हरदीप पुरी बोले- एकता स्थल पर 2 स्मारक की जगह:लेकिन कांग्रेस बड़ी जगह चाहती है, इसके लिए ट्रस्ट बनेगा, वाजपेयी के समय यही हुआ था

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर विवाद अभी जारी है। रविवार को केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एकता स्थल पर 2 और स्मारक बनाए जा सकते हैं। हरदीप पुरी ने कहा कि कांग्रेस सरेआम झूठ फैला रही है। खड़गे ने सरकार को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने एक स्पेशल मेमोरियल बनाने की मांग रखी। पत्र के बाद देर रात गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी करके खड़गे की मांग मान ली। हरदीप पुरी ने कहा- हमारे यहां एकता स्थल है, जहां पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व राष्ट्रपति के स्मारक है। वहां 9 स्थल हैं, जिनमें से 7 जगह स्मारक बन गए हैं। 2 स्मारक की जगह खाली है, लेकिन अगर कांग्रेस की स्पेशल मेमोरियल बनाने की मांग है, जो मंजूर हो चुकी है, तो अब स्मारक के लिए जमीन 1 रुपए के किराए पर एक ट्रस्ट को देना होगा। वह ट्रस्ट ही मेमोरियल बनाएगा। वाजपेयी जी के समय भी एसा ही हुआ था। कांग्रेस बोली- शक्ति स्थल की पेशकश किए जाने पर भी भाजपा तैयार नहीं हुई उधर, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने शोक की इस घड़ी में भी भाजपा सरकार सरदार मनमोहन सिंह को सम्मान नहीं दे सकी। सुप्रिया ने रविवार को कहा कि किसी ने ठीक ही कहा है, छोटे मन के लोगों से बड़ी राजनीति की अपेक्षा करना तो दूर, वक्त पड़ने पर उनसे जरा से बड़प्पन की उम्मीद रखना भी बेमानी है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी हरदीप सिंह पुरी पर सस्ती राजनीति करने का आरोप लगाया। खेड़ा ने कहा कि क्या आपने कभी सुना है कि किसी पूर्व प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर हुआ हो? उन्होंने कहा कि सच यह है कि जब कांग्रेस ने दबाव डाला तब भाजपा ने मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया। पवन खेड़ा ने कहा कि राहुल गांधी जी और प्रियंका गांधी जी ने शक्ति स्थल से जमीन देने की पेशकश भी की थी। वे बस इतना चाहते थे कि डॉ. मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार ऐसी जगह हो, जहां उनका स्मारक बनाया जा सके। BJP से सवाल पूछा जाना चाहिए कि शक्ति स्थल से जगह देने की पेशकश किए जाने के बाद भी यह लोग क्यों नहीं तैयार हुए? स्मारक को लेकर कांग्रेस ने मोदी-शाह को पत्र लिखा था… 27 दिसंबर: खड़गे ने स्मारक के लिए जमीन मांगी थी
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 27 दिसंबर की शाम को पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था। कहा था कि डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार जहां हो वहीं स्मारक बनाया जाए। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक डॉ. सिंह की पत्नी गुरशरण कौर भी यही चाहती थीं। हालांकि गृह मंत्रालय ने अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करवाया। 28 दिसंबर: बीजेपी बोली- जमीन अलॉट कर दी गई
कांग्रेस की तरफ से मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जमीन नहीं देने के आरोप पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 28 दिसंबर को कहा- डॉ. सिंह के स्मारक के लिए जगह आवंटित कर दी गई। इसके बारे में उनके परिवार को भी जानकारी दे दी गई है। हालांकि नड्‌डा ने यह नहीं बताया कि जमीन कहां दी गई है। विवाद पर 3 नेताओं के केंद्र से सवाल भारत माता के महान सपूत और सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार आज निगमबोध घाट पर करवाकर वर्तमान सरकार द्वारा उनका सरासर अपमान किया गया है। राहुल गांधी, कांग्रेस सांसद सिख समाज से आने वाले, पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त, 10 वर्ष