मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 4 की वैल्यूएशन पिछले हफ्ते के कारोबार में 96,606 करोड़ रुपए कम हुई है। इस दौरान देश का सबसे बड़ा प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC और ICICI बैंक की टॉप लूजर रहे। HDFC बैंक का मार्केट कैप 37,025 करोड़ रुपए कम होकर 13.38 लाख करोड़ रुपए पर आ गई है। वहीं, ICICI बैंक की वैल्यू 29,325 करोड़ रुपए कम होकर 8.93 लाख करोड़ रुपए पर आ गई है। LIC की मार्केट वैल्यू 13,282.49 करोड़ रुपए बढ़ी वहीं, जबकि बीते हफ्ते के कारोबार के बाद लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी LIC की मार्केट वैल्यू 13,282 करोड़ रुपए बढ़कर 5.75 लाख करोड़ रुपए रपर पहुंच गई है। इसके अलावा, इंफोसिस, ITC, एयरटेल की वैल्यूएशन में भी बढ़ोतरी हुई है। बीते हफ्ते शेयर बाजार में रही थी तेजी हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी 3 जनवरी को सेंसेक्स 720 अंक की गिरावट के साथ 79,223 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 183 अंक की गिरावट रही, ये 24,004 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 20 में गिरावट और 10 में तेजी रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 32 में गिरावट और 18 में तेजी रही। पिछले हफ्ते के कारोबार में सेंसेक्स 524 अंक चढ़ा। NSE सेक्टोरल इंडेक्स में IT सेक्टर सबसे ज्यादा 1.41% की गिरावट के साथ बंद हुआ। वहीं, बैंकिंग, फार्मा, हेल्थकेयर और फाइनेंशियल सर्विसेज 1% से ज्यादा की गिरावट के साथ बंद हुए। जबकि, निफ्टी ऑयल एंड गैस में 1.26% और मीडिया सेक्टर में 1.70% की तेजी रही। मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां। मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत) मार्केट कैप कैसे काम आता है? किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है। मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है? मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।