जरूरत की खबर- खर्राटों से जुड़े आंकड़े चौंकाने वाले हैं:दुनिया में 40% पुरुष और 24% महिलाएं लेते हैं खर्राटे, जानें इसके पीछे का विज्ञान

आपने अपने आसपास ऐसे लोगों को जरूर देखा होगा, जो नींद में खर्राटे लेते हैं। खर्राटे लेना काफी सामान्य बात है। कुछ लोगों को नींद में खर्राटे लेने की आदत होती है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन (AASM) के मुताबिक, पूरी दुनिया में लगभग 24% एडल्ट महिलाएं और 40% एडल्ट पुरुष खर्राटे लेते हैं। ऐसा नहीं है कि खर्राटे सिर्फ एडल्ट्स की समस्या है। बच्चों में भी खर्राटों की समस्या होती है। आमतौर पर ऐसी धारणा है कि अगर कोई व्यक्ति सोते समय खर्राटे लेता है तो उसे अच्छी नींद आती है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। खर्राटे किसी आने वाली गंभीर बीमारी का संकेत हो सकते हैं। इसलिए समय रहते इसकी पहचान करना जरूरी है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि लोगों को खर्राटे क्यों आते हैं? साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. अनिमेष आर्य, डायरेक्टर, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी एंड स्लीप मेडिसिन, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली सवाल- खर्राटे क्यों आते हैं?
जवाब- नींद के दौरान हमारी मसल्स रिलैक्स हो जाती हैं। इस दौरान कई बार नाक के पीछे का एरिया (नासोफैरिंक्स) और मुंह के पीछे का एरिया (ओरोफैरिंक्स) की मसल्स सिकुड़ जाती हैं। इसके कारण सांस लेने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है। इससे सांस लेने के दौरान आवाज के साथ सॉफ्ट टिश्यू और मसल्स वाइब्रेट होने लगती हैं, जो खर्राटे की वजह बनते हैं। आसान भाषा में कहें तो यह कोई बीमारी नहीं है। यह महज एक आवाज है, जो सोने के दौरान सांस के रास्ते में रुकावट की वजह से होती है। नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि दुनिया में इससे कितने लोग प्रभावित हैं। सवाल- किन लोगों को खर्राटे लेने की समस्या ज्यादा होती है।
जवाब- खर्राटे लेने की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा अधिक होता है। जैसेकि- सवाल- क्या खर्राटे आना किसी बीमारी का संकेत है?
जवाब- नींद में ज्यादा खर्राटे लेने का अर्थ ये है कि शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। साथ ही शरीर के नर्वस सिस्टम में गड़बड़ी से भी खर्राटे आ सकते हैं। खर्राटे लेने वाले लोगों को स्लीप एप्निया भी हो सकता है। इस दौरान मसल्स इतनी शिथिल हो जाती हैं कि वे सांस नली में रुकावट पैदा कर देती हैं। इसके अलावा खर्राटे हार्ट डिजीज का भी संकेत देते हैं। नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि खर्राटे और किन बीमारियों का संकेत हो सकते हैं। सवाल- खर्राटे के साथ सांस रूकना कितना खतरनाक है?
जवाब- अगर कोई व्यक्ति खर्राटे के साथ अचानक नींद से उठ जाता है या फिर एकाएक चौंक जाता है तो यह स्लीप एप्निया का संकेत हो सकता है। इसमें शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई कम होने लगती है। इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सवाल- क्या खर्राटे की समस्या से निजात पाया जा सकता है?
जवाब- अगर कोई व्यक्ति सोते समय खर्राटे लेता है तो यह न केवल उसकी हेल्थ के लिए बल्कि पास सो रहे व्यक्ति की नींद को भी खराब करता है। इसलिए इस समस्या से छुटकारा पाना जरूरी है। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अनिमेष आर्य ने खर्राटे से छुटकारा पाने के कुछ उपाय बताए हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक में देखिए- सवाल- खर्राटे और स्लीप एप्निया में क्या अंतर क्या है?
जवाब- अगर कोई व्यक्ति खर्राटे ले रहा है और उसे सांस रुकने की समस्या नहीं हो रही है तो यह सामान्य स्थिति है। यह स्लीप एप्निया नहीं है। वहीं अगर खर्राटे के साथ कुछ संकेत दिखाई दें तो स्लीप एप्निया हो सकता है। जैसेकि- सवाल- क्या स्लीप एप्निया की वजह से किसी की जान भी जा सकती है
जवाब- डॉ. अनिमेष आर्य बताते हैं कि सोते समय सांस रुकने के कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। इससे दिल, दिमाग और अन्य अंगों पर गंभीर असर पड़ सकता है। नींद के दौरान बॉडी में ऑक्सीजन लेवल कम होने से हार्ट पर दबाव पड़ता है। ऐसे में स्लीप एप्निया मरीजों में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो ये जानलेवा भी हो सकता है। सवाल- अगर सोते समय खर्राटे के साथ सांस रुक रही है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए?
जवाब- अगर किसी व्यक्ति की नींद खर्राटे के साथ टूट रही है तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। इसके लिए डॉक्टर एक स्लीप टेस्ट करते हैं। इसमें रात में सोते समय एक मशीन लगाकर देखा जाता है कि व्यक्ति की नींद कितनी बार टूट रही है। उसके शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई कब कम हुई है। कार्बन डाई ऑक्साइड का लेवल कब बढ़ा है। इसी टेस्ट के रिजल्ट के अनुसार ट्रीटमेंट किया जाता है। …………………………. नींद से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

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