आज 2024 का अंतिम दिन है। कल 1 जनवरी से नया साल 2025 शुरू हो जाएगा। बीते साल की गलतियों से सीख लें और नए साल में नए संकल्प लेकर काम करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। ग्रंथों की कथाओं से समझें गलतियों से सीख लेकर कैसे सफल हो सकते हैं… महाभारत में युद्ध शुरू होने वाला था, अर्जुन मोह में फंसे थे और इस कारण उन्होंने युद्ध करने का विचार छोड़ दिया था। तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया था कि इंसान से गलतियां होना सामान्य बात है, लेकिन जो लोग अपनी गलतियों से सीख लेकर आगे बढ़ते हैं, उन्हें सफलता जरूर मिलती है। महाभारत में कौरवों ने लगातार गलतियां कीं, लेकिन किसी ने भी गलतियों से सीख लेकर अपने कामों में सुधार नहीं किया। इसी वजह से कौरवों को पांडवों से हार मिली और पूरे कौरव वंश का ही नाश हो गया। पांडवों ने अपनी गलतियों से सीख ली और श्रीकृष्ण के बताए रास्ते पर आगे बढ़ते रहे, तभी उन्हें महाभारत युद्ध में जीत मिली। हम भी अपनी गलतियों से सीख लेकर धर्म के अनुसार काम करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। महाभारत में कर्ण अर्जुन के समान श्रेष्ठ धनुर्धर था। कई लोग तो कर्ण को अर्जुन से अच्छा धनुर्धर मानते हैं, लेकिन कर्ण की संगत अधर्मी दुर्योधन और शकुनी के साथ थी। कर्ण के स्वभाव में कई अच्छे गुण थे, लेकिन गलत संगत की वजह से उसके सभी गुणों का महत्व खत्म हो गया। श्रीकृष्ण ने कर्ण को समझाया भी था कि वह अधर्म का साथ छोड़ दे, लेकिन कर्ण ने दुर्योधन का साथ नहीं छोड़ा। अंत में कर्ण अर्जुन के हाथों मारा गया। अगर हम समय रहते गलत लोगों की संगत नहीं छो़ड़ेंगे तो हमें सफलता नहीं मिल पाएगी। गलत संगत की वजह से हमारे विचार भी नकारात्मक बनते हैं, हम सही गलत का भेद भूल जाते हैं और गलत कामों की ओर आकर्षित होने लगते हैं। सफल होना चाहते हैं तो गलतियों से सीख लें और गलत लोगों से दूर रहें। श्रीराम ने बालि का वध कर दिया था, इसके बाद राजा बनते ही सुग्रीव सीता की खोज में मदद करने का वचन भूल गए थे। सुग्रीव राज-पाठ का सुख भोगने लगे, दूसरी ओर श्रीराम और लक्ष्मण सुग्रीव की प्रतीक्षा कर रहे थे कि वे आएंगे और सीता की खोज करने में मदद करेंगे। कई दिनों तक जब सुग्रीव लौटकर नहीं आए, तब एक दिन लक्ष्मण क्रोधित होकर सुग्रीव के पास पहुंचे और उन्हें अपना वचन याद लिया। लक्ष्मण की बातें सुनकर सुग्रीव को अपनी गलती का अहसास हो गया और उन्होंने तुरंत अपनी गलती सुधारने के लिए श्रीराम से क्षमा मांगी। इसके बाद सुग्रीव ने वानर सेना को सीता की खोज में चारों दिशाओं में भेजा। सुग्रीव ने हमें सीख दी है कि सफलता का उत्सव मनाना अच्छी बात है, लेकिन इस उत्सव में हमें अपने वचन नहीं भूलना चाहिए। कोई गलती हो जाए तो उसे तुरंत सुधारकर आगे बढ़ना चाहिए, तभी जीवन में सुख-शांति के साथ ही सफलता भी मिलती है।