भारत के प्रधानमंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह जी के अंतिम संस्कार और समाधि के लिए बीजेपी सरकार 1000 गज़ जमीन भी न दे सकी? अरविंद केजरीवाल, आप संयोजक मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर कांग्रेस ने भाजपा से 9 सवाल पूछे कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार की व्यवस्था को लेकर शनिवार को सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के राजकीय अंतिम संस्कार में सरकार की तरफ से अव्यवस्था और अनादर देखकर हैरानी हुई। खेड़ा ने 9 पॉइंट में अंतिम संस्कार से जुड़ी आपत्तियां दर्ज कराईं, जिनका जवाब रविवार को भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दिया। 1. दूरदर्शन ने मोदी को ज्यादा दिखाया: दूरदर्शन को छोड़कर किसी भी समाचार एजेंसी को अनुमति नहीं दी गई। डीडी ने मोदी और शाह पर ध्यान केंद्रित किया, डॉ. सिंह के परिवार को बहुत कम दिखाया।​​ अमित मालवीय: कवरेज में रक्षा मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं है। पहले भी केवल DD ने ही कवरेज किया है। राष्ट्रीय समारोह भी केवल DD द्वारा कवर किए जाते हैं। अन्य एजेंसियों के प्रवेश पर प्रतिबंध सुरक्षा एजेंसियों ने लगाया।​​​ 2. डॉ. सिंह के परिवार के लिए कुर्सी नहीं: डॉ. सिंह के परिवार के लिए केवल 3 कुर्सियां सामने की लाइन में रखी गईं। वहां मौजूद दूसरे कांग्रेसी नेताओं ने डॉ. सिंह की बेटियों और उनके परिवार के अन्य लोगों के लिए सीटों की व्यवस्था की। ​​​​​ अमित मालवीय: अंत्येष्टि स्थल पर बैठने की व्यवस्था CPWD ने दिल्ली पुलिस के परामर्श से की है। उपलब्ध स्थान के अनुसार, आगे की पंक्ति में सीटों की संख्या अधिकतम रखी गई थी। पहली पंक्ति इनमें भारत के राष्ट्रपति, भूटान के राजा, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, कैबिनेट मंत्री, विपक्ष के नेता और सेवा प्रमुख शामिल थे। किसी अन्य व्यक्ति को आगे की पंक्ति की सीट आवंटित नहीं की गई थी। दूसरी पंक्ति में परिवार के सदस्यों के लिए 8 सीटें निर्धारित की गई थीं। अगली दो पंक्तियों में, (पंक्ति 3 और 4) परिवार के सदस्यों के लिए रिजर्व था। 3. गार्ड ऑफ ऑनर में मोदी खड़े नहीं हुए: जब डॉ. मनमोहन सिंह की पत्नी को राष्ट्रीय ध्वज सौंपा गया और जब डॉ. सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। तब प्रधानमंत्री मोदी और बाकी मंत्रियों ने खड़े होना भी ठीक नहीं समझा। वे सभी बैठे रहे। अमित मालवीय: राजकीय अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया था। 4. परिवार को जगह नहीं दी: डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार की चिता के आसपास परिवार के लिए पर्याप्त जगह नहीं दी गई, क्योंकि एक ओर तो सिर्फ सैनिकों ने जगह घेर रखी थी। अमित मालवीय: चिता के आसपास जिनकी जरूरत थी, वही लोग मौजूद थे। परिवार के लोगों और पुजारियों के लिए पूरी जगह उपलब्ध थी। किसी ने वहां कब्जा नहीं किया। 5. आम लोगों को रोका गया: डॉ. सिंह के अंतिम संस्कार को आम लोग पास से नहीं देख पाए। उन्हें निगमबोध घाट में अंदर जाने से रोका गया। वे बाहर से ही कार्यक्रम को देखने पर मजबूर रहे। अमित मालवीय: निगमबोध घाट पर काफी लोग मौजूद थे। भीड़ ज्यादा थी। सुरक्षा कारणों से प्रतिबंध लगाया गया। 6. शाह के काफिले से शव यात्रा बाधित: अमित शाह के काफिले ने डॉ. मनमोहन सिंह की शव यात्रा को बाधित किया। इस कारण उनके परिवार की गाड़ियां घाट के बाहर ही रह गईं और गेट बंद कर दिया गया। इसके बाद परिवार के सदस्यों को ढूंढकर वापस अंदर लाना पड़ा। अमित मालवीय: डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थव देह घाट तक लाने के दौरान सड़क का पूरा इंतजाम ट्रैफिक पुलिस के जिम्मे था। पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार की कारों की जानकारी पहले से ही मांगी गई थी। उन्हें पार्किंग के लिए पास जारी किए गए थे। अंतिम संस्कार जुलूस में कोई बाधा नहीं आई। 