हम अपने जीवन में जो कुछ भी करते हैं, खुशी पाने के लिए करते हैं। लेकिन खुशी कोई प्रोडक्ट नहीं है, जिसे हम मार्केट से खरीद लें। खुशी हमारे अंदर निहित होती है, उसे बस समझने व महसूस करने की जरूरत होती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने 100 सालों तक इस बात पर स्टडी की कि मनुष्य को सबसे ज्यादा खुशी किस चीज से मिलती है। ये दुनिया की सबसे लंबी हैप्पीनेस स्टडी है। इस स्टडी से जो बुनियादी बातें हमें समझ में आती हैं, वो ये हैं कि मनुष्य को खुश रहने के लिए संपत्ति, सामान या भौतिक सुख-सुविधाएं नहीं, बल्कि प्यार, रिश्ते और अपने भीतर सुख-शांति चाहिए होती है। आज रिलेशनशिप कॉलम में जीवन के ऐसे 11 सबक के बारे में बात करेंगे, जिसे अगर हम अपनी जवानी में आत्मसात कर लेते हैं तो पूरी जिंदगी खुश रह सकते हैं। खुशी कोई ऐसी चीज नहीं, जो बाहर मिलती है लाेग बाहरी दुनिया में खुशी की तलाश करते हैं। जैसेकि- कपड़े खरीदना, गाड़ी खरीदना, मकान खरीदना, रिलेशनशिप में जाना वगैरह-वगैरह। हमें लगता है कि इन चीजों से खुशी मिलती है, लेकिन ये सच नहीं है। इनसे हमें थोड़ी देर के लिए खुशी जरूर मिल सकती है, लेकिन ये खुशी स्थाई नहीं होती है। आजकल खुशी एक तरह का सेलिंग प्रोडक्ट बन चुका है। सारे विज्ञापन कहते हैं कि इस सामान से खुशी मिलती है। हर कोई खुशी बेच रहा है, जबकि खुशी ऐसी कोई चीज नहीं है, जिसके पीछे लगातार भागना पड़ता है या उसे ढूंढना होता है। ये एक तरह का शांति और स्थिरता वाला पल होता है। आप शांत बैठे रहेंगे, तब भी इसे अपने भीतर महसूस कर सकते हैं। कबीरदास जी की एक मशहूर पंक्ति है- ”कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढे बन माहि, ऐसे घट-घट राम हैं, दुनिया देखे नाहि।” इसका मतलब है कि जिस तरह हिरण कस्तूरी (एक सुगंधित पदार्थ) की खोज में इधर-उधर भटकता है, जबकि कस्तूरी उसके भीतर ही होती है। उसी तरह मनुष्य भी अज्ञानता के कारण ईश्वर की खोज में इधर-उधर भटकता है। ठीक इसी तरह खुशी भी हमारे अंदर ही होती है, लेकिन हम इसे बाहरी दुनिया में खोजते हैं। हमेशा वर्तमान में रहें, भविष्य के बारे में न सोचें लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं, जबकि उन्हें अगले पल के बारे में भी कोई खबर नहीं होती है। इसलिए खुश रहने के लिए वर्तमान में जीना सीखें। इसे एक उदाहरण से समझिए- जब आप ऑफिस में हों तो पूरी तरह से अपने काम को लेकर डेडिकेटेड रहें। जब आप अपनी फैमिली के साथ हों तो तन-मन से वहीं रहें। अगर कोई फिल्म देख रहे हैं या संगीत सुन रहे हैं तो सबकुछ भूलकर उसमें ही डूब जाएं। मतलब आपका दिमाग लगातर उलझा हुआ नहीं होना चाहिए कि फिल्म देख रहे हैं, लेकिन दिमाग में ऑफिस चल रहा है। जब जहां हैं, जो कर रहे हैं उसमें पूरी तरह से मौजूद रहें। जो बीत गया वह बीत गया, उसके बारे में सोचकर कोई फायदा नहीं। जो आएगा, उसके बारे में भी सोचकर कोई फायदा नहीं। इसलिए हमेशा वर्तमान समय में जीना सीखें। इससे आप खुशी महसूस कर सकते हैं। हमेशा खुश रहना भी जरूरी नहीं आदमी हमेशा खुश नहीं रह सकता या हमेशा अच्छा नहीं महसूस कर