हुआ था। इस कारण राजा ने अपने बेटे को राज्य से ही निकाल दिया। राज्य से निकाले जाने के बाद लुंभक जंगल में रहने लगा। फल खाकर जैसे-तैसे अपना जीवन चला रहा था। कुछ बाद उसके आचरण में सकारात्मक बदलाव आने लगा। जंगल में रहते समय पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर वह दिन भर भूखा रहा और शाम को भगवान विष्णु का याद कर लिया। इस तरह अनजाने में ही लुंबक ने एकादशी व्रत कर लिया था। इस व्रत के पुण्य से लुंबक के सभी पापों का असर खत्म हो गया। इसके बाद जब राजा महिष्मत को लुंबक के बदले हुए आचरण की जानकारी मिली तो राजा ने अपने बेटे को फिर से अपने महल में बुलवा लिया। इस तरह एकादशी व्रत के पुण्य से लुंबक का जीवन बदल गया, उसे मान-सम्मान के साथ ही अपना राज-पाठ भी वापस मिल गया था।