7. डॉ. सिंह के पोतों को दिक्कतें हुईं: अंतिम संस्कार की रस्में निभाने वाले डॉ. सिंह के पोतों को चिता तक पहुंचने के लिए जगह के लिए संघर्ष करना पड़ा। उन्हें चिता के नजदीक पहुंचने में जद्दोजहद करनी पड़ी। अमित मालवीय: चिता के पास केवल परिवार के सदस्य, पुजारी और सेरेमोनियल गार्ड्स ही मौजूद थे। 8. भूटान के राजा खड़े हुए, मोदी बैठे रहे: विदेशी राजनयिकों को कहीं और बैठाया गया और वे नजर भी नहीं आए। हैरानी की बात यह रही कि जब भूटान के राजा खड़े हुए, तो प्रधानमंत्री खड़े नहीं हुए। अमित मालवीय: विदेशी राजनयिकों को पहले से तय स्थान पर बैठाया गया। प्रोटोकॉल के तहत भूटान के राजा और मॉरीशस के विदेश मंत्री अगली लाइन में बैठे थें। 9. निगमबोध घाट पर व्यवस्थाएं नहीं थीं: पूरे अंतिम संस्कार स्थल को इतनी खराब तरीके से व्यवस्थित किया गया था कि डॉ. सिंह की शव यात्रा में भाग लेने वाले कई लोगों के लिए कोई जगह नहीं बची। अमित मालवीय: शुभचिंतकों, समर्थकों और आगंतुकों को श्रद्धांजलि देने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं था। रक्षा मंत्रालय को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने का काम सौंपा गया है। वही किया गया। हमें उम्मीद है कि कांग्रेस डॉ. मनमोहन सिंह की मृत्यु पर राजनीति बंद करेगी और उन्हें वह सम्मान देगी जिसके वे हकदार हैं। प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा बोलीं- मनमोहन सिंह को भारत रत्न मिलना चाहिए भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा- मुझे लगता है कि मनमोहन सिंह के लिए स्मारक बनाने की मांग बिल्कुल जायज है। वे भारत में आर्थिक सुधारों के निर्माता हैं। वे भारत की विकास गाथा के जनक हैं। वे दो बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं, इसलिए उनके सम्मान में स्मारक बनाने की मांग बिल्कुल जायज है। मैं उनके लिए भारत रत्न की मांग करती हूं, वे इसके पूरी तरह हकदार हैं। तस्वीरों में मनमोहन सिंह का अंतिम सफर मनमोहन देश के पहले सिख PM, सबसे लंबे समय तक इस पद पर रहने वाले चौथे नेता
डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया था। वे 92 साल के थे। वे लंबे समय से बीमार थे। घर पर बेहोश होने के बाद उन्हें रात 8:06 बजे दिल्ली AIIMS लाया गया था। हॉस्पिटल बुलेटिन के मुताबिक, रात 9:51 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। मनमोहन सिंह, 2004 में देश के 14वें प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने मई 2014 तक इस पद पर दो कार्यकाल पूरे किए थे। वे देश के पहले सिख और सबसे लंबे समय तक रहने वाले चौथे प्रधानमंत्री थे। —————————————————- डॉ. मनमोहन सिंह से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… VIDEOS में मनमोहन सिंह की यादें, संसद में बोले थे- हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी… हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी… 27 अगस्त, 2012 को संसद परिसर में यह शेर पढ़ने वाले मनमोहन हमेशा के लिए खामोश हो गए। उन्हें एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर कहा गया, लेकिन मनमोहन ने न सिर्फ 5 साल का कार्यकाल पूरा किया, बल्कि अगली बार फिर सरकार में वापसी की। पूरी खबर पढ़ें… प्रोफेसर मनमोहन ब्यूरोक्रेसी से होते हुए राजनीति में आए और प्रधानमंत्री बने, राजीव ने ‘जोकर’ कहा था देश के 14वें प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार, 26 दिसंबर को निधन हो गया। एक प्रोफेसर, जो पहले ब्यूरोक्रेसी, फिर राजनीति में आए। मनमोहन सिंह का ब्यूरोक्रेटिक करियर उस वक्त शुरू हुआ जब ललित नारायण मिश्रा ने उन्हें कॉमर्स मिनिस्ट्री में बतौर एडवाइजर नौकरी दी। पूरी खबर पढ़ें…