तेलंगाना के SLBC टनल हादसे में फंसे सात मजदूरों की तलाश के लिए ऑटोमैटिक हाइड्रोलिक-एबल रोबोट को तैनात किया गया है। यह रोबोट एक विशेष तकनीकी से लैस है, जो सर्च ऑपरेशन की रफ्तार बढ़ाने में मदद करेगा। अधिकारियों के मुताबिक, इस रोबोट के साथ 30 HP क्षमता वाला लिक्विड रिंग वैक्यूम पंप और वैक्यूम टैंक मशीन तैनात की गई है, जिससे मिट्टी हटाने का काम तेजी से हो सकेगा। मैन्युअल खुदाई की बजाय, यह रोबोट ऑटोमैटिक तरीके से मलबा हटाने में सक्षम है। एक घंटे में लगभग 620 क्यूबिक मीटर मिट्टी सुरंग से बाहर निकाली जा सकती है। राज्य के विशेष मुख्य सचिव (आपदा प्रबंधन) अरविंद कुमार इस सर्च ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं। ऑपरेशन में भारतीय सेना, NDRF, SDRF, मानव अवशेष खोजी कुत्ते (HRDD), सिंगरेनी कोलियरीज, हैदराबाद स्थित रोबोटिक्स कंपनी और अन्य एजेंसियां शामिल हैं। फिलहाल 7 मजदूर फंसे, 9 मार्च को एक शव बरामद हुआ था बता दें कि 22 फरवरी को इस सुरंग का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया था, जिसमें कुल आठ इंजीनियर और मजदूर फंस गए थे। इस हादसे में टनल बोरिंग मशीन (TBM) ऑपरेटर गुरप्रीत सिंह का शव 9 मार्च को बरामद हुआ था, जिसे पंजाब में उनके परिवार को सौंप दिया गया। अभी भी फंसे हुए सात मजदूरों में मनोज कुमार (उत्तर प्रदेश), सनी सिंह (जम्मू-कश्मीर), गुरप्रीत सिंह (पंजाब), संदीप साहू, जेटा एक्सेस और अनुज साहू (झारखंड) शामिल हैं। 5 साल पहले चेतावनी दी थी, कोई एक्शन नहीं लिया गया
2020 में एमबर्ग टेक एजी नाम की कंपनी ने टनल का सर्वे किया था। कंपनी ने टनल में कुछ फॉल्ट जोन और कमजोर चट्टानों के खतरे को लेकर अलर्ट किया था। सर्वे रिपोर्ट टनल बनाने वाली कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को भी दी गई थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि 14 किमी लंबी टनल के 13.88 किमी से 13.91 किमी के हिस्से की चट्टानें कमजोर हैं। इस हिस्से में पानी भी भरा हुआ है। जमीन खिसकने का भी खतरा है। बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था, वही हिस्सा गिरा है। हालांकि राज्य सरकार के सिंचाई विभाग को इसकी जानकारी थी या नहीं, यह साफ नहीं है। सिंचाई विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि उन्हें ऐसी किसी रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। काम छोड़कर जा रहे मजदूर
रिपोर्ट्स के मुताबिक हादसे के बाद टनल में काम कर रहे कुछ मजदूर डर के कारण काम छोड़कर चले गए हैं। सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) प्रोजेक्ट में 800 लोग काम कर रहे हैं। इनमें से 300 लोकल और बाकी झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश से हैं। अधिकारी ने यह भी कहा कि शुरुआत में मजदूरों में डर जरूर है। हालांकि कंपनी ने उनके लिए आवासीय कैंप बनाए हैं। कुछ लोग वापस जाना चाह सकते हैं, लेकिन हमारे पास इस बात की कोई रिपोर्ट नहीं है कि सभी मजदूर एक साथ छोड़कर जा रहे हैं। रेस्क्यू से जुड़ी 3 तस्वीरें… सुरंग में हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी आ रहा
