अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार देर रात ओवल ऑफिस अपना विदाई भाषण दिया। बाइडेन ने अपने आखिरी भाषण में कहा कि देश में अमीरों के एक छोटे वर्ग का वर्चस्व बढ़ रहा है। इससे देश और लोकतंत्र को खतरा पैदा हो रहा है। उन्होंने देश में टेक-इंडस्ट्रियल कॉम्पलेक्स के उभार पर चिंता जताई। बाइडेन ने इसे अमेरिकी नागरिकों के अधिकारों को खतरा बताया। अपने कार्यकाल पर बात करते हुए उन्होंने कहा- हमने जो कुछ भी किया है, उसका असर दिखने में समय लगेगा, लेकिन बीज बो दिए गए हैं, वे बढ़ेंगे और आने वाले दशकों तक खिलेंगे। बुधवार सुबह बाइडेन ने एक लेटर भी जारी किया था। इसमें उन्होंने वादे अधूरे रहने की बात स्वीकार की थी। बाइडेन का यह भाषण ट्रम्प के पद संभालने से ठीक 5 दिन पहले हुआ। ओवल ऑफिस में दिए अपने आखिरी भाषण में उन्होंने अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि दुनिया में सिर्फ अमेरिका में ही ऐसा हो सकता है, जहां एक हकलाने वाला बच्चा राष्ट्रपति बन जाए। अमेरिका में फेक न्यूज का जाल फैला है बाइडेन ने कहा कि अमेरिकी लोगों पर फेक न्यूज का जाल फैला दिया गया है, और इसके जरिए सत्ता का दुरुपयोग हो रहा है। हमें संविधान में संशोधन करने की जरूरत है, जिससे तय हो सके कि कोई भी इंसान राष्ट्रपति पद रहते हुए अपने अपराधों से मुक्त नहीं है। उन्होंने कहा- कुछ शक्तिशाली ताकतें अपनी पावर का इस्तेमाल कर क्लाइमेंट चेंच के निपटने के लिए हमारे उठाए गए कदमों को खत्म करना चाहती हैं, जिससे वो अपने फायदे के लिए सत्ता का इस्तेमाल कर सकें। हमें अपने और अपने बच्चों के भविष्य की बलि चढ़ाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों के कार्यकाल तय करने, नैतिक सुधार करने और कांग्रेस सदस्यों के स्टॉक ट्रेडिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। विदेश नीति पर पहले दे चुके हैं भाषण बाइडेन ने सोमवार को राजधानी वॉशिंगटन में विदेश नीति पर अपना आखिरी भाषण दिया था। इसमें उन्होंने दावा किया था कि चीन कभी अमेरिका से आगे नहीं निकल पाएगा। इसके साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने के फैसले को सही ठहराया था। बाइडेन को कैसे याद रखेगी दुनिया
डिबेट के बाद रेस से बाहर होने वाले पहले राष्ट्रपति
बाइडेन ने जुलाई में खुद को राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर कर लिया था। दरअसल, 27 जून को हुई पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट में बाइडेन को ट्रम्प के हाथों हार झेलनी पड़ी थी। हार के बाद से ही डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता बाइडेन की उम्मीदवारी को लेकर सवाल खड़े करने लगे थे। ट्रम्प पर हमले के बाद उनकी लोकप्रियता और बढ़ गई, जिसके बाद बाइडेन को अपनी दावेदारी छोड़नी पड़ी। सबसे ज्यादा उम्र के अमेरिकी राष्ट्रपति
बाइडेन अमेरिका में राष्ट्रपति बनने वाले सबसे ज्यादा उम्र के शख्स बने। जब उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तब उनकी उम्र 78 साल 220 दिन थी। ट्रम्प जब दूसरी बार राष्ट्रपति बने हैं, तब उनकी उम्र 78 साल 61 दिन है। अमेरिकी संविधान के मुताबिक ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकते। ऐसे में कुछ सालों तक बाइडेन का रिकॉर्ड कायम रहेगा। अमेरिकी इतिहास की सबसे लंबी जंग रोकी
बाइडेन के दौर में ही अगस्त 2021 में अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी हुई। अमेरिकी सेना 20 साल से अफगानिस्तान में थी। इसे अमेरिका इतिहास की सबसे लंबी जंग कहा जाता है। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जा कर लिया। रूस से लड़ने में यूक्रेन की मदद की
बाइडेन ने रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन की मदद की। अमेरिका ने यूक्रेन को आर्टिलरी, रॉकेट सिस्टम, ड्रोन, टैंक और एयर डिफेंस सिस्टम दिया। इसके अलावा लंबी दूरी के मिसाइलों का इस्तेमाल करने की भी छूट दी।यूक्रेनी सैनिकों को ट्रेनिंग देने के लिए अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट्स को भी भेजा गया। बाइडेन ने न सिर्फ यूक्रेन को अरबों डॉलर की आर्थिक मदद पहुंचाई। बल्कि अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी जुटाया। इसके अलावा अमेरिका ने रूस पर कड़े प्रतिबंध भी लगाए, जिससे रूस की आर्थिक हालत पर असर पड़ा। गाजा में हजारों मौत के बाद भी इजराइल का साथ दिया अमेरिका ने गाजा जंग शुरू होने के बाद एक साल में इजराइल को 18 अरब डॉलर (1.5 लाख करोड़) की सैन्य मदद इजराइल को दी। इसकी मदद ही से इजराइल ने ईरान, हमास, हिज्बुल्लाह और हूती विद्रोहियों का मुकाबला किया। गाजा में 45 हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने के बाद भी अमेरिका इजराइल के समर्थन में खड़ा रहा जिससे अंतराष्ट्रीय स्तर पर इजराइली सेना पर जंग खत्म करने का दबाव नाकाफी साबित हुआ। चीन के खिलाफ इंडो-पैसेफिक देशों को एकजुट किया
