अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार अमेरिकी न्यूज एजेंसी एसोसिएट प्रेस (AP) को राष्ट्रपति ऑफिस (ओवल ऑफिस) में रिपोर्टर भेजने से रोक दिया। न्यूज एजेंसी का दावा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने उसने गल्फ ऑफ मेक्सिको की जगह गल्फ ऑफ अमेरिका का नाम इस्तेमाल नहीं किया था, इस वजह से उसे दंडित करने के लिए ऐसा किया गया है। AP की कार्यकारी संपादक जूली पेस ने कहा- व्हाइट हाउस ने कहा है कि अगर न्यूज एजेंसी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ अपनी एडिटोरियल पॉलिसी को मैच नहीं किया तो AP को किसी भी कार्यक्रम के लिए ओवल ऑफिस में एंट्री की इजाजत नहीं दी जाएगी। जूली पेस ने कहा- यह चिंताजनक है कि ट्रम्प प्रशासन AP को उसकी स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए दंडित करेगा। हमें अपने न्यूज कंटेंट की वजह से ओवल ऑफिस में रोकना न सिर्फ आजाद पत्रकारिता की जनता तक पहुंच को रोकता है, बल्कि यह साफ तौर पर हमारे संविधान से पहले संशोधन का उल्लंघन है। अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन को बिल ऑफ राइट्स कहते हैं। इसे 1791 को लागू किया गया था। यह संशोधन धर्म, भाषण, और प्रेस की आजादी देता है। प्रेस सत्ता में बैठे लोगों का माउथपीस नहीं
वहीं फाउंडेशन फॉर इंडिविजुअल राइट्स एंड एक्सप्रेशन के डायरेक्टर आरोन टेर ने ट्रम्प के फैसले को प्रेस की आजादी पर खतरनाक हमला बताया है। टेर ने कहा- हमारे प्रेस का रोल सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह ठहराना है, न कि उनका माउथपीस बनना। इस मौलिक आजादी को खत्म करने के लिए सरकार की किसी भी कोशिश की निंदा की जानी चाहिए। WHCA के अध्यक्ष यूजीन डेनियल्स ने कहा- व्हाइट हाउस यह आदेश नहीं दे सकता कि न्यूज एजेंसी समाचार को कैसे पेश करे। उसे पत्रकारों को सिर्फ इसलिए सजा नहीं देना चाहिए क्योंकि वह (व्हाइट हाउस) ऐडिटोरियल फैसलों से खुश नहीं है। दूसरी तरफ गूगल ने सोमवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एग्जीक्यूटिव आदेश के मुताबिक अमेरिका के अंदर गूगल मैप्स प्लेटफॉर्म पर मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी कर दिया। हालांकि मेक्सिको में ‘मेक्सिको की खाड़ी’ नाम दिखाई देगा। बाकी देशों में दोनों नाम दिखाई देंगे। इलेक्शन कैंपेन में ट्रम्प ने किया था नाम बदलने का वादा इस सारे विवाद शुरुआत तब हुई थी जब डोनाल्ड ट्रम्प ने इलेक्शन कैंपेन के दौरान गल्फ ऑफ मेक्सिको का नाम बदलने की बात कही थी। ट्रम्प का कहना था कि वो गल्फ ऑफ मेक्सिको का नाम बदलकर गल्फ ऑफ अमेरिका रखेंगे’। ट्रम्प ने कहा कि यह नाम ज्यादा ‘सुंदर’ लगता है और यही नाम रखना सही भी है। उनके मुताबिक अमेरिका इस इलाके में सबसे ज्यादा एक्टिविटी करता है इसलिए ये जगह अमेरिका की है। अन्य देश ट्रम्प का फैसला मानने को बाध्य नहीं अमेरिका और मेक्सिको दोनों ही इंटरनेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑर्गेनाइजेशन (IHO) के सदस्य हैं। यह एजेंसी दुनिया के सभी समुद्रों, महासागरों का सर्वेक्षण करती है। IHO के पास जगहों के नाम बदलने की भी जिम्मेदारी है। हालांकि सामान्य तौर पर नाम बदलने के लिए दोनों पक्षों की सहमति जरूरी है। ट्रम्प का नाम बदलने का आदेश सिर्फ अमेरिका के लिए लागू होता है। अन्य देश इस फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं है। गल्फ ऑफ मेक्सिको को उसका नाम कैसे मिला? गल्फ ऑफ मेक्सिको को 400 साल से भी ज्यादा समय से इस नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह नाम अमेरिकी शहर ‘मेक्सिको’ से लिया गया था। हालांकि पहली बार नहीं है जब गल्फ ऑफ मेक्सिको का नाम बदलने की चर्चा हुई है। साल 2012 में मिसिसिपी