केरल HC बोला-शिकायतकर्ता महिला, जरूरी नहीं हर बात सच हो:कई बार झूठे केस आत्मसम्मान पर दाग लगा देते हैं; आरोपी को बरी किया

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि यौन अपराधों सहित आपराधिक मामलों में यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि शिकायतकर्ता महिला है तो उसकी कही गई हर बात सच हो क्योंकि आजकल ऐसे मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने की प्रवृत्ति है। जस्टिस पी वी कुन्हीकृष्णन ने यह टिप्पणी एक पूर्व महिला कर्मचारी का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी को अग्रिम जमानत देते हुए की। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में, पुलिस ने ठीक से जांच नहीं की। आरोपी ने कहा था कि, महिला ने उसके साथ गाली गलौच की थी। कोर्ट ने कहा, शिकायतकर्ता की तरफ से दर्ज मामले की एकतरफा जांच नहीं की जा सकती। पुलिस को दोनों पक्षों के बयान सुनने चाहिए। उस हिसाब से जांच को आगे बढ़ाना चाहिए। कोर्ट ने कहा- अगर शिकायतकर्ता झूठ निकले, तो उस पर कार्रवाई करें
24 फरवरी को दिए गए अपने आदेश में कोर्ट ने कहा, आजकल यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के साथ निर्दोष लोगों को आपराधिक मामलों में फंसाने की प्रवृत्ति है। यदि पुलिस को लगता है कि पुरुषों के खिलाफ ऐसी महिलाओं के आरोप झूठे हैं, तो वे शिकायतकर्ताओं के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकते हैं क्योंकि कानून इसकी अनुमति देता है। पुलिस जांच रिपोर्ट सौंपने से पहले अलर्ट रहा करे
कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि जांच के दौरान ही आपराधिक मामलों में सच्चाई का पता लगाने के लिए सतर्क और सजग रहना चाहिए। इसलिए, आपराधिक मामलों में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले अनाज से भूसा अलग करना पुलिस का काम है। अब जानिए क्या था पूरा मामला
यह पूरा मामला एक कंपनी के दो कर्मचारियों से जुड़ा है। पीड़ित महिला जिस कंपनी में काम करती थी, आरोपी वहां मैनेजर था। महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने यौन इरादे से उसके हाथ पकड़ लिए थे। हालांकि आरोपी ने इससे इनकार किया। आरोपी ने खुद महिला के खिलाफ दुर्व्यवहार की शिकायत की थी। पूरी बातचीत को उसने रिकॉर्ड भी किया था। इसे पेन ड्राइव में भरकर पुलिस को सौंप दिया था। अदालत ने कहा कि, ऐसे मामलो में आरोपी की शिकायत की भी जांच करनी चाहिए थी। यदि शिकायतकर्ता (महिला) याचिकाकर्ता (आरोपी) के खिलाफ झूठा केस दर्ज करती पाई जाती है, तो कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। वहीं आरोपी को बेल बांड के साथ जमानत दे दी।