बाइडेन ने चीन को काउंटर करने के लिए इंडो-पैसेफिक देशों के साथ रिश्ते मजबूत किए। उन्होंने 4 साल में ऑकस, क्वाड, IPEF जैसे अमेरिकी गठबंधन में जान फूंकी। ——————————— अमेरिका से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं से बैन हटाया:20 साल से लगा था प्रतिबंध; अमेरिकी NSA ने परेशानियां दूर करने की बात कही थी अमेरिका ने बुधवार को 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं पर 20 साल से लगा प्रतिबंध हटाया। इसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ (IRE) के नाम हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…
डिबेट के बाद रेस से बाहर होने वाले पहले राष्ट्रपति
बाइडेन ने जुलाई में खुद को राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर कर लिया था। दरअसल, 27 जून को हुई पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट में बाइडेन को ट्रम्प के हाथों हार झेलनी पड़ी थी। हार के बाद से ही डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता बाइडेन की उम्मीदवारी को लेकर सवाल खड़े करने लगे थे। ट्रम्प पर हमले के बाद उनकी लोकप्रियता और बढ़ गई, जिसके बाद बाइडेन को अपनी दावेदारी छोड़नी पड़ी। सबसे ज्यादा उम्र के अमेरिकी राष्ट्रपति
बाइडेन अमेरिका में राष्ट्रपति बनने वाले सबसे ज्यादा उम्र के शख्स बने। जब उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तब उनकी उम्र 78 साल 220 दिन थी। ट्रम्प जब दूसरी बार राष्ट्रपति बने हैं, तब उनकी उम्र 78 साल 61 दिन है। अमेरिकी संविधान के मुताबिक ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकते। ऐसे में कुछ सालों तक बाइडेन का रिकॉर्ड कायम रहेगा। अमेरिकी इतिहास की सबसे लंबी जंग रोकी
बाइडेन के दौर में ही अगस्त 2021 में अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी हुई। अमेरिकी सेना 20 साल से अफगानिस्तान में थी। इसे अमेरिका इतिहास की सबसे लंबी जंग कहा जाता है। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जा कर लिया। रूस से लड़ने में यूक्रेन की मदद की
बाइडेन ने रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन की मदद की। अमेरिका ने यूक्रेन को आर्टिलरी, रॉकेट सिस्टम, ड्रोन, टैंक और एयर डिफेंस सिस्टम दिया। इसके अलावा लंबी दूरी के मिसाइलों का इस्तेमाल करने की भी छूट दी।यूक्रेनी सैनिकों को ट्रेनिंग देने के लिए अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट्स को भी भेजा गया। बाइडेन ने न सिर्फ यूक्रेन को अरबों डॉलर की आर्थिक मदद पहुंचाई। बल्कि अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी जुटाया। इसके अलावा अमेरिका ने रूस पर कड़े प्रतिबंध भी लगाए, जिससे रूस की आर्थिक हालत पर असर पड़ा। गाजा में हजारों मौत के बाद भी इजराइल का साथ दिया अमेरिका ने गाजा जंग शुरू होने के बाद एक साल में इजराइल को 18 अरब डॉलर (1.5 लाख करोड़) की सैन्य मदद इजराइल को दी। इसकी मदद ही से इजराइल ने ईरान, हमास, हिज्बुल्लाह और हूती विद्रोहियों का मुकाबला किया। गाजा में 45 हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने के बाद भी अमेरिका इजराइल के समर्थन में खड़ा रहा जिससे अंतराष्ट्रीय स्तर पर इजराइली सेना पर जंग खत्म करने का दबाव नाकाफी साबित हुआ। चीन के खिलाफ इंडो-पैसेफिक देशों को एकजुट किया
बाइडेन ने चीन को काउंटर करने के लिए इंडो-पैसेफिक देशों के साथ रिश्ते मजबूत किए। उन्होंने 4 साल में ऑकस, क्वाड, IPEF जैसे अमेरिकी गठबंधन में जान फूंकी। ——————————— अमेरिका से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं से बैन हटाया:20 साल से लगा था प्रतिबंध; अमेरिकी NSA ने परेशानियां दूर करने की बात कही थी अमेरिका ने बुधवार को 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं पर 20 साल से लगा प्रतिबंध हटाया। इसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ (IRE) के नाम हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…