एक रिप्रेजेंटेटिव ने गल्फ ऑफ मेक्सिको के कुछ हिस्सों का नाम बदलकर ‘गल्फ ऑफ अमेरिका’ करने का विधेयक प्रस्तावित किया था। वह विधेयक बाद में एक समिति को भेजा गया था जो पारित नहीं हो पाया। —————————————- यह खबर भी पढ़ें… ट्रम्प बोले- यूक्रेन किसी भी दिन रूस का हो जाएगा:500 बिलियन डॉलर के खनिज दे, वर्ना मदद बंद हो जाएगी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा है कि यूक्रेन किसी भी दिन रूस का हो सकता है। फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन की जंग में जितनी मदद की है, उसे वापस लेने में वे नहीं हिचकिचाएंगे। यहां पढ़ें पूरी खबर…
वहीं फाउंडेशन फॉर इंडिविजुअल राइट्स एंड एक्सप्रेशन के डायरेक्टर आरोन टेर ने ट्रम्प के फैसले को प्रेस की आजादी पर खतरनाक हमला बताया है। टेर ने कहा- हमारे प्रेस का रोल सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह ठहराना है, न कि उनका माउथपीस बनना। इस मौलिक आजादी को खत्म करने के लिए सरकार की किसी भी कोशिश की निंदा की जानी चाहिए। WHCA के अध्यक्ष यूजीन डेनियल्स ने कहा- व्हाइट हाउस यह आदेश नहीं दे सकता कि न्यूज एजेंसी समाचार को कैसे पेश करे। उसे पत्रकारों को सिर्फ इसलिए सजा नहीं देना चाहिए क्योंकि वह (व्हाइट हाउस) ऐडिटोरियल फैसलों से खुश नहीं है। दूसरी तरफ गूगल ने सोमवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एग्जीक्यूटिव आदेश के मुताबिक अमेरिका के अंदर गूगल मैप्स प्लेटफॉर्म पर मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी कर दिया। हालांकि मेक्सिको में ‘मेक्सिको की खाड़ी’ नाम दिखाई देगा। बाकी देशों में दोनों नाम दिखाई देंगे। इलेक्शन कैंपेन में ट्रम्प ने किया था नाम बदलने का वादा इस सारे विवाद शुरुआत तब हुई थी जब डोनाल्ड ट्रम्प ने इलेक्शन कैंपेन के दौरान गल्फ ऑफ मेक्सिको का नाम बदलने की बात कही थी। ट्रम्प का कहना था कि वो गल्फ ऑफ मेक्सिको का नाम बदलकर गल्फ ऑफ अमेरिका रखेंगे’। ट्रम्प ने कहा कि यह नाम ज्यादा ‘सुंदर’ लगता है और यही नाम रखना सही भी है। उनके मुताबिक अमेरिका इस इलाके में सबसे ज्यादा एक्टिविटी करता है इसलिए ये जगह अमेरिका की है। अन्य देश ट्रम्प का फैसला मानने को बाध्य नहीं अमेरिका और मेक्सिको दोनों ही इंटरनेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑर्गेनाइजेशन (IHO) के सदस्य हैं। यह एजेंसी दुनिया के सभी समुद्रों, महासागरों का सर्वेक्षण करती है। IHO के पास जगहों के नाम बदलने की भी जिम्मेदारी है। हालांकि सामान्य तौर पर नाम बदलने के लिए दोनों पक्षों की सहमति जरूरी है। ट्रम्प का नाम बदलने का आदेश सिर्फ अमेरिका के लिए लागू होता है। अन्य देश इस फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं है। गल्फ ऑफ मेक्सिको को उसका नाम कैसे मिला? गल्फ ऑफ मेक्सिको को 400 साल से भी ज्यादा समय से इस नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह नाम अमेरिकी शहर ‘मेक्सिको’ से लिया गया था। हालांकि पहली बार नहीं है जब गल्फ ऑफ मेक्सिको का नाम बदलने की चर्चा हुई है। साल 2012 में मिसिसिपी एक रिप्रेजेंटेटिव ने गल्फ ऑफ मेक्सिको के कुछ हिस्सों का नाम बदलकर ‘गल्फ ऑफ अमेरिका’ करने का विधेयक प्रस्तावित किया था। वह विधेयक बाद में एक समिति को भेजा गया था जो पारित नहीं हो पाया। —————————————- यह खबर भी पढ़ें… ट्रम्प बोले- यूक्रेन किसी भी दिन रूस का हो जाएगा:500 बिलियन डॉलर के खनिज दे, वर्ना मदद बंद हो जाएगी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा है कि यूक्रेन किसी भी दिन रूस का हो सकता है। फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन की जंग में जितनी मदद की है, उसे वापस लेने में वे नहीं हिचकिचाएंगे। यहां पढ़ें पूरी खबर…