सोशल एक्टिविस्ट नैनाला गोवर्धन से ने दैनिक भास्कर को बताया कि टनल की ऊपरी स्लैब से हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी गिर रहा है। इस खतरे का सही अनुमान लगाने में रॉबिन्सन और जेपी जैसी कंपनियां ही नहीं, तेलंगाना सिंचाई विभाग भी फेल रहा है। यही SLBC प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी नाकामी है। गोवर्धन के मुताबिक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की कालेश्वरम डैम प्रोजेक्ट और पोलावरम सिंचाई योजना में नियमों की अनदेखी हुई। यहां 460 करोड़ की लागत से बनी डायफ्रॉम वॉल ध्वस्त हो गई। मेडिगड्डा और अन्नारम में करोड़ों की विदेशी मोटर टूट चुकी हैं। अब यही चीजें SLBC टनल प्रोजेक्ट में सामने आ रही हैं। पूरी खबर पढ़ें… ………………………………… हादसे से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…. CM ने घटना स्थल का दौरा किया, भाजपा बोली- सरकार की लापरवाही से हादसा हुआ हादसे के 9वें दिन सीएम रेवंत रेड्डी ने घटनास्थल का दौरा किया और हालात की जानकारी ली। सीएम ने कहा था कि जरूरत पड़ी तो रेस्क्यू में रोबोट की मदद ली जाएगी। भाजपा विधायकों ने भी टनल का दौरा किया था। पार्टी MLA ने आरोप लगाया कि हादसा सरकार के गलत मैनेजमेंट का नतीजा है। पूरी खबर पढ़ें…
2020 में एमबर्ग टेक एजी नाम की कंपनी ने टनल का सर्वे किया था। कंपनी ने टनल में कुछ फॉल्ट जोन और कमजोर चट्टानों के खतरे को लेकर अलर्ट किया था। सर्वे रिपोर्ट टनल बनाने वाली कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को भी दी गई थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि 14 किमी लंबी टनल के 13.88 किमी से 13.91 किमी के हिस्से की चट्टानें कमजोर हैं। इस हिस्से में पानी भी भरा हुआ है। जमीन खिसकने का भी खतरा है। बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था, वही हिस्सा गिरा है। हालांकि राज्य सरकार के सिंचाई विभाग को इसकी जानकारी थी या नहीं, यह साफ नहीं है। सिंचाई विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि उन्हें ऐसी किसी रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। काम छोड़कर जा रहे मजदूर
रिपोर्ट्स के मुताबिक हादसे के बाद टनल में काम कर रहे कुछ मजदूर डर के कारण काम छोड़कर चले गए हैं। सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) प्रोजेक्ट में 800 लोग काम कर रहे हैं। इनमें से 300 लोकल और बाकी झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश से हैं। अधिकारी ने यह भी कहा कि शुरुआत में मजदूरों में डर जरूर है। हालांकि कंपनी ने उनके लिए आवासीय कैंप बनाए हैं। कुछ लोग वापस जाना चाह सकते हैं, लेकिन हमारे पास इस बात की कोई रिपोर्ट नहीं है कि सभी मजदूर एक साथ छोड़कर जा रहे हैं। रेस्क्यू से जुड़ी 3 तस्वीरें… सुरंग में हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी आ रहा
सोशल एक्टिविस्ट नैनाला गोवर्धन से ने दैनिक भास्कर को बताया कि टनल की ऊपरी स्लैब से हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी गिर रहा है। इस खतरे का सही अनुमान लगाने में रॉबिन्सन और जेपी जैसी कंपनियां ही नहीं, तेलंगाना सिंचाई विभाग भी फेल रहा है। यही SLBC प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी नाकामी है। गोवर्धन के मुताबिक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की कालेश्वरम डैम प्रोजेक्ट और पोलावरम सिंचाई योजना में नियमों की अनदेखी हुई। यहां 460 करोड़ की लागत से बनी डायफ्रॉम वॉल ध्वस्त हो गई। मेडिगड्डा और अन्नारम में करोड़ों की विदेशी मोटर टूट चुकी हैं। अब यही चीजें SLBC टनल प्रोजेक्ट में सामने आ रही हैं। पूरी खबर पढ़ें… ………………………………… हादसे से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…. CM ने घटना स्थल का दौरा किया, भाजपा बोली- सरकार की लापरवाही से हादसा हुआ हादसे के 9वें दिन सीएम रेवंत रेड्डी ने घटनास्थल का दौरा किया और हालात की जानकारी ली। सीएम ने कहा था कि जरूरत पड़ी तो रेस्क्यू में रोबोट की मदद ली जाएगी। भाजपा विधायकों ने भी टनल का दौरा किया था। पार्टी MLA ने आरोप लगाया कि हादसा सरकार के गलत मैनेजमेंट का नतीजा है। पूरी खबर पढ़ें…