हममें से कई लोगों को कभी-न-कभी अंदर से थोड़ा डर लगता है। इसकी वजह यह हो सकती है कि हमें शायद खुद पर इतना भरोसा नहीं होता है, जितना होना चाहिए। क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है? हालांकि, यह कोई अजीब बात नहीं है और कोई भी ऐसा महसूस कर सकता है। कई बार तो हमें पता भी नहीं चलता कि हम किसी चीज को लेकर इनसिक्योर हैं। हालांकि, कुछ छोटी-छोटी चीजें दिखा देती हैं कि हमारे मन में कहीं-न-कहीं कोई डर है। जैसे किसी से बात करते वक्त उससे नजरें न मिलाना, बात-बात पर सॉरी बोलते रहना, ये सब असुरक्षा की भावना को दिखाते हैं। असल में, असुरक्षा के संकेत कई बार इतने सूक्ष्म होते हैं कि हमें इनके बारे में पता नहीं चलता है। कई लोग बाहर से एकदम कॉन्फिडेंट और मजबूत दिखते हैं। इसके बावजूद भी उनके अंदर कहीं-न-कहीं किसी बात को लेकर इनसिक्योरिटी होती है और कोई भी पूरी तरह से परफेक्ट नहीं होता है। ऐसे में आज हम रिलेशनशिप में बात करेंगे कि- इनसिक्योरिटी क्या है? कभी-कभी हमें लगता है कि हम दूसरों जितने अच्छे नहीं हैं। इसके पीछे कई सारी वजहें हो सकती हैं। ऐसा तब होता है, जब हमारे साथ कुछ बुरा हुआ हो, या हमें वो चीजें नहीं मिलीं जिनकी हमें जरूरत थी। ऐसे में हममें डर की भावना पैदा हो सकती है जिसकी वजह से हम खुद पर भरोसा नहीं कर पाते हैं। असुरक्षा के कई कारण हो सकते हैं, जैसे पुराने बुरे अनुभव, जरूरतों का पूरा न होना, खुद पर विश्वास की कमी और रिश्तों में समस्या भी इसकी वजह हो सकती है। इसके लक्षण क्या हैं? असुरक्षा की भावना कई छिपे हुए तरीकों से सामने आती है। आइए इसके लक्षणों को ग्राफिक के जरिए समझते हैं। आइए ग्राफिक्स को विस्तार से समझते हैं। बार-बार माफी मांगना: बिना गलती के हर छोटी-बड़ी बात के लिए बार-बार माफी मांगना असुरक्षा का संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप दूसरों को नाराज करने या उन्हें परेशान करने से डरते हैं। तारीफ स्वीकार करने में कठिनाई: जब कोई आपकी तारीफ करता है, तो उसे स्वीकार करने में हिचकिचाते हैं। योग्यता होने के बावजूद खुद को कम आंकना असुरक्षा का संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप अपनी योग्यता पर विश्वास नहीं करते हैं। दूसरों से स्वीकारोक्ति की आवश्यकता: आप दूसरों से यह सुनना चाहते हैं कि आप अच्छे, समझदार या काबिल हैं, तो इसका मतलब है कि आप खुद पर पूरी तरह से भरोसा नहीं करते। आप यह जानना चाहते हैं कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं क्योंकि आपको अपनी खुद की राय पर यकीन नहीं है। सामाजिक अलगाव: दूसरों के साथ बातचीत करने से बचना या सामाजिक समारोह से दूर रहना असुरक्षा का संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप दूसरों द्वारा अस्वीकार किए जाने या जज किए जाने से डरते हैं। चुनौतियों से बचना: नई चुनौतियों का सामना करने से बचना या अपनी सीमाओं से बाहर निकलने से डरना असुरक्षा का संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप विफलता से डरते हैं। अपनी बातें बढ़ा-चढ़ाकर बताना: अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए अपनी ताकत या उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना असुरक्षा का संकेत हो सकता है। इससे पता चलता है कि आप खुद को दूसरों के सामने