सोना पहली बार 81 हजार रुपए को पार कर गया। 30 जनवरी को 10 ग्राम गोल्ड की कीमत 81,010 रुपए पहुंची। 31 दिसंबर 2024 को 24 कैरेट सोने की कीमत 76,162 रुपए प्रति 10 ग्राम थी। यानी पिछले 30 दिनों में 4,848 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। गोल्ड में क्यों आ रहा इतना उछाल, क्या कल बजट में और महंगा होगा, कब पहुंचेगा 1 लाख प्रति 10 ग्राम; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: क्या 1 फरवरी यानी कल पेश होने वाले बजट में सोना और महंगा हो सकता है?
जवाब: पिछले साल का बजट याद कीजिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोने पर कस्टम ड्यूटी 15% से घटाकर 6% कर दी थी। जिसके बाद सोने की कीमतों में फौरन करीब 4 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम की गिरावट हुई। इससे देश में गोल्ड इम्पोर्ट तेजी से बढ़ने लगा। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोने और चांदी पर कस्टम ड्यूटी वापस बढ़ा सकती हैं। इसकी 2 बड़ी वजहें हैं… 1. राजस्व की जरूरत: कंट्रोलर जनरल ऑफ डिफेंस अकाउंट (CGDA) की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर के दौरान सरकार का राजकोषीय घाटा करीब 8.5 लाख करोड़ रुपए रहा। यानी सरकार की कमाई और खर्च का गैप बढ़ा है। इस घाटे से बाहर निकलने के लिए सरकार को राजस्व की जरूरत है। ऐसे में सोने पर कस्टम ड्यूटी को बढ़ाया जा सकता है, जिससे सरकार की आमदनी बढ़ जाएगी। 2. सोने की घरेलू डिमांड को कंट्रोल करना: भारत में सोने की खपत बहुत ज्यादा है। इससे भुगतान घाटा (Current Account Deficit) बढ़ सकता है। यानी जितना सामान हम दूसरे देशों को बेचते हैं, उससे कहीं ज्यादा खरीद रहे हैं। सरकार सोने के आयात को महंगा करके इसकी खपत को नियंत्रित करने की कोशिश कर सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर बजट में कस्टम ड्यूटी 6% से बढ़ाकर 12% भी होती है, तो सोने की कीमतों में 4 से 5 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम का उछाल आ सकता है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई का मानना इससे अलग है। वो कहते हैं- दिल्ली चुनाव को देखते हुए सरकार गोल्ड की कीमतें बढ़ाने का रिस्क नहीं लेगी। सवाल-2: सोने की कीमतों में मौजूदा बढ़ोतरी के पीछे क्या वजहें हैं?
जवाब: सोने की कीमतों में मौजूदा बढ़ोतरी के 4 बड़े फैक्टर्स हैं… 1. ट्रम्प के आने से मची आर्थिक उथल-पुथल से महंगा हुआ सोना
अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पॉलिसी अमेरिका फर्स्ट और दूसरे देशों पर टैरिफ बढ़ाने की रही है। ट्रम्प ने मेक्सिको और कनाडा पर 25% तक टैरिफ लगाने का ऐलान भी कर दिया। इसके साथ ही भारत और चीन जैसे देशों को हाई टैरिफ वाले देशों की लिस्ट में शामिल करने की बात कही। ट्रम्प के फैसलों की वजह से इन्वेस्टर्स शेयर बाजार और करेंसी में इन्वेस्ट करने से घबराने लगे और सोने में इन्वेस्ट करने लगे। सोने की डिमांड बढ़ने से कीमतें भी बढ़ गईं। 2. रुपए की कमजोरी से सोने की कीमतें बढ़ीं
वर्ल्ड ट्रेड स्कैनर की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में 1 डॉलर की वैल्यू 75.41 रुपए थी जो 30 जनवरी 2025 तक बढ़कर 86.58 रुपए हो गई है। जब रुपए की कीमत गिरती है, तो सोने के इंपोर्ट के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं, इससे घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ जाती हैं। 3. गोल्ड ETF में निवेश बढ़ने से सोने की डिमांड बढ़ी
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर और बिजनेस एक्सपर्ट अजय केडिया के मुताबिक शेयर बाजार में कई महीनों से लगातार गिरावट हो रही है। ऐसे में इन्वेस्टर्स अपना पैसा सुरक्षित रखने के लिए सोने-चांदी के जरिए एक्सचेंज ट्रेड फंड यानी ETF में निवेश कर रहे हैं। इस वजह से सोने की मांग तेजी से बढ़ रही है और उसकी कीमतों में भी इजाफा हो रहा है। 4. महंगाई बढ़ने से सोने की कीमतों में उछाल आया
महंगाई बढ़ने पर लोग सोने में निवेश करते हैं, क्योंकि सोना हेज यानी सुरक्षा का काम करता है। जब महंगाई बढ़ती है तो पैसे की वैल्यू कम हो जाती है, लेकिन सोने की वैल्यू कम नहीं होती। इसलिए लोग महंगाई में सोने से ट्रेड करते हैं। सवाल-3: क्या अगले 30 दिनों में सोना 1 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम हो सकता है?
