अमेरिका में 20 फरवरी से पहले सीजेरियन डिलीवरी की होड़:इसके बाद जन्मे बच्चों को नागरिकता नहीं मिलेगी; ट्रम्प ने बर्थराइट सिटिजनशिप खत्म की

अमेरिका में 20 फरवरी से पहले बच्चे को जन्म देने की होड़ मच गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एक भारतीय मूल की स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बताया कि उन्हें ऐसे करीब 20 फोन आए हैं जिनमें गर्भवती महिलाएं समय से पहले डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन यानी सर्जरी कराना चाह रही हैं। दरअसल, राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ट्रम्प ने एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी कर जन्मजात नागरिकता के अधिकार को समाप्त करने का फैसला किया है। ऐसे में अवैध प्रवासियों या वीजा पर रहने वाले लोगों के उन बच्चों को नागरिकता नहीं मिल पाएगी जिनका जन्म अमेरिका में होगा। ट्रम्प ने इस आदेश को लागू करने के लिए 30 दिन का समय दिया है। 19 फरवरी को यह समय सीमा पूरी हो रही है। यही वजह है कि कई गर्भवती महिलाएं 20 फरवरी से पहले बच्चा पैदा करना चाहती हैं। ट्रम्प के ऐलान के बाद समय से पहले बच्चे को जन्म देने के मामले बढ़े
रिपोर्ट के मुताबिक कई भारतीय महिलाएं आठवें या नौवें महीने में, 20 फरवरी से पहले बच्चे पैदा करना चाहती हैं। न्यू जर्सी की डॉ. एस.डी. रामा ने बताया कि ट्रम्प के ऐलान के बाद ऐसे मामले बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि एक महिला तो सातवें महीने में ही डिलीवरी चाहती है। इसके लिए वे पति के साथ आई थीं और डिलीवरी की तारीख मांग रही थीं। टेक्सास की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. एस जी मुक्काला ने समय से पहले बच्चे के जन्म के बाद होने वाले नुकसान पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि समय से पहले बच्चे पैदा करना संभव है, लेकिन इससे मां और बच्चे के लिए खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि समय से पहले डिलीवरी से बच्चों में अविकसित फेफड़े, तंत्रिका तंत्र को नुकसान, कम वजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अमेरिका में बढ़े जन्मजात नागरिकता के मामले
गरीब और युद्धग्रस्त देशों से आए लोग अमेरिका आकर और बच्चों को जन्म देते हैं। ये लोग पढ़ाई, रिसर्च, नौकरी के आधार पर अमेरिका में रुकते हैं। बच्चे का जन्म होते ही उन्हें अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है। नागरिकता के बहाने माता-पिता को अमेरिका में रहने की कानूनी वजह भी मिल जाती है। अमेरिका में यह ट्रेंड काफी लंबे समय से जोरों पर है। आलोचक इसे बर्थ टूरिज्म कहते हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक 16 लाख भारतीय बच्चों को अमेरिका में जन्म लेने की वजह से नागरिकता मिली है। ग्रीनकार्ड का इंतजार कर रहे परिवारों की उम्मीद टूटी
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ट्रम्प के आदेश से हर साल 1.5 लाख नवजातों की नागरिकता पर संकट आ गया है। आदेश के बाद अमेरिका में ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे परिवारों को सबसे ज्यादा झटका लगा है क्योंकि वे अपने बच्चों के जन्म की नागरिकता से अमेरिका में लंबे समय तक रहने का मौका तलाश रहे थे। एक भारतीय दंपती ने बताया कि वे 8 वर्षों से H-1B वीजा पर अमेरिका में रह रहे हैं। उन्हें उम्मीद थी कि उनका बच्चा यहीं पैदा होगा, जिससे वे हमेशा अमेरिका में रह पाएंगे, लेकिन अब यह संभव नहीं है।