बेहतर दिखाना चाहते हैं। परफेक्शनिस्ट: हर चीज में परिपूर्ण होने की कोशिश करना असुरक्षा का संकेत हो सकता है और आप गलतियां करने से डरते हैं। ईर्ष्या और तुलना: दूसरों से ईर्ष्या करना या लगातार अपनी तुलना दूसरों से करना असुरक्षा का संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप अपनी खुद की जिंदगी से असंतुष्ट हैं। लोगों को खुश करना: दूसरों को खुश करने के लिए अपनी खुद की जरूरतों को नजरअंदाज करना असुरक्षा का संकेत हो सकता है। इससे पता चलता है कि आप दूसरों द्वारा अस्वीकार किए जाने से डरते हैं। इनसिक्योरिटीज का प्रभाव भले ही हमें पता न चले, लेकिन हमारी छिपी हुई असुरक्षाएं जीवन के हर हिस्से पर असर डाल सकती हैं। ये हमारे रिश्तों को खराब कर सकती हैं। हमारा आत्मविश्वास कम कर सकती हैं। हम इन असुरक्षाओं के कारण दूसरों के साथ खुलकर बात नहीं कर पाते हैं, जो रिश्ते में दूरियों और गलतफहमियों का कारण बन सकती हैं। इनसिक्योरिटी से छुटकारा पाने के तरीके इनसिक्योरिटी से निपटने के लिए, आपको खुद को समझना होगा, सब्र रखना होगा और बदलाव लाने के लिए तैयार रहना होगा। अगर ऊपर बताए गए असुरक्षा के लक्षण आपको अपने अंदर दिखते हैं, कुछ तरीके अपनाकर इससे छुटकारा पा सकते हैं। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। आइए ग्राफिक्स को विस्तार से समझते हैं। खुद को समझने की कोशिश करें अपनी असुरक्षा को समझने के लिए, हमें अपने मन में आने वाले विचारों और अपने व्यवहार पर ध्यान देना होगा। जब हम अपने विचारों को समझते हैं, तो हम यह जान पाते हैं कि हमें कब और क्यों असुरक्षित महसूस होता है। इससे हमें इन भावनाओं से लड़ने और उन्हें सही तरीके से संभालने में मदद मिलती है। मान लीजिए कि आपको अंधेरे से डर लगता है, लेकिन इसकी सही वजह क्या है यह आपको पता नहीं है, तो आप इस डर से छुटकारा नहीं पा सकते हैं। हालांकि, अगर आपको इस डर की वजह पता है तो आप इस डर से लड़ सकते हैं। दूसरों के प्रति आभार व्यक्त करें हमें हर दिन उन छोटी-छोटी चीजों के लिए थैंकफुल रहना चाहिए, जो हमारे पास हैं। इससे हमारा ध्यान नेगेटिव चीजों से हटकर पॉजिटिव चीजों पर शिफ्ट हो सकता है। नकारात्मक विचारों को चुनौती दें अपने नेगेटिव सोच को चुनौती देनी चाहिए। मान लीजिए आपका कोई दोस्त उदास है। अगर आप उसे अच्छी-अच्छी बातें बताएंगे, तो वह खुश होगा। ठीक इसी तरह, अगर हम अपने मन में आने वाली बुरी बातों को अच्छी बातों से बदलते हैं, तो हम भी खुश रहेंगे और खुद पर भरोसा कर पाएंगे। दूसरों से तुलना करना बंद करें दूसरों से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए। हर किसी का जीवन अलग होता है और यह जरूरी नहीं है कि जो हम देखते हैं वह पूरी तस्वीर हो। दूसरों से अपनी तुलना करने के बजाय, हमें खुद पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अपनी यात्रा की सराहना करनी चाहिए। खुद को प्राथमिकता दें हमें स्वयं से सहानुभूति भी रखनी चाहिए। हमें अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। यह न केवल हमारी असुरक्षा को कम करता है, बल्कि हमारी सेल्फ रिस्पेक्ट को भी बढ़ाता है। अपने आसपास के लोगों से मदद लें हमें ऐसे लोगों की जरूरत होती है, जो हमें समझें और हमारा साथ दें। ये लोग हमारे परिवार, दोस्त या साथ काम करने वाले हो सकते हैं।