जवाब: बिजनेस एक्सपर्ट अजय केडिया का कहना है कि 30 दिनों में सोना 1 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम नहीं पहुंच सकता। हालांकि एक बड़ी रैली के बाद सोने में गिरावट आनी थी, वह आ चुकी है। ब्याज दरों में कटौती, बढ़ती महंगाई, रुपए की गिरती वैल्यू और जियोपॉलिटिकल टेंशन की वजह से सोने की डिमांड लगातार बढ़ेगी। इससे सोने में इन्वेस्टमेंट भी बढ़ेगा, लेकिन फिलहाल इसकी कीमत 1 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम होना मुश्किल है। अजय केडिया के मुताबिक, दिसंबर 2025 तक सोने की मैक्सिमम वैल्यू 85 हजार से 90 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम हो सकती है। वहीं, अगर सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स मजबूत होते गए, तो 2026 तक सोने की कीमत 1 लाख तक पहुंच सकती है। सवाल-4: सोने की कीमतों में बढ़ोतरी सिर्फ भारत में हो रही या ग्लोबल मार्केट में भी यही ट्रेंड है?
जवाब: सोने की कीमत कोई देश खुद तय नहीं करता। इसके रेट इंटरनेशनल लेवल पर भारत से 8 हजार किलोमीटर दूर लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) तय और रेगुलेट करता है। यह बाकी देशों के साथ मिलकर काम करता है। 24 कैरेट शुद्धता वाले सोने का प्रति औंस रेट डॉलर में तय होता है। 28.3 ग्राम का एक औंस होता है। LBMA में भी 30 अक्टूबर के बाद सोने की कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 1 जनवरी 2025 को LBMA में सोने की कीमत 2,644 डॉलर प्रति औंस थी, जो 30 जनवरी तक बढ़कर 2,753 डॉलर प्रति औंस पर आ गई है। सवाल-5: इस साल सोने की कीमतों का क्या प्रोजेक्शन है?
जवाब: अजय केडिया के मुताबिक, 2025 में सोने की कीमतें लगातार बढ़ेंगी। 2025 के फर्स्ट हाफ यानी जून तक भारत में 24 कैरेट सोने की कीमत 85 हजार से 90 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमत 3,000 डॉलर प्रति औंस हो सकती है। इसकी 3 बड़ी वजहें हैं… 1. केंद्रीय बैंक की खरीद में उछाल
दुनियाभर के केंद्रीय बैंक सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं। यह खरीदारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद शुरू हुई। सोने की खरीदारी अब 2022 से पहले के स्तर से लगभग 3 गुना बढ़ गई है, जो लगातार जारी है। 2. जियोपॉलिटिकल इश्यू पर सोना निर्भर
डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनावी रैलियों में मिडिल ईस्ट वॉर और रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने का वादा किया था। ट्रम्प ने इजराइल और हमास युद्ध तो रुकवा दिया है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध पर लगाम नहीं लगी। इसी के साथ चीन-म्यामांर जैसे कई देशों में युद्ध शुरू होने की खबरें आ रही हैं। अगर दुनियाभर में युद्ध की स्थिति बनी रही तो 2025 में सोने के भाव तेजी से बढ़ेंगे। 3. फेडरल रिजर्व के इंट्रेस्ट रेट में कटौती
अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक इंट्रेस्ट रेट में फिलहाल कोई कटौती नहीं की है। अगर अगली बैठकों में रेट में कटौती होती है तो सोने की कीमतें बढ़ना लगभग तय है। इंट्रेस्ट रेट बढ़ने से सोने की खरीदारी कम हो जाती है, क्योंकि इससे फायदा कम मिलता है। अभी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर 4.25% से 4.50% के बीच ही रहेगी। सवाल-6: चांदी की कीमतों का ट्रेंड और इस साल का प्रोजेक्शन क्या है?