सकता। ऐसा भी होगा कि कभी मन दुखी होगा, कभी अच्छा नहीं लगेगा, कभी तबीयत खराब होगी। हालांकि कभी-कभार अच्छा महसूस न करना भी ठीक होता है। इसलिए हर भाव को स्वीकार करें और हमेशा उसके साथ सहज रहें। जिस चीज को कंट्रोल नहीं कर सकते, उसे जानें दें हर वह चीज जिस पर आपका बस नहीं है, उसे जाने दें। उसको कंट्रोल करने या बदलने की कोशिश न करें। जैसेकि ऑफिस ऐसा क्यों है, ऑफिस के लोग ऐसे क्यों हैं, मेरे पड़ोसी ऐसे क्यों है, मेरे रिश्तेदार ऐसे क्यों हैं? ऐसी कोई भी चीज जो आपके कंट्रोल से बाहर है, उसको छोड़ दीजिए। उसके बारे में मत सोचिए। यह भी खुश रहने की एक कुंजी है। दूसरों पर दोषारोपण न करें अगर खुश रहना चाहते हैं तो अपनी गलतियों के लिए दूसरों को दोषी न ठहराएं। जैसेकि तुमने यह कर दिया, तुम्हारी वजह से ऐसा हुआ, इसमें तुम्हारी गलती है। ये चीजें सिर्फ आपको दुखी महसूस कराती हैं। इसलिए हमेशा अपनी गलतियों के लिए दूसरों पर दोषारोपण करने से बचें। हमेशा मुस्कुराते रहना ही खुशी नहीं खुशी एक ऐसा एहसास है, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। हम अक्सर सोचते हैं कि खुश रहने का मतलब सिर्फ मुस्कुराना और हर वक्त खुशी से झूमते रहना है। हालांकि खुशी का असल मतलब इससे कहीं अधिक गहरा है। खुशी सिर्फ बाहरी परिस्थितियों या दिखावे पर आधारित नहीं होती, बल्कि यह हमारी आंतरिक स्थिति और मानसिक संतुलन पर निर्भर है। हेल्दी डाइट लें, शरीर और मन को स्वस्थ रखें जीवन में खुश रहने के लिए हेल्दी और बैलेंस्ड डाइट लेना जरूरी है। हर रोज जकंफूड या फास्टफूड खाने से सिर्फ बीमारियां ही होंगी। इससे खुशी नहीं मिल सकती है। इसके अलावा शरीर को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना कम-से-कम 45 मिनट एक्सरसाइज करें। जब तन और मन दुरुस्त रहेगा, तभी खुशी का अनुभव कर पाएंगे। हर किसी को खुश करने की कोशिश न करें दुनिया में आज तक ऐसा कोई भी नहीं हुआ, जो हर किसी को खुश कर सका हो। इसलिए इसकी परवाह न करें कि आपको कोई पसंद करता है या नहीं। मायने ये रखता है कि आप खुद को कितना पसंद करते हैं। हर किसी को खुश रखने की जिम्मेदारी आपकी नहीं है। इसलिए किसी को खुश करने के बजाय खुद पर ध्यान दें। जीवन से जो कुछ सीखा, उसे दूसरों को सिखाएं आपको जीवन से जो कुछ भी मिला है या जो कुछ भी आपने सीखा है, उसे किसी-न-किसी रूप में लौटाना चाहिए। अपनी सीखी हुई चीजों को होल्ड करके न रखें, बल्कि उसे दूसरों को सिखाएं। खुशी महसूस करने का ये भी एक आसान तरीका है। खुशी के लिए प्यार भी जरूरी जीवन में ऐसे लोग होने चाहिए, जो आपको प्यार करते हों या आप जिन्हें प्यार करते हों। ये प्यार फिजिकल और भौतिक लेन–देन से ऊपर होना चाहिए। जैसे आप अपने बच्चे को निस्वार्थ प्यार करते हैं। खुद को परफेक्ट न समझें इस भाव में रहना कि मैं परफेक्ट हूं, दुखी होने का एक बड़ा कारण है। वहीं अपनी गलतियों को स्वीकारने में बहुत शांति मिलती है। गलती स्वीकार लेने मात्र से परफेक्ट होने का बहुत सारा प्रेशर खत्म हो जाता है। अगर खुश रहना चाहते हैं तो अपनी गलतियों को स्वीकार करें और उससे सीखें।