पंजाब में नहीं दिखाई गई कंगना की फिल्म ‘इमरजेंसी’:PVR ने 80 थिएटरों में शो रोके; शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी की मांग- फिल्म को बैन करें

बॉलीवुड एक्टर एवं हिमाचल के मंडी से BJP सांसद कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी शुक्रवार को रिलीज हो गई है। लेकिन पंजाब में सिख संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं। अमृतसर, जालंधर, लुधियाना और मोहाली में थिएटर्स के बाहर सिख संगठनों के सदस्य काले झंडे लेकर विरोध कर रहे हैं। यहां पुलिस तैनात है। फिलहाल किसी भी थिएटर में फिल्म दिखाई नहीं जा रही है। सभी शो रोक दिए गए हैं। PVR ग्रुप के 70 से 80 थिएटरों पर ये फिल्म दिखाई जानी थी, विरोध के बाद इन थिएटरों पर फिल्म लगी ही नहीं। लॉ स्टूडेंट सफल हरप्रीत सिंह की तरफ से कंगना को कानूनी नोटिस भेजा गया है। जिसमें 5 दिन में पूरे पंजाब व सिख कम्युनिटी से माफी मांगने की मांग की है। अगर वे लीगल नोटिस का जवाब नहीं देतीं, तो इस मामले में कानून का सहारा लेंगे। दरअसल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ और सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है। SGPC की मांग के बाद ही शुक्रवार को सिख संगठनों ने PVR सिनेमा के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया। SGPC प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने गुरुवार को पंजाब CM भगवंत मान को लेटर भी लिखा था। धामी ने कहा था- ‘इमरजेंसी’ को पंजाब में बैन किया जाए। फिल्म में 1975 के आपातकाल के दौरान सिखों और उनके संघर्ष को जैसा दिखाया गया है, वह इतिहास से मेल नहीं खाता और सिखों की गलत छवि बना रहा है। धामी का आरोप है, फिल्म में सिखों के बलिदान और योगदान को नजरअंदाज किया गया। उन्हें नकारात्मक रोशनी में दिखाया गया। सिखों की भावनाओं का सम्मान करते हुए पंजाब में फिल्म रिलीज रोकी जाए। वहीं, इस मामले में कंगना ने कहा कि यह पूरी तरह से कला और कलाकार का उत्पीड़न है, यह मेरी छवि खराब करने और मेरी फिल्म इमरजेंसी को नुकसान पहुंचाने के लिए सरासर झूठ और दुष्प्रचार है। पंजाब व केंद्र सरकार को भेजा पत्र SGPC के सेक्रेटरी प्रताप सिंह ने कहा- आज पंजाब में कंगना की फिल्म इमरजेंसी रिलीज न किए जाने को लेकर भारत सरकार और पंजाब सरकार को पत्र भेजा गया था। मगर सरकारों ने ऐसा कुछ नहीं किया। कल भी एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने पंजाब के सीएम भगवंत मान को पत्र लिखकर सिनेमा घरों में फिल्म न दिखाए जाने की मांग की गई थी। आज इस फिल्म को रोकने के लिए सिख जत्थेबंदियां प्रदर्शन कर रही हैं। अमृतसर के तीनों सिनेमा घरों में फिल्म नहीं रिलीज की जा रही है। हमारी कौम ने देश के लिए कुर्बानियां दी हैं। मगर इस फिल्म में सिखों को गलत दिखाया गया है। इससे पंजाब का माहौल खराब हो सकता है कंगना रनोट ने कहा था- फिल्म में सिखों का अपमान नहीं कंगना रनोट ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उनकी फिल्म में सिख समुदाय के प्रति किसी भी तरह की अपमानजनक बात नहीं कही गई है। उन्होंने दावा किया कि ‘इमरजेंसी’ ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश में लगे आपातकाल के दौरान की सच्चाई को दिखाने का प्रयास किया गया है। बांग्लादेश में बैन हो चुकी फिल्म फिल्म के पहले रिलीज किए गए ट्रेलर में पंजाब के आतंकवाद के दौर के साथ-साथ बांग्लादेश की आजादी के दौर को भी दिखाया गया था। जिसके चलते ये फिल्म बांग्लादेश में बैन हो चुकी है। ट्रेलर में आतंकवाद, ब्लू स्टार ऑपरेशन और जरनैल सिंह भिंडरांवाला के बारे में कोई सीन नहीं दिखाया गया था। इसके बावजूद SGPC ने फिल्म को बैन करने की मांग रखी। जिसमें कहा गया कि फिल्म रिलीज से पहले उसे किसी भी धार्मिक संस्था से पास नहीं करवाया गया। फिल्म में दिखाए गए विवादित मुद्दे फिल्म में 1975-77 के दौरान इंदिरा गांधी के पीएम रहते हुए लगाए गए आपातकाल के समय की घटनाओं को दिखाया गया है। खासतौर पर इसमें सिखों के खिलाफ हुई ज्यादतियों, गोल्डन टेंपल पर सेना की कार्रवाई और बाकी विवादित घटनाओं को दिखाया गया है। SGPC का दावा है कि फिल्म में इन घटनाओं को गलत रूप में पेश किया है। पंजाब सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं पंजाब सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अमन वर्मा ने कहा- पंजाब की अमन शांति को नुकसान पहुंचाने वाला कोई काम करने की इजाजत नही दी जाएगीफ़िल्म पर रोक लगाने का फैसला मुख्यमंत्री ने लेना है। पहले ट्रेलर के बाद शुरू हुआ था विवाद फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह के अलावा सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने सबसे पहले इस फिल्म पर एतराज जताया था। इससे पहले ये फिल्म 6 सितंबर 2024 को रिलीज होने वाली थी, लेकिन विरोध के बाद इसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से क्लीयरेंस ही नहीं मिला था। 5 महीने पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले उनके सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह के बेटे एवं फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा ने ट्रेलर में दिखाए गए सीनों पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि फिल्म इमरजेंसी में सिखों को गलत तरीके से पेश करने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे समाज में शांति और कानून की स्थिति बिगड़ने की आशंका है। अगर इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है तो यह एक गहरी साजिश है। सरबजीत ने कहा था कि यह फिल्म एक मनोवैज्ञानिक हमला है, जिस पर सरकार को पहले से ध्यान देकर दूसरे देशों में सिखों के प्रति नफरत भड़काना बंद कर देना चाहिए। सेंसर बोर्ड ने फिल्म में करवाए तीन कट व 10 बदलाव