जवाब: 30 जनवरी को चांदी 1,172 रुपए बढ़कर 91,600 रुपए प्रति किलो हो गई है। 29 जनवरी को चांदी 90,428 रुपए पर थी। चांदी ने 23 अक्टूबर 2024 को अपना ऑलटाइम हाई बनाया था, तब ये 99,151 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई थी। बीते 30 दिनों में एक किलो चांदी की कीमत 85,900 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर 91,600 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सोने और चांदी के प्रोजेक्शन के लिए दोनों का रेश्यो कम्पैरिजन किया जाता है। यह रेश्यो आमतौर पर 30% से 90% के बीच बना रहता है। जनवरी 2025 में सोने और चांदी का रेश्यो 89.3% पर बना हुआ है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले समय में रेश्यो नीचे गिरेगा, जिससे चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है। 2025 में चांदी भारतीय बाजार में 1 लाख 30 हजार रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। ————– रिसर्च सहयोग- गंधर्व झा ————- सोने से जुड़ी अन्य खबरें… 1. क्या धरती का 80% सोना निकल चुका: 20 साल में 11 गुना हुई कीमत, ₹1 लाख कब छुएगा; गोल्ड की ग्राफिकल कहानी मान लीजिए आपको एक सुपर-पावर मिल जाए, जिससे आप पूरी दुनिया का सोना अपने कब्जे में ले सकें। बैंक के वॉल्ट में रखी सोने की सिल्लियों से लेकर महिलाओं के मंगलसूत्र तक। सारा सोना गला कर आप एक वर्गाकर सिल्ली बनाएं तो वो कितनी बड़ी होगी। पूरी खबर पढ़ें…
जवाब: पिछले साल का बजट याद कीजिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोने पर कस्टम ड्यूटी 15% से घटाकर 6% कर दी थी। जिसके बाद सोने की कीमतों में फौरन करीब 4 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम की गिरावट हुई। इससे देश में गोल्ड इम्पोर्ट तेजी से बढ़ने लगा। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोने और चांदी पर कस्टम ड्यूटी वापस बढ़ा सकती हैं। इसकी 2 बड़ी वजहें हैं… 1. राजस्व की जरूरत: कंट्रोलर जनरल ऑफ डिफेंस अकाउंट (CGDA) की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से नवंबर के दौरान सरकार का राजकोषीय घाटा करीब 8.5 लाख करोड़ रुपए रहा। यानी सरकार की कमाई और खर्च का गैप बढ़ा है। इस घाटे से बाहर निकलने के लिए सरकार को राजस्व की जरूरत है। ऐसे में सोने पर कस्टम ड्यूटी को बढ़ाया जा सकता है, जिससे सरकार की आमदनी बढ़ जाएगी। 2. सोने की घरेलू डिमांड को कंट्रोल करना: भारत में सोने की खपत बहुत ज्यादा है। इससे भुगतान घाटा (Current Account Deficit) बढ़ सकता है। यानी जितना सामान हम दूसरे देशों को बेचते हैं, उससे कहीं ज्यादा खरीद रहे हैं। सरकार सोने के आयात को महंगा करके इसकी खपत को नियंत्रित करने की कोशिश कर सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर बजट में कस्टम ड्यूटी 6% से बढ़ाकर 12% भी होती है, तो सोने की कीमतों में 4 से 5 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम का उछाल आ सकता है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई का मानना इससे अलग है। वो कहते हैं- दिल्ली चुनाव को देखते हुए सरकार गोल्ड की कीमतें बढ़ाने का रिस्क नहीं लेगी। सवाल-2: सोने की कीमतों में मौजूदा बढ़ोतरी के पीछे क्या वजहें हैं?
जवाब: सोने की कीमतों में मौजूदा बढ़ोतरी के 4 बड़े फैक्टर्स हैं… 1. ट्रम्प के आने से मची आर्थिक उथल-पुथल से महंगा हुआ सोना
अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पॉलिसी अमेरिका फर्स्ट और दूसरे देशों पर टैरिफ बढ़ाने की रही है। ट्रम्प ने मेक्सिको और कनाडा पर 25% तक टैरिफ लगाने का ऐलान भी कर दिया। इसके साथ ही भारत और चीन जैसे देशों को हाई टैरिफ वाले देशों की लिस्ट में शामिल करने की बात कही। ट्रम्प के फैसलों की वजह से इन्वेस्टर्स शेयर बाजार और करेंसी में इन्वेस्ट करने से घबराने लगे और सोने में इन्वेस्ट करने लगे। सोने की डिमांड बढ़ने से कीमतें भी बढ़ गईं। 2. रुपए की कमजोरी से सोने की कीमतें बढ़ीं
वर्ल्ड ट्रेड स्कैनर की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में 1 डॉलर की वैल्यू 75.41 रुपए थी जो 30 जनवरी 2025 तक बढ़कर 86.58 रुपए हो गई है। जब रुपए की कीमत गिरती है, तो सोने के इंपोर्ट के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं, इससे घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ जाती हैं। 3. गोल्ड ETF में निवेश बढ़ने से सोने की डिमांड बढ़ी
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर और बिजनेस एक्सपर्ट अजय केडिया के मुताबिक शेयर बाजार में कई महीनों से लगातार गिरावट हो रही है। ऐसे में इन्वेस्टर्स अपना पैसा सुरक्षित रखने के लिए सोने-चांदी के जरिए एक्सचेंज ट्रेड फंड यानी ETF में निवेश कर रहे हैं। इस वजह से सोने की मांग तेजी से बढ़ रही है और उसकी कीमतों में भी इजाफा हो रहा है। 4. महंगाई बढ़ने से सोने की कीमतों में उछाल आया
महंगाई बढ़ने पर लोग सोने में निवेश करते हैं, क्योंकि सोना हेज यानी सुरक्षा का काम करता है। जब महंगाई बढ़ती है तो पैसे की वैल्यू कम हो जाती है, लेकिन सोने की वैल्यू कम नहीं होती। इसलिए लोग महंगाई में सोने से ट्रेड करते हैं। सवाल-3: क्या अगले 30 दिनों में सोना 1 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम हो सकता है?
जवाब: बिजनेस एक्सपर्ट अजय केडिया का कहना है कि 30 दिनों में सोना 1 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम नहीं पहुंच सकता। हालांकि एक बड़ी रैली के बाद सोने में गिरावट आनी थी, वह आ चुकी है। ब्याज दरों में कटौती, बढ़ती महंगाई, रुपए की गिरती वैल्यू और जियोपॉलिटिकल टेंशन की वजह से सोने की डिमांड लगातार बढ़ेगी। इससे सोने में इन्वेस्टमेंट भी बढ़ेगा, लेकिन फिलहाल इसकी कीमत 1 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम होना मुश्किल है। अजय केडिया के मुताबिक, दिसंबर 2025 तक सोने की मैक्सिमम वैल्यू 85 हजार से 90 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम हो सकती है। वहीं, अगर सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स मजबूत होते गए, तो 2026 तक सोने की कीमत 1 लाख तक पहुंच सकती है। सवाल-4: सोने की कीमतों में बढ़ोतरी सिर्फ भारत में हो रही या ग्लोबल मार्केट में भी यही ट्रेंड है?
जवाब: सोने की कीमत कोई देश खुद तय नहीं करता। इसके रेट इंटरनेशनल लेवल पर भारत से 8 हजार किलोमीटर दूर लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) तय और रेगुलेट करता है। यह बाकी देशों के साथ मिलकर काम करता है। 24 कैरेट शुद्धता वाले सोने का प्रति औंस रेट डॉलर में तय होता है। 28.3 ग्राम का एक औंस होता है। LBMA में भी 30 अक्टूबर के बाद सोने की कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 1 जनवरी 2025 को LBMA में सोने की कीमत 2,644 डॉलर प्रति औंस थी, जो 30 जनवरी तक बढ़कर 2,753 डॉलर प्रति औंस पर आ गई है। सवाल-5: इस साल सोने की कीमतों का क्या प्रोजेक्शन है?
जवाब: अजय केडिया के मुताबिक, 2025 में सोने की कीमतें लगातार बढ़ेंगी। 2025 के फर्स्ट हाफ यानी जून तक भारत में 24 कैरेट सोने की कीमत 85 हजार से 90 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमत 3,000 डॉलर प्रति औंस हो सकती है। इसकी 3 बड़ी वजहें हैं… 1. केंद्रीय बैंक की खरीद में उछाल
दुनियाभर के केंद्रीय बैंक सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं। यह खरीदारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद शुरू हुई। सोने की खरीदारी अब 2022 से पहले के स्तर से लगभग 3 गुना बढ़ गई है, जो लगातार जारी है। 2. जियोपॉलिटिकल इश्यू पर सोना निर्भर
डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनावी रैलियों में मिडिल ईस्ट वॉर और रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने का वादा किया था। ट्रम्प ने इजराइल और हमास युद्ध तो रुकवा दिया है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध पर लगाम नहीं लगी। इसी के साथ चीन-म्यामांर जैसे कई देशों में युद्ध शुरू होने की खबरें आ रही हैं। अगर दुनियाभर में युद्ध की स्थिति बनी रही तो 2025 में सोने के भाव तेजी से बढ़ेंगे। 3. फेडरल रिजर्व के इंट्रेस्ट रेट में कटौती
अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक इंट्रेस्ट रेट में फिलहाल कोई कटौती नहीं की है। अगर अगली बैठकों में रेट में कटौती होती है तो सोने की कीमतें बढ़ना लगभग तय है। इंट्रेस्ट रेट बढ़ने से सोने की खरीदारी कम हो जाती है, क्योंकि इससे फायदा कम मिलता है। अभी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर 4.25% से 4.50% के बीच ही रहेगी। सवाल-6: चांदी की कीमतों का ट्रेंड और इस साल का प्रोजेक्शन क्या है?
जवाब: 30 जनवरी को चांदी 1,172 रुपए बढ़कर 91,600 रुपए प्रति किलो हो गई है। 29 जनवरी को चांदी 90,428 रुपए पर थी। चांदी ने 23 अक्टूबर 2024 को अपना ऑलटाइम हाई बनाया था, तब ये 99,151 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई थी। बीते 30 दिनों में एक किलो चांदी की कीमत 85,900 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर 91,600 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सोने और चांदी के प्रोजेक्शन के लिए दोनों का रेश्यो कम्पैरिजन किया जाता है। यह रेश्यो आमतौर पर 30% से 90% के बीच बना रहता है। जनवरी 2025 में सोने और चांदी का रेश्यो 89.3% पर बना हुआ है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले समय में रेश्यो नीचे गिरेगा, जिससे चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है। 2025 में चांदी भारतीय बाजार में 1 लाख 30 हजार रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। ————– रिसर्च सहयोग- गंधर्व झा ————- सोने से जुड़ी अन्य खबरें… 1. क्या धरती का 80% सोना निकल चुका: 20 साल में 11 गुना हुई कीमत, ₹1 लाख कब छुएगा; गोल्ड की ग्राफिकल कहानी मान लीजिए आपको एक सुपर-पावर मिल जाए, जिससे आप पूरी दुनिया का सोना अपने कब्जे में ले सकें। बैंक के वॉल्ट में रखी सोने की सिल्लियों से लेकर महिलाओं के मंगलसूत्र तक। सारा सोना गला कर आप एक वर्गाकर सिल्ली बनाएं तो वो कितनी बड़ी होगी। पूरी खबर पढ़ें…