अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर BRICS देशों को चेतावनी दी है। ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा कि अगर BRICS देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार से अमेरिकी डॉलर को हटाने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। ट्रम्प ने गुरुवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए लिखा, BRICS देश डॉलर से हटने की कोशिश करते रहेगें और हम सिर्फ देखते रहेंगे, यह आइडिया अब खत्म हो चुका है। ट्रम्प ने BRICS देशों से नई करेंसी नहीं बनाने और डॉलर के अलावा किसी दूसरी करेंसी को विकल्प नहीं बनाने का गारंटी मांगी है। अगर BRICS देश ऐसा नहीं करते हैं तो ट्रम्प उन पर 100 टैरिफ लगाएंगे। साथ ही वे अमेरिका के साथ व्यापार भी नहीं कर पाएंगे। उन्होंने BRICS देशों से कहा कि वे कोई और बेवकूफ देश ढूंढ लें। करेंसी बनाने पर BRICS देशों में सहमति नहीं BRICS में शामिल सदस्य देशों के बीच करेंसी बनाने को लेकर सहमति नहीं हो पाई है। इसे लेकर अब तक कोई आधिकारिक बयान भी नहीं आया है। पिछले साल अक्टूबर में रूस में हुई BRICS देशों की समिट से पहले इसकी करेंसी को लेकर चर्चा तेज थी। हालांकि समिट से पहले ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने ये साफ कर दिया था कि BRICS संगठन अपनी करेंसी बनाने पर विचार नहीं कर रहा है। हालांकि समिट में BRICS देशों के अपने पेमेंट सिस्टम को लेकर चर्चा हुई थी। इस पेमेंट सिस्टम को ग्लोबल SWIFT पेमेंट सिस्टम की तर्ज पर तैयार करने को लेकर चर्चा हुई थी। भारत ने BRICS देशों को पेमेंट सिस्टम के लिए अपना UPI देने की पेशकश की थी। भारत BRICS करेंसी के समर्थन में नहीं पिछले साल दिसंबर में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बयान में कहा था कि भारत डी-डॉलराइजेशन यानी व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के पक्ष में नहीं है और BRICS करेंसी का कोई प्रस्ताव भी नहीं हैं। BRICS दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों का ऐसा समूह है, जिसमें अमेरिका शामिल नहीं है। पिछले कुछ सालों से रूस और चीन मेरिकी डॉलर के विकल्प के तौर पर BRICS करेंसी बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिस पर सहमति नहीं बन पा रही है। डॉलर के दम पर अमेरिका अरबों कमाता है 1973 में 22 देशों के 518 बैंक के साथ SWIFT नेटवर्क शुरू हुआ था। फिलहाल इसमें 200 से ज्यादा देशों के 11,000 बैंक शामिल हैं। जो अमेरिकी बैंकों में अपना विदेशी मुद्रा भंडार रखते हैं। अब सारा पैसा तो व्यापार में लगा नहीं होता, इसलिए देश अपने एक्स्ट्रा पैसे को अमेरिकी बॉन्ड में लगा देते हैं, जिससे कुछ ब्याज मिलता रहे। सभी देशों को मिलाकर ये पैसा करीब 7.8 ट्रिलियन डॉलर है। यानी भारत की इकोनॉमी से भी दोगुना ज्यादा। इस पैसे का इस्तेमाल अमेरिका अपनी ग्रोथ में करता है। ————————- BRICS से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…. नाइजीरिया को मिला BRICS पार्टनर देश का दर्जा:ब्राजील ने किया ऐलान; अब तक 9 देश बन चुके हैं ऑफिशियल BRICS पार्टनर अफ्रीका महाद्वीप का देश नाइजीरिया 17 जनवरी को औपचारिक रूप से BRICS का पार्टनर सदस्य बन गया। रूस की न्यूज एजेंसी RT के मुताबिक ब्राजील के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की कि बेलारूस, बोलीविया, क्यूबा, कजाकिस्तान, मलेशिया, थाईलैंड, युगांडा और उज्बेकिस्तान के साथ नाइजीरिया 9वां ऑफिशियल BRICS पार्